Rajasthan: राजस्थान में शिक्षा सुधार की पहल, भजनलाल सरकार ने बदला कुलपति का पदनाम
Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने विश्वविद्यालयों (Universities) में कुलपति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajan Lal Sharma) के नेतृत्व वाली सरकार ने विश्वविद्यालयों के कुलपति नाम में बड़ा बदलाव किया है। भजनलाल सरकार (Bhajanlal Sarkar) के इस फैसले के बाद अब राजस्थान में विश्वविद्यालयों के कुलपति कुलगुरु (Kulaguru) कहलाएंगे। बता दें कि राजस्थान के बीजेपी नेताओं ने कुलपति नाम में पति होने को गलत बताया था। इसकी जगह उन्होंने गुरु करने की मांग की थी। इसके बाद राजस्थान विधानसभा में भजनलाल सरकार ने कुलपति का नाम बदलने के लिए बिल पेश किया और अब यह बिल भी पास हो गया है।
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राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया बिल
आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में विश्वविद्यालय की विधियां (संशोधन) विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक के अनुसार राज्य के सभी 32 सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालय में कुलपति का पद नाम बदलकर कुलगुरु और प्रतिकुलपति का नाम बदलकर प्रतिकुलगुरु करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि यह बदलाव केवल हिंदी भाषा में ही लागू होगा, जबकि इंग्लिश में पहले की तरह ही रहेगा।
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राजस्थान के डिप्टी सीएम एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा गुरूवार को विधानसभा में राजस्थान के विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के बाद जवाब दे रहे थे। संशोधन के मुताबिक राजस्थान के 33 वित्त पोषित्त विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के पदनामों में बदलाव कर इन्हें क्रमशः कुलगुरू एवं प्रतिकुलगुरू किया गया है।

डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि भजनलाल सरकार या फैसला औपचारिक प्रक्रिया ना होकर एक महान शिक्षा व्यवस्था की पुनर्स्थापना का प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालयों को पुनः श्रद्धा का केंद्र बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे भारत की महान गुरु शिष्य परंपरा का पुनर्जागरण होगा। उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन काल में भारत में विक्रमशिला, तक्षशिला, नालंदा आदि विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय विद्यमान थे। इनमें विश्वभर से विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे। यह संशोधन भारतीय विश्वविद्यालयों को उनका पुराना गौरव लौटाने की कड़ी में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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उप मुख्यमंत्री के अनुसार विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण का कार्य भारतीय समाज में गुरु के पास होता है। उन्होंने बताया कि कुलपति राज्य वित्त पोषित्त विश्वविद्यालयों में मुख्यकार्यपालक एवं शैक्षणिक अधिकारी होता है। जहां कुलपति शब्द प्रशासनिक है एवं स्वामित्व को दर्शाता है। वहीं गुरु शब्द के साथ में विद्वता और आत्मीयता का भाव सामने आता है। प्रदेश सरकार का यह निर्णय एक शाब्दिक परिवर्तन न होकर गुरु की महिमा को पुनः स्थापित करने की कोशिश है। इसका प्रभाव मानसिक दृष्टिकोण बदलने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर भी देखने को मिलेगा।
शिक्षा मंत्री डॉ. बैरवा ने के मुताबिक भारत के प्राचीन गुरुकुलों में विद्यार्थियों को आध्यात्म, विज्ञान, कला, दर्शन सहित सभी विषयों का ज्ञान दिया जाता था। यहां की शिक्षा प्रणाली पूरी दुनिया में सबसे बेहतर थी। इसमें पुस्तकों, जीवन मूल्यों, नैतिकता, आत्म साक्षात्कार, आत्मनिर्भरता, समाजसेवा, देशभक्ति सहित विभिन्न प्रकार की शिक्षा दी जाती थी। मनुष्य के चरित्र निर्माण की दिव्य प्रक्रिया भी इन्हीं गुरुकुलों में संपन्न होती थी। उन्होंने बताया कि आक्रांताओं एवं पाश्चात्य शिक्षा नीति ने भारतीय शिक्षा परंपराओं को ध्वस्त किया। भारतीय शिक्षा में औपनिवेशिक मानसिकता को शामिल किया गया। इससे राष्ट्र गौरव की क्षति हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर वर्ग के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना भजनलाल सरकार का उद्देश्य है। इसी क्रम में लगातार काम किया जा रहा है।

