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School Fee: फीस बढ़ोतरी का विरोध करने पर दिल्ली के नामी स्कूल ने बच्चे को किया प्रताड़ित!

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School Fee: दिल्ली में फीस बढ़ोत्तरी का विरोध करने पर बच्चों के साथ भेदभाव, पढ़िए बड़ी खबर

School Fee: राजधानी दिल्ली के स्कूलों में नए सत्र से ही फीस बढ़ोत्तरी का मामला चल रहा है। फीस बढ़ोत्तरी (Fee Hike) को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है, साथ ही पेरेंट्स सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में डीपीएस द्वारका (DPS Dwarka) के कई छात्रों के पेरेंट्स (Parents) सामने आए हैं और उन्होंने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पेरेंट्स का कहना है कि उनके बच्चों को केवल इस कारण से सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया गया और अलग-थलग कर दिया गया क्योंकि उनके परिवारों ने स्कूल की मनमानी और अवैध फीस वृद्धि को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
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Pic Social Media

आपको बता दें कि रविवार को डीपीएस द्वारका (DPS Dwarka) पीड़ित अभिभावक समूह नामक संगठन ने एक प्रेस वार्ता कर डीपीएस द्वारका प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। इसमें उन्होंने न सिर्फ अपने बच्चों के साथ हुई मानसिक प्रताड़ना को लेकर बात की, बल्कि पूरे व्यवस्था तंत्र पर भी सवाल खड़े किए। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार उनकी प्रमुख मांगें थीं, जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही और छात्रों के साथ हो रहे मानसिक उत्पीड़न व अवैध रूप से बंधक बनाए जाने की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए।

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लापरवाही का आरोप

पेरेंट्स ने जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) की उस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की, जो शिक्षा निदेशालय के निर्देश पर बनाई गई थी। यह रिपोर्ट उस घटना से जुड़ी हुई है, जिसमें छात्रों को कथित रूप से स्कूल की लाइब्रेरी में बंधक बनाकर मानसिक उत्पीड़न किया गया था। इसके साथ ही अभिभावकों ने यह भी मांग की कि उन सभी सरकारी और गैर-सरकारी अधिकारियों के नाम तुरंत सामने लाए जाएं, जो इस पूरे मामले में लापरवाही या मिलीभगत के दोषी पाए गए हैं।

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न्याय मिलने तक जारी रहेगा संघर्ण

उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों को छात्रों पर पड़े मानसिक प्रभाव और त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। साथ ही, अभिभावकों ने यह जानना चाहा कि डीपीएस सोसायटी ने बच्चों के संविधान में निहित शिक्षा के मौलिक अधिकार का किस प्रकार उल्लंघन किया और इस पर सरकार और प्रशासनिक तंत्र ने अब तक क्या ठोस कदम उठाए हैं। पेरेंट्स का कहना है कि जब तक बच्चों को न्याय नहीं मिलता और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।