Repo Rate: होम लोन की ईएमआई भरने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है।
Repo Rate: होम लोन की ईएमआई (EMI) भरने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 5 साल बाद मौद्रिक नीति में बदलाव करते हुए रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट (Basis Point) की कटौती की है, जिसके बाद अब रेपो रेट 6.25% हो गया है। इसका असर होम लोन (Home Loan) की ईएमआई पर पड़ सकता है। बता दें कि 2020 में COVID-19 के बाद आज आरबीआई रेपो रेट में 25bps की कटौती कर दी है। आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है।
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क्या होगा EMI पर असर?
आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा (Governor Sanjay Malhotra) की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति बैठक में यह फैसला लिया गया। ब्याज दरों में कटौती से होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट में कमी का फायदा बैंकों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज देने में होगा, जिससे होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन की EMI में कमी आने की संभावना है। हालांकि, यह बैंकों पर निर्भर करेगा कि वे इस लाभ को अपने ग्राहकों तक कब और कितना पहुंचाएंगे।
EMI में कितनी कमी हो सकती है?
इसका उदाहरण समझें: मान लीजिए रमेश ने 30 लाख रुपये का होम लोन (Home Loan) 20 साल के लिए 9% ब्याज दर पर लिया है। अब यदि उसके बैंक को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फायदा मिलता है, तो उसकी ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% हो जाएगी। इसके बाद रमेश की मासिक ईएमआई जो पहले 26,992 रुपये थी, अब 26,551 रुपये हो जाएगी, यानी उसकी ईएमआई में 480 रुपये की कमी आएगी। यदि रमेश चाहें, तो वे अपनी EMI कम करने के बजाय लोन की अवधि भी कम कर सकते हैं।

रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक (RBI) दूसरे बैंकों को कर्ज देता है। जब रिजर्व बैंक कम दर पर पैसा उधार देता है, तो बैंक भी ग्राहकों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराते हैं। रेपो रेट में कमी से मिडिल क्लास को विशेष रूप से लाभ होता है, क्योंकि इससे उनकी ईएमआई का बोझ कम हो जाता है।
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आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (Governor Sanjay Malhotra) ने कहा, ‘मुद्रास्फीति को लक्षित करने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव मौद्रिक नीति रूपरेखा की शुरूआत के बाद से औसत मुद्रास्फीति कम रही है भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, पर वैश्विक चुनौतियों से अछूती नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा कि हमारा प्रयास हितधारकों के साथ परामर्श करना और ऐसे परामर्शों को महत्व देना होगा। मौद्रिक नीति समिति ने ‘तटस्थ’ मौद्रिक रुख को कायम रखने का फैसला किया।