Saudi Arabia

Saudi Arabia: सऊदी अरब में शेखों की मनमानी खत्म! अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ सकेंगे भारतीय!

TOP स्टोरी Trending बिजनेस
Spread the love

Saudi Arabia: सऊदी अरब ने लगभग 70 साल पुराने कफाला सिस्टम को खत्म कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।

Saudi Arabia: सऊदी अरब ने लगभग 70 साल पुराने कफाला सिस्टम (Kafala System) को खत्म कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस बदलाव से देश में काम करने वाले 1.34 करोड़ विदेशी मजदूरों (Foreign Laborers) को लाभ होगा, जिनमें ज्यादातर भारत, बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस से हैं। नए नियमों के तहत मजदूरों को नौकरी बदलने, देश छोड़ने और कानूनी सहायता लेने की आजादी मिलेगी। इस सुधार की घोषणा जून 2025 में की गई थी। पढ़िए पूरी खबर…

Pic Social Media

ये भी पढ़ेंः क्या ज्योतिष गरीब को अमीर बना सकता है?

कफाला सिस्टम क्या था और क्यों बना?

‘कफाला’ शब्द ‘कफील’ से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘स्पॉन्सर’ या जिम्मेदार व्यक्ति। यह वह व्यक्ति होता था जो विदेशी मजदूर के रहने और काम करने के लिए जिम्मेदार होता था। 1950 के दशक में तेल उद्योग के विस्तार के साथ खाड़ी देशों को बड़ी संख्या में विदेशी श्रमिकों की जरूरत थी। विदेशी मजदूरों के आने-जाने और काम करने को नियंत्रित करने के लिए कफाला सिस्टम बनाया गया, जिसमें कफील को अत्यधिक अधिकार दे दिए गए।

कफाला सिस्टम की प्रमुख समस्याएं

नौकरी बदलने पर पाबंदी- मजदूर बिना कफील की अनुमति के नौकरी नहीं बदल सकते थे, भले ही उनका शोषण हो रहा हो। बिना अनुमति नौकरी छोड़ने पर उन्हें ‘अवैध निवासी’ माना जाता था, जिसके चलते गिरफ्तारी का खतरा रहता था।

देश छोड़ने पर रोक- मजदूरों को अपने देश लौटने के लिए कफील से एग्जिट वीजा लेना पड़ता था, जिसे अक्सर मना कर दिया जाता था।

पासपोर्ट जब्त करना- कफील मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लेते थे, जिससे वे पूरी तरह फंस जाते थे।

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25

नए नियमों से मजदूरों को मिलेगी राहत

सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम (Kafala System) की जगह नई व्यवस्था लागू की है, जो मजदूरों को पहले से कहीं अधिक आजादी देगी। अब मजदूर बिना कफील की अनुमति के नौकरी बदल सकेंगे, देश छोड़ने या वापस आने के लिए एग्जिट वीजा की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, श्रमिकों को कानूनी मदद और स्पष्ट रोजगार कॉन्ट्रैक्ट का अधिकार मिलेगा, जिसमें काम की अवधि, वेतन और भत्तों का उल्लेख होगा।

भारतीय मजदूरों के लिए फायदे

सऊदी अरब की 42 प्रतिशत आबादी विदेशी मजदूरों की है, जिनमें भारतीयों की संख्या काफी अधिक है। ये मजदूर निर्माण, खेती, घरेलू काम और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत हैं। कफाला सिस्टम खत्म होने से भारतीय मजदूरों को जॉब मोबिलिटी में आसानी होगी। वे कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने पर इलेक्ट्रॉनिक नोटिफिकेशन के जरिए नौकरी छोड़ सकेंगे और नई नौकरी शुरू कर सकेंगे।

सऊदी अरब ने क्यों लिया यह फैसला?

इमेज सुधार- मानवाधिकार संगठनों की आलोचना और ‘आधुनिक गुलामी’ के आरोपों से सऊदी की छवि खराब हो रही थी।

विजन 2030- क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का विजन 2030 तेल पर निर्भरता कम करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखता है। कफाला सिस्टम निवेशकों के लिए बाधा था।

मजदूरों पर निर्भरता- सऊदी की अर्थव्यवस्था 70 प्रतिशत विदेशी मजदूरों पर निर्भर है। कफाला सिस्टम के कारण मजदूरों का आना कम हो रहा था, जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान का खतरा था।

कतर से प्रतिस्पर्धा- कतर ने 2022 फीफा विश्व कप से पहले कफाला सिस्टम को लगभग खत्म कर अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा हासिल की थी। सऊदी अरब इससे पीछे नहीं रहना चाहता था।

अन्य देशों में कफाला सिस्टम

बता दें कि सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम खत्म कर दिया, लेकिन यूएई, कुवैत, ओमान, बहरीन, लेबनान और जॉर्डन जैसे मध्य पूर्व के देशों में यह व्यवस्था अभी भी लागू है। इन देशों में भी मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बदलाव की मांग बढ़ रही है।

ये भी पढ़ेंः Passport: इन 3 लोगों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं, बिना पासपोर्ट घूमते हैं दुनिया

जानिए क्राउन प्रिंस सलमान का विजन 2030

क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान (Crown Prince Mohammed bin Salman) का विजन 2030 सऊदी अरब को एक आधुनिक और विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने की योजना है। अब तक सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल पर निर्भर थी, लेकिन अब अन्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी निवेश और कुशल कामगारों को आकर्षित करना आवश्यक हो गया है। कफाला सिस्टम को खत्म करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस फैसले से विदेशी कामगारों के लिए आजादी और सम्मान का नया युग शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।