ज्योति शिंदे के साथ कुमार विकास, ख़बरीमीडिया
अयोध्या में राम जन्मभूमि का विवाद थमने के महज़ 4 सालों के अदंर ही राम जी का भव्य मंदिर बन कर तैयार होने जा रहा है। अब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीखों का भी ऐलान ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कर दिया है।
चंपत राय ने बताया कि राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में होगा। इसके लिए जनवरी की 21, 22 और 23 जनवरी की तारीखें तय की गई हैं। उन्होंने बताया कि हम इस समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित करेंगे, जिसमें प्रमुख साधु और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल होंगे।
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस समारोह में देश के 136 सनातन परंपराओं के 25 हजार से अधिक धर्मगुरुओं को आमंत्रित करने की योजना तैयार कर रहा है। कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने वाले संतों की सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही उन्हें ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की तरफ से निमंत्रण पत्र भेजा जाएगा। ये 25 हजार संत 10 हजार विशिष्ट अतिथियों से अलग होंगे जो राम जन्मभूमि परिसर के अंदर अभिषेक समारोह में शामिल होंगे।राय ने बताया कि जनवरी में गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ट्रस्ट की ओर से एक महीने तक रोजाना 75 हजार से एक लाख भक्तों को फ्री में भोजन कराया जाने का भी इंतजाम किया जाएगा।
गौरतलब है की सालों से चली आ रही अयोध्या ने राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को हिन्दू पक्ष तरफ फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाया था जिसके बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन किया था ।
राम मंदिर में कब क्या हुआ ?
1528 : अयोध्या में एक ऐसी जगह पर मस्जिद बनाई गई. जिसे हिन्दू समुदाय के लोग मानते हैं कि वहां भगवान राम का जन्म हुआ था. कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी जिसे बाबरी मस्जिद कहा जाता है.
1853 : इस मुद्दे पर पहली बार दो समुदायों के बीच विवाद हुआ.
1885: में महंत रघुबर दास ने अदालत से मांग की कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए. यह मांग खारिज हो गई.
1946 : बाबरी मस्जिद को लेकर शियाओं और सुन्नियों में विवाद. बाबर सुन्नी था इसलिए फैसला शियाओं के खिलाफ गया.
1949: जुलाई में राज्य सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की. लेकिन यह भी नाकाम रही.
1949 : 22-23 दिसंबर को मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रखी गईं
1950 : इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है. इस तारीखी मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के थे
1950 : 16 जनवरी को अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा. जनता बाहर से दर्शन करेगी.
1986: 1 फरवरी को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी.
1986 : कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ.
1992 : 6 दिसंबर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े. करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया.
2003: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था.
2010 : 30 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित कर अयोध्या में विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है.
2019 : 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने हिंदुओं को पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी विवादित जमीन सौंप दी. मुस्लिम पक्ष को भी इस जगह से दूर मस्जिद देने का आदेश सुनाया गया.
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