UP News: यूपी के बांदा जिले में तैनात सिविल महिला जज (Civil Lady Judge) का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) को पत्र लिखकर जिंदगी खत्म करने की अनुमति मांगी है।
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उत्तर प्रदेश के बांदा में तैनात सिविल जज अर्पिता साहू (Arpita Sahu) ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि पत्र को लिखने का उद्देश्य मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कुछ और नहीं है। मैं बहुत उत्साह के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई, सोचा था कि आम लोगों को न्याय दिला पाऊंगी। मुझे क्या पता था कि न्याय के लिए हर दरवाजे का भिखारी बना दिया जाएगा?
मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) को संबोधित पत्र में उन्होंने बताया है कि काफी निराश मन से लिख रही हूं। आरोप है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान सिविल जज अर्पिता साहू को प्रताड़ना से गुजरना पड़ा। जिला जज पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप है। उन्होंने आरोप लगाया कि रात में भी जिला जज से मिलने के लिए कहा गया था।
जानिए सिविल महिला जज का क्या है आरोप?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अर्पिता साहू ने बताया है कि मैंने मामले की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के मुख्य न्यायाधीश से 2022 में की। आज की तारीख में कोई कार्रवाई नहीं हुई। मेरी परेशानी को जानने की किसी ने परवाह भी नहीं की। जुलाई 2023 में मैंने मामले को एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति के सामने उठाया। जांच शुरू करने में 6 महीने और 1000 ईमेल लग गए। उन्होंने प्रस्तावित जांच को दिखावा बताया है गवाह जिला जज के अधीनस्थ है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
ऐसे में बॉस के खिलाफ गवाह कैसे जा सकते है। निष्पक्ष जांच तभी हो सकती है कि जब गवाह अभियुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण से आजाद हो। मैंने जांच लंबित रहने के दौरान जिला जज को ट्रांसफर (Transfer) किए जाने का निवेदन किया था। लेकिन मेरी प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दिया गया। जांच अब जिला जज के अधीन होगी। हमें मालूम है ऐसी जांच का नतीजा क्या निकलता है। इसलिए मुख्य न्यायाधीश से जिंदगी को खत्म करने की अनुमति मांगी है।