विष्णु देव साय को ही BJP ने क्यों बनाया छत्तीसगढ़ का CM?

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Vishnu Dev Sai: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में 3 राज्यों बीजेपी की जीत ने न सिर्फ सभी दलों को चौंका दिया है, बल्कि हैरान भी कर दिया है। कुछ ही महीने बाद लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) होने वाले हैं और लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की तीन राज्यों में जीत बहुत कुछ कहती है। बीजेपी (BJP) ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और मध्य प्रदेश में अपने सीएम का ऐलान भी कर दी है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के रूप में विष्णु देव होंगे।

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इस बार बीजेपी ने राज्य में आदिवासी समाज (Tribal Community) से आने वाले को सीएम बनाने का फैसला की है। बीजेपी ने चुनाव के दौरान भी आदिवासी वोटर को साधने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे। बीजेपी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत साय को सीएम के रूप में साय को आगे किया है। आइए जानते हैं कि बीजेपी (BJP) की पीछे की रणनीति क्या है, इस फैसले से लोकसभा चुनाव 2024 में कितना फायदा होगा..

छत्तीसगढ़ निर्णायक साबित होते हैं आदिवासी वोटर

सबसे पहले आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की सियासत में आदिवासी वोटर हमेशा से ही निर्णायक साबित होते हैं। राज्य की 32 फीसदी आबादी आदिवासी है और 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होती है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य को लेकर माना जाता है कि यहां पर बिना आदिवासी समाज के सपोर्ट के कोई भी सरकार नहीं बना पाता है। बड़ी बात ये भी है कि जिस तरफ भी आदिवासी वोट पड़ता है, उसकी सरकार बनना तय माना जाता है। इस बार छत्तीसगढ़ चुनाव में जो 29 आरक्षित सीटें रहीं, उनमें से 17 पर बीजेपी ने जीत हासिल की। पिछली बार इन्हीं सीटों पर पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ था। माना जा रहा है कि आदिवासी वोटरों के पाले में आने की एक बड़ी वजह विष्णुदेव साय भी रहे। ऐसे में अब उन्हें सीएम बनाकर पूरे आदिवासी समाज को बड़ा मैसेज देने का काम किया गया है।

आदिवासी सीएम का तमगा

बीजेपी काफी समय से एक सोची समझी रणनीति के तहत आदिवासी और पिछड़े वर्ग को साधने में लगी हुई है। इसका एक तरीका उसने यह निकाला कि बड़े पदों पर ऐसे समाज के लोगों को मौका देगी। इस क्रम में देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू मिली थीं। अब पार्टी ने उसी नेरेटिव को आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ को उसका दूसरा आदिवासी समाज से सीएम बनाया है। विपक्ष इस समय जातीय जनगणना के पीछे पड़ा है, तब बीजेपी ने दो कदम आगे बढ़कर विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना सबसे बड़ा सियासी दांव चला है।

साफ छवि और भ्रष्टाचार विरोधी वाला नेरेटिव

बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में भ्रष्टाचार को एक बार फिर सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है। पीएम मोदी खुद अपने कई कार्यक्रमों में ऐलान कर चुके हैं कि लूटने वालो को पैसा वापस करना होगा। उनके उसी नेरेटिव में ऐसे लोग सबसे फिट बैठते हैं जिनकी सियासी छवि साफ हो, जो जमीन से जुड़े नेता हो और जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज ना हो। अभी के लिए विष्णुदेव साय इन सभी कैटेगरी में एकदम फिट बैठते हैं और अब इन्हीं के सहारे बीजेपी अपनी आगे की रणनीति पर काम करने वाली है।

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संघ के हैं बेहद करीबी

बीजेपी जब भी मुख्यमंत्री का चुनाव करती है उसका एक क्राइटेरिया ये भी रहता है कि संघ (RSS) से उसके रिश्ते कैसे हैं। ऐसा परसेप्शन सेट हो चुका है कि अगर कोई संघ बैकग्राउंड से आता है या फिर जिसके संघ के साथ मजबूत रिश्ते होते हैं तो संगठनात्मक तौर पर वो ज्यादा मजबूत रहता है और अनुशासन बनाए रखने में उसकी भूमिका रहती है। विष्णुदेव साय को भी इस बात का पूरा लाभ मिला। साय संघ के करीबी हैं उन्हें पहले ही सीएम रेस में एक प्रबल दावेदार बना गया था। बीजेपी वैसे भी 2024 से पहले एक ऐसे नेता की तलाश में थी, जो सभी को एकजुट रख सके, जिसकी संगठन पर मजबूत पकड़ रहे। साय तो कई बार प्रदेश अध्यक्ष भा रह चुके हैं, ऐसे में उनके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है।

झारखंड-ओडिशा में भी होगा फायदा

बीजेपी का छत्तीसगढ़ को लेकर जो आदिवासी दांव चला गया है, इसका असर सिर्फ इस राज्य तक सीमित नहीं रहेगा। पार्टी का फोकस 2024 के चुनाव पर तो है, उसे झारखंड में RAGE FIRMS जेजेपी की सियासत को चोट पहुंचानी है और ओडिशा में पटनायक के शासन को भी समाप्त करना है। इन दोनों ही राज्यों में आदिवासी वोटबैंक अच्छा है। बीजेपी वैसे भी नेरेटिव की लड़ाई हमेशा से ही आगे रहने की कोशिश करती है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम दिया गया है, लेकिन मेसेज झारखंड और ओडिशा के लिए भी है। एक तरफ झारखंड (Jharkhand) में 28 आदिवासी आरक्षित सीटे है तो वहीं ओडिशा में ये आंकड़ा 24 सीटों का है। इस प्रकार साय लगभग हर मामले में फिट बैठ रहे हैं।