उत्तराखंड में UCC लागू..दहेज से लेकर लिव-इन को लेकर नया कानून क्या है?

Trending उत्तराखंड राजनीति

Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड में Uniform Civil Code बिल आखिरी कार लंबी चर्चा के बाद विधानसभा में पारित कर दिया गया। मंगलवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने UCC बिल को पेश किया था और फिर इसपर चर्चा शुरू की गई थी।यूसीसी बिल पर दो दिन चर्चा होने के बाद आज बुधवार 7 फरवरी को इसे विधानसभा में पारित कर दिया गया है। विधानसभा से पास होने के बाद यूसीसी बिल अब कानून बन गया है। बता दें कि यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है।
ये भी पढ़ेः बर्फ़बारी देखने उत्तराखंड जाने वाले..पहले ये ख़बर पढ़ लें

Pic Social Media

उत्तराखंड विधानसभा में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पर कहा कि संविधान के सिद्धांतों पर काम करते हुए हमें समान नागरिक संहिता की जरूरत है। अब समय आ गया है कि हम वोट बैंक की राजनीति और राजनीतिक व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जो बिना किसी भेदभाव के समान और समृद्ध हो।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर कहा, ये कोई सामान्य विधेयक नहीं है। देवभूमि उत्तराखंड को इसका सौभाग्य मिला। भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसमें बहुत सारे प्रदेश हैं लेकिन ये अवसर हमारे राज्य को मिला। हम सब गौरान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने और देवभूमि से देश को दिशा देने का अवसर मिला है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने मंगलवार 6 जनवरी 2024 को विधानसभा के विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता संबंधी विधेयक पेश की थी। इससे संबंधित ड्राफ्ट बीते दिनों यूसीसी कमेटी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा था और अब ये कानून बन गया है।

उत्तराखंड में UCC नियम

  • सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
  • पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार
  • लिव-इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी
  • लिव-इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा
  • लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार
  • महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं
  • अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर
  • बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं
  • शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक

UCC लागू होने के बाद अब

  • हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून
  • जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी
  • बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे
  • मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी

उत्तराखंड में पेश किया गया विधेयक

उत्तराखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया। इसे “समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024” नाम दिया गया है। 182 पन्नों के इस कानूनी मसौदे में कई धाराएं और उप-धाराएं हैं। इसमें उत्तराधिकार, विवाह, विवाह-विच्छेदन और लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में नियम-कानूनों का उल्लेख किया गया है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बुराइयों के खात्मे के लिए उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने के लिए देश में सबसे मुफीद राज्य है। इस बिल का मकसद एक ऐसा कानून बनाना है, जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर लागू हो।

Pic Social Media

लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में नियम जानिए?

  • इस एक्ट में यह प्रावधान किया है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल के लिए लड़की की उम्र 18 साल या अधिक होनी चाहिए और उसको लिव-इन रिलेशनशिप (Live-In Relationship) में रहने से पहले पहचान करने के उद्देश्य से एक रजिस्ट्रेशन कराना होगा। और 21 साल से कम के लड़का और लड़की दोनों को इस रजिस्ट्रेशन की जानकारी दोनों के माता पिता को देनी अनिवार्य होगी।
  • उत्तराखंड सरकार ने लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों में रजिस्ट्रेशन को जरूरी कर दिया है ताकि ऐसे जोड़ों को कहीं रहने के लिए किराए पर मकान लेने या अन्य पहचान की आवश्यकताओं पर कोई कानूनी अड़चन का सामना न करना पड़े।

विवाह के बारे में क्या है?

विधेयक के भाग-1 में विवाह और विवाह विच्छेद का जिक्र है। वहीं भाग-2 में विवाह और विवाह विच्छेद पंजीकरण को जगह दी गई है।

  • समान नागरिक संहिता सभी के लिए विवाह (Marriage) की न्यूनतम आयु को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है, जिसमें युवक की आयु 21 साल और युवती की आयु 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए।
  • इस संहिता में पार्टीज टू मैरिज यानी किन-किन के मध्य विवाह हो सकता है, इसे स्पष्ट रूप से बताया गया है। विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच ही संपन्न हो सकता है।
  • इस संहिता में पति अथवा पत्नी के जीवित होने की स्थिति में दूसरे विवाह को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • अब तलाक के बाद दोबारा उसी पुरुष से या अन्य पुरुष से विवाह करने के लिए महिला को किसी प्रकार की शतों में नहीं बांधा जा सकता। यदि ऐसा कोई विषय संज्ञान में आता है, तो इसके लिए 3 साल की कैद अथवा 1 लाख रुपए जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया है।
  • विवाह के उपरांत वैवाहिक दंपतियों में से कोई भी यदि बिना दूसरे की सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को तलाक लेने और गुजारा भत्ता क्लेम करने का पूरा अधिकार होगा।
  • विवाह का पंजीकरण अब अनिवार्य रूप से कराना होगा। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम तथा जिला और राज्य स्तर पर इनका पंजीकरण कराना अब संभव होगा। प्रक्रिया को और ससत बनाने के लिए एक वेब पोर्टल भी होगा जिस पर जाकर पंजीकरण संबंधी प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
  • एक महिला और एक पुरुष के मध्य होने वाले विवाह के धार्मिक व सामाजिक विधि-विधानों को इस संहिता में छेड़ा नहीं गया है। अर्थात वे लोग जिस पद्धति से भी विवाह करते चले आ रहे हैं, जैसे कि सप्तपदी, आशीर्वाद, निकाह, होली यूनियन या आनंद कारुज अथवा इस प्रकार की अन्य परंपराएं, वे लोग उन्हीं प्रचलित परंपराओं के आधार पर विवाह संपन्न कर सकेंगे।

विवाह विच्छेदन को लेकर क्या कहा गया है?

  • विधानसभा में सरकार ने कहा कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू न होने का सबसे ज्यादा नुकसान अभी तक मातृ शक्ति को उठाना पड़ा। पुरुष लचर कानून का लाभ उठाकर बहुविवाह, उत्ताक आदि करते रहे।
  • समान नागरिक संहिता लागू होने पर कोर्ट में लंबित पड़े मामलों का भी जल्द निपटारा हो सकेगा। समान नागरिक संहिता से मुस्लिम बहनों की स्थिति बेहतर होगी। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
  • कई सामाजिक बुराइयां धार्मिक रीति-रिवाजों (Customs And Traditions) की आड़ में पनपती हैं। इसमें गुलामी, देवदासी, दहेज, 3 तलाक, बाल विवाह या अन्य प्रथाएं शामिल हैं। समान नागरिक संहिता इन सभी सामाजिक बुराइयों के खात्मे की गारंटी देता है।