प्रेरणा शोध न्यास नोएडा के द्वारा समाज में वैमनस्य और नफरत फलाने वाले संस्थानों और लोगों से कैसे बचा जाय इस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य वक्ता डीडी न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव और स्वराज मैग्जीन के वरिष्ठ संपादक स्वाती गोयल शर्मा सम्मिलत हुए। कार्यक्रम के लिए तय विषय सोशल मीडिया पर फेक नैरेटिव की जंग विषय पर बोलते हुए प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि हमलोगों के लिए फेक नैरेटिव कोई नया नहीं है बल्कि वर्षों पुराना ऐजेंडा है।
अभी एक नया शब्द आया है गोदी मीडिया। इस शब्द का इस्तेमाल वह राष्ट्रवादी पत्रकारों के लिए करते हैं। वह गोदी मीडिया के नाम पर यह बताने की कोशिश करते हैं कि 2014 से पहले देश में सबकुछ सामान्य था। पत्रकार सरकारों से सवाल पूछते थे। सरकार के पक्ष में कोई नहीं बोलता था। लेकिन वास्तविकता यह है कि आजादी के बाद से ही मीडिया के बड़े संस्थानों का उनके पत्रकारों का देश की सरकारों के साथ चोली दामन का साथ रहा है।
ऐसे पत्रकार अपने फेक नैरेटिव के माध्यम से समाज में घृणा और नफरत फैलाते हैं। दुर्भागवश यह केवल हिन्दूओं के खिलाफ होता है उसके संस्कृति के खिलाफ होता है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वराज मैग्जीन की संपादक स्वाती गोयल शर्मा ने बताया कि फेक नैरेटिव कैसे बनाया जाता है इसलिए लिए उन्होंने दो रोज पहले दिल्ली की सड़क पर नवाज पढ़ रहे मुस्लिम नमाजी और पुलिस की घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि इसमें कुछ भी नया नहीं था। पुलिस अक्सर शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इस तरह का व्यवहार करती है।
पुलिस हिन्दू मन्दिरों में भीड़ हो जाने पर वहां भी श्रद्धालुओं के साथ मारपीट, धक्का मुक्की करती है। लेकिन कभी किसी हिन्दू संगठनों ने इसको लेकर विक्टिम कार्ड नहीं खेला। लेकिन मुस्लिम नवाजी के साथ होने वाला यह वाक्या पूरे दिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा। विदेशों से भी ट्वीट होने लगे। जिसमें भारत को इस्लामोफोबिया कहा जाने लगा। कई लोगों ने यह आरोप लगा दिया कि पुलिस हिन्दू है नवाजी मुस्लिम है इसलिए जानबुझकर ऐसा किया गया।
लेकिन उसी दिन तेलंगाना में शिवरात्री के अवसर पर शिव भक्तों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। कई शिवभक्त घायल हुए लेकिन यह कोई न्यूज नहीं बना, न ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ। यही है फेक नैरेटिव। कार्यक्रम के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया की सोशल मीडिया के इस दौर में फेक न्यूज एक बड़ी समस्या है। जिसके अंतर्गत किसी की छवि को धूमिल करने या अफवाह फैलाने के लिए झूठी खबरों को प्रसारित किया जाता है। ऐसी झूठी खबरें जो देश और दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को धुमिल करती है उस पर रोक लगाने के लिए प्रेरणा शोध न्यास निरन्तर इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है। हाल में संपन्न हुए तीन दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम “प्रेरणा विमर्श 2023 ” के बाद ये पहला सोशल मीडिया सेमिनार का आयोजन है। समय की मांग और सोशल मीडिया की चुनौतियों को देखते हुए अब प्रेरणा शोध न्यास ने निर्णय लिया है कि हर तीन माह में देश और समाज हित में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहेगा।