Punjab News: संगरूर ज़िले के कई गांवों में 20 लोगों की जान लेने वाली नकली शराब, दरअसल मिथेनॉल (Methanol) थी, जो कि औद्योगिक उत्पादों में इस्तेमाल किये जाने वाला एक घातक रसायन होता है। दोषियों ने यह रसायन नोएडा की एक फैक्ट्री से औद्योगिक कामों के लिए बरतने के बहाने खरीदा था। यह जानकारी उक्त मामले की जांच के लिए बनाई विशेष जांच टीम (SIT) का नेतृत्व कर रहे अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP) लॉ एंड आर्डर गुरिन्दर सिंह ढिल्लों ने दी।
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एडीजीपी ढिल्लों, एसएसपी संगरूर- कम-एसआईटी मेंबर सरताज सिंह चाहल (Sartaj Singh Chahal) के साथ बीते शनिवार को यहां पंजाब पुलिस हैडक्वाटर (PPHQ) में एक प्रैस कान्फ़्रेंस को संबोधन कर रहे थे।
प्राप्त जानकारी अनुसार संगरूर पुलिस (Sangrur Police) ने इस मामले में तीन अलग अलग थानों- दिढ़बा, सिटी सुनाम और चीमा में तीन अलग- अलग एफआईआरज दर्ज करके नामज़द किये 10 दोषियों में से आठ मुलजिमों समेत दो मास्टर माईंडज़, जिनकी पहचान गुरलाल सिंह निवासी गांव उभावाल, संगरूर और हरमनप्रीत सिंह निवासी गांव ताईपुर के तौर पर हुई है, को गिरफ़्तार कर लिया है। दोनों मास्टरमाईंडज़ की आपराधिक पृष्टभूमि है और वह संगरूर जेल में रहते हुये एक-दूसरे के संपर्क में आए थे।
गिरफ़्तार किये गए अन्य छह मुलजिमों की पहचान मनप्रीत सिंह उर्फ मनी और सुखविन्दर सिंह उर्फ सुखी दोनों निवासी गांव गुज्जरां, दिढ़बा, सोमा कौर, राहुल उर्फ संजू और प्रदीप सिंह उर्फ बब्बी तीनों निवासी चुहवां, चीमा और अरशदीप सिंह उर्फ अरश गांव रोगला के तौर पर हुई है। पुलिस टीमों ने इनके कब्ज़े में से 200 लीटर मिथेनौल केमिकल, शराब की खाली बोतलें और ढक्कन और नकली शराब बनाने और लेबिंलिंग करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला अन्य सामान भी बरामद किया है।
एडीजीपी गुरिन्दर सिंह (Gurinder Singh) ढिल्लों ने बताया कि मुलजिम हरमनप्रीत अपने साथी गुरलाल के साथ मिलकर नोएडा स्थित फैक्ट्री से मिथेनौल केमिकल मंगवाता था और अपने घर में नकली शराब तैयार करके ‘शाही’ मार्का लेबल वाली शराब की बोतल में पैक करके बेचता था। मुलजिम घर में प्रिंटर का प्रयोग करके ब्रांड लेबल बना रहा था, जबकि बोतल कैंप लगाने की मशीन उसने लुधियाना से खरीदी थी।
उन्होंने बताया कि यह मास्टरमाइंड नकली शराब बेचने के लिए स्थानीय व्यक्ति मनप्रीत मनी (गिरफ़्तार) की मदद लेते थे। उन्होंने बताया कि मुलजिम आधी कीमत पर नकली शराब बेचने के लिए मज़दूर वर्ग के लोगों को निशाना बनाते थे।
एडीजीपी ने कहा कि पुलिस के पास इस घातक रसायन की खरीद सम्बन्धी दस्तावेज़ हैं और पुलिस की तरफ से उन फ़ैक्टरियां, जहां से दोषियों ने मिथेनॉल खरीदा था, की भूमिका की जांच करने के लिए भारतीय आइपीसी की धारा 120- बी दी गई है। ज़िक्रयोग्य है कि मुलजिमों ने कुल 300 लीटर मिथेनौल केमिकल खरीदा था।
एडीजीपी ने कहा कि पुलिस ने तीनों ऐफआईआरज़ में आबकारी एक्ट की सख़्त धारा 61-ए की भी लगा दी है। उन्होंने कहा कि धारा 61-ए में उम्र कैद या मौत की सज़ा का प्रावधान है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच को तर्कपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एसआईटी सभी पहलुओं पर बारीकी से जांच करेगी और समय पर अदालत में चालान पेश किया जायेगा।
इस दौरान ऐसआईटी प्रमुख ने प्रभावित गांवों के निवासियों से अपील की कि वह अनाधिकृत स्रोतों से ख़रीदी गई शराब का सेवन करने से गुरेज़ करें।