Rajasthan: 27 साल की प्रियंका उर्फ पीहू की कहानी हिम्मत और जीवन के प्रति उत्साह की अनोखी मिसाल है।
Rajasthan News: ज़िंदगी से जूझते हुए भी चेहरे पर मुस्कान बनाए रखना आसान नहीं होता, लेकिन 27 साल की प्रियंका उर्फ पीहू ने अपने आखिरी पलों तक यह कर दिखाया। हड्डियों के कैंसर (Bone Cancer) से जूझ रही प्रियंका ने 2 सितंबर 2025 को अंतिम सांस ली। लेकिन जाने से ठीक सात दिन पहले, उन्होंने ICU में अपने आखिरी जन्मदिन को हंसी-खुशी के साथ मनाया। पिता से कहा, ‘पापा, केक ले आइए… मैं अपने आखिरी पल हंसते हुए मनाना चाहती हूं।’ उनकी यह इच्छा और सकारात्मकता ने अस्पताल के माहौल को भावुक कर दिया।
‘पापा केक ले आना…’ ICU में भावुक कर देने वाला पल
प्रियंका ने अपने अंतिम पलों तक हिम्मत और मुस्कान बनाए रखी। ICU में मशीनों से घिरी होने के बावजूद उन्होंने परिवार और अस्पताल स्टाफ को हौसला दिया। 25 अगस्त 2025 को अपने जन्मदिन पर उन्होंने पिता नरपत सिंह से केक लाने की जिद की। ICU में केक काटा गया, जिस पर लिखा था ‘पीहू-लकी’। प्रियंका ने मुस्कुराते हुए सभी को केक खिलाया और कहा, ‘मैं रोते हुए नहीं, हंसते हुए विदा लेना चाहती हूं।’ इस पल में स्टाफ की आंखें नम थीं, और ससुराल वाले गैलरी में जाकर रो पड़े, लेकिन प्रियंका की हिम्मत ने सबको प्रेरित किया।

कौन थीं प्रियंका?
जालोर, राजस्थान के आहोर क्षेत्र के पचानवा गांव की रहने वाली प्रियंका चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थीं। परिवार की सबसे प्यारी संतान, प्रियंका पढ़ाई में तेज थीं। उन्होंने BBA और CA की पढ़ाई की, लेकिन फाइनल परीक्षा नहीं दे पाईं। जनवरी 2023 में उनकी शादी रानीवाड़ा के भाटवास गांव के बिल्डर लक्ष्यराज सिंह से हुई। पिता नरपत सिंह, जो पश्चिम बंगाल के हुबली में ज्वेलरी व्यवसायी हैं, कहते हैं, ‘प्रियंका की मासूमियत और जिद आज भी आंखों के सामने है। लगता है वो आसपास ही है।’

कैंसर से संघर्ष की कहानी
शादी के कुछ समय बाद प्रियंका को पैरों में दर्द शुरू हुआ। शुरू में इसे सामान्य समझा गया, लेकिन फरवरी 2023 में मुंबई में MRI से पता चला कि उन्हें इविंग सारकोमा (Ewing Sarcoma), एक दुर्लभ हड्डी का कैंसर है। मार्च 2023 में उनकी पहली सर्जरी हुई, फिर जून 2024 में दूसरी और अगस्त 2024 में उदयपुर में तीसरी सर्जरी। तमाम इलाज के बावजूद बीमारी फैलती गई। डॉक्टरों ने परिवार को बता दिया कि प्रियंका का समय सीमित है।
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आखिरी पलों में भी बिखेरी मुस्कान
प्रियंका (Priyanka) को अपनी स्थिति का अंदाजा था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। 25 अगस्त को जब रिश्तेदार और ससुराल वाले अस्पताल पहुंचे, उन्होंने केक लाने की बात कही। ICU में छोटा-सा जश्न हुआ, जहां हंसी और आंसुओं का माहौल था। प्रियंका ने सभी को अपने हाथों से केक खिलाया और वादा किया, ‘जल्द ठीक होकर घर जाऊंगी।’ 2 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। भाई जयपाल से कहा, ‘तूने खाना नहीं खाया, जाकर खा ले… मैं कहीं नहीं जा रही।’ कुछ ही देर बाद, मुस्कान के साथ उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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डॉक्टरों और परिवार के लिए प्रेरणा
डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने कई कैंसर मरीज देखे, लेकिन प्रियंका की सकारात्मकता बेमिसाल थी। उन्होंने दर्द को छिपाकर जीने की सीख दी। पिता नरपत सिंह कहते हैं, ‘लाड़ली ने हमें सिखाया कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, जीना मुस्कुराकर ही चाहिए।’ प्रियंका की कहानी न केवल उनके परिवार, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों में भी हिम्मत और खुशी बनाए रखना चाहता है।