Noida अथॉरिटी में 11 अरब का घालमेल!..मचा हड़कंप

दिल्ली NCR

उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में सरकारी अधिकारियों ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार को ही नुकसान पहुंचा दिया। इसके बदले में बिल्डर को 11 अरब रुपए का फायद हुआ है। इसका खुलासा नीय निधि लेखा परीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। मामला ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ के संज्ञान में आ गया।

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जिसके बाद उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में इस मामले में उठाए गए थे। इसके साथ ही अथॉरिटी की सात महीने में दो बार मरम्मत का कार्य कराने के मामले में दोषी अथॉरिटी पर भी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं।

रिपोर्ट में हुए हैं चौंकाने वाले खुलासे
स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। साल 2012-13 से 2015-16 तक की यह रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई थी। इसमें प्राधिकरण के कार्यों को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी हरकत में आ गया। रिपोर्ट में बताए गए नुकसान के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं। इस नुकसान की भरपाई किस तरह से की जाएगी। इसको लेकर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने जांच शुरू करा दी है। अब रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे हुई आर्थिक हानि
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रुप हाउसिंग योजना में कई फर्मों को निर्धारित अधिकतम 1.75 एफएआर के स्थान पर 2.75 एफएआर दिया गया। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया, जबकि एफएआर अधिक देने पर रुपये लेने का नियम है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इससे प्राधिकरण को 11.02 अरब का नुकसान हुआ है। ग्रुप हाउसिंग योजना के आवंटियों को स्वीकृत क्रय योग्य एफएआर की गलत गणना की गई। इससे 15.56 करोड़ की क्षति हुई है। लीज डीड का विलंब शुल्क जमा ना होने से 1.39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
सात महीने में दो बार मरम्मत कराने पर 27 लाख खर्च
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉलेज पार्क-3 में मात्र सात ही महीने में बार मरम्मत का काम कराया गया। इस पर 27.66 लाख रुपये खर्च किए गए। इतने कम समय में दो बार मरम्मत कैसे और क्यों कराई गई। प्राधिकरण में विभिन्न पद स्वीकृत न होते हुए भी ठेकेदारों के माध्यम से विभिन्न कर्मियों की सेवा लेकर उन्हें 1.10 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। रिपोर्ट में इस भुगतान को गलत बताया गया।

बिना काम के ही किया गया भुगतान
स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की रिपोर्ट में कहा है कि सेक्टर इकोटेक में कार्य ना होने पर अनुचित तरीके से भुगतान किया गया। बिना एमओयू के विभिन्न संस्थाओं को 75 लाख रुपये अग्रिम दे दिए गए। इसे भी रिपोर्ट में गलत बताया गया।
सीईओ एनजी रवि कुमार ने कहा कि स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। प्राधिकरण को नुकसान कैसे हुआ, इसको लेकर जांच कराई जा रही है।
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