Punjab News: चंडीगढ़ में लागू होगा ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम..पढ़िए डिटेल

पंजाब

Punjab News: पंजाब में शराब तस्करी पर रोक लगाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन सभी शराब की बोतलों के लिए एक विस्तृत ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ सिस्टम लागू करने की तैयारी में है। आपको बता दें कि चंडीगढ़ प्रशासन (Chandigarh Administration) के इस कदम के पीछे मकसद यह है कि शहर में बड़ी मात्रा में शराब की तस्करी हो रही थी।
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नए ट्रैक एवं ट्रेस सिस्टम (Track & Trace System) के अनुसार हर बोतल के बैच और बार कोड को स्कैन किया जा सकेगा। इससे शराब की सप्लाई की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा सकेगी। इसके जरिए संबंधित अथॉरिटिज को शराब तस्करी के स्रोत और इसके गंतव्य की सूचना मिल सकेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 20 फरवरी से इस सिस्टम की शुरुआत की गई है। अगले सोमवार को होने वाली प्रशासनिक बैठक में इस पर मोहर लग सकती है।

आगामी एक्साइज पालिसी में जोड़ा जा सकता है

जानकारी के अनुसार यह नया सिस्टम आगामी एक्साइज पालिसी में जोड़ा जा सकता है। इससे पूरे शराब प्रोडक्शन और ट्रांजेक्शन साइकिल की निगरानी की जा सकेगी। इसके जरिए शराब के मूल को ट्रेस किया जाएगा। एक्साइज विभाग और अन्य कानून लागू करवाने वाली एजेंसियों को इस सिस्टम से शराब की तस्करी रुकने की काफी उम्मीद है। आईटी विभाग और नेशनल इंफोर्मेटिक (एनआईसी) सेंटर के सहयोग से यह सिस्टम शुरु होगा। इसके तहत प्रत्येक शराब की बोतल को रियल टाइम में ट्रैक किया जा सकेगा।

जानिए कितनी शराब की बोतलों का कोटा है शहर के लिए

आपको बता दें कि शहर की अनुमानित जनसंख्या साढ़े 12 लाख के आस पास है। हर वित्त वर्ष में शहर के लिए शराब का भारी कोटा इसके गैरकानूनी तस्करी के लिए भी प्रयोग हो रहा है। वर्तमान वित्त वर्ष में इंडियन मेड फॉरेन लिकर, विदेशी शराब और देसी शराब का कोटा 2.71 करोड़ बोतलों का है। वहीं बियर की बोतलों का कोटा 70 लाख से ज्यादा है।

राजस्व भी बढ़ेगा और तस्करी भी होगी कम

इस नए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम से न सिर्फ शराब तस्करी को रोकने में सहायता होगा बल्कि इससे एक्साइज का राजस्व भी बढ़ने लगेगा। इस नए सिस्टम को चलाने के लिए एक्साइज विभाग के कर्मियों के साथ ही, डिपो/वेयरहाउस, मैनुफैक्चरर्स और रिटेलर्स भी यूजर्स के रूप में जुड़ेंगे।

यह सब एक वेब पोर्टल/ मोबाइल एप के माध्यम से आपस में जुड़े रहेंगे जिससे पूरी एक्साइज सप्लाई की कड़ी की निगरानी और इसे नियंत्रित किया जा सके। इस सिस्टम के लिए लिकर लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी जिसके जरिए होलोग्राम और इंटेग्लियो-प्रिंटेड सिक्योरिटी लेबल बोटलिंग और लेबलिंग के दौरान लगाए जा सकें।