Paytm Inside Story: यूपी के मूल निवासी इस गरीब लड़के की आजकल खूब चर्चा हो रही है। यूपी के अलीगढ़ (Aligarh) जिले में पैदा हुआ एक गरीब लड़का देश का चर्चित अरबपति (Billionaire) है। यूपी के नोएडा शहर (Noida City) में अपनी कंपनी का मुख्यालय स्थापित करने वाला यह लड़का साल 2010 में किराए के एक छोटे से कमरे में उधार के पैसों से गुजारा करता था। अब यही गरीब लड़का अरबपति हैं। आज हम उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में पैदा हुआ एक गरीब इंजीनियर (Engineer) के अरबपति बनने की पूरी कहानी के बारे में बताएगें।
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यूपी के मूल निवासी इस गरीब लड़के की आजकल खूब चर्चा हो रही है। बता दें कि यह लड़का और कोई नहीं बल्कि देश की सबसे तेजी से चर्चित हुई पेटीएम एप कंपनी का मालिक विजय शेखर शर्मा है। इन दिनों आरबीआई (RBI) के एक फैसले के कारण पेटीएम की जबरदस्त चर्चा हो रही है।
इस चर्चा का कारण आरबीआई द्वारा पेटीएम (Paytm) पर रोक लगाई गई है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि पेटीएम कंपनी का मालिक कौन है, लोग यह भी जानना चाहते हैं कि पेटीएम इतनी बड़ी कंपनी कैसे बनी यहां हम आपको विस्तार से बता रहे हैं पेटीएम तथा पेटीएम के मालिक की पूरी कहानी पढ़िए…
विजय शेखर का जन्म 15 जुलाई 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के हरदुआगंज (Harduaganj) में एक सामान्य परिवार में हुआ था। विजय शेखर की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ के एक हिंदी मीडियम स्कूल में हुई थी। विजय प्रारंभ से ही मेधावी छात्र थे और कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। मात्र 14 वर्ष की आयु में ही विजय ने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
19 साल में दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से बीटेक भी पूरी की। वह 4 भाई-बहन हैं, उनके पिता सुलोम प्रकाश एक स्कूल में अध्यापक के रूप में काम करते थे और उनकी मां आशा शर्मा घर की देखभाल करती थीं। विजय शेखर शर्मा ने 2005 में मृदुला पराशर से शादी की। जब वह 10 हजार रुपये कमाते थे, तो उनकी शादी नहीं हो रही थी, परंतु सफल होने के बाद हर एक व्यक्ति अपनी बेटी का विवाह उनसे करवाना चाहता था।
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गरीबी से शुरू हुआ विजय शेखर का सफर
पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ा, एक गरीब मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि का लड़का, संघर्ष के दिनों में जिसके पास पेट भरने तक के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे, कैसे इंजीनियर बनने का ख्वाब लिए दिल्ली आता है, और फिर भारतीय बाजार में एक नए विचार को जन्म देता है, यह कहानी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की है,
जिन्होंने ‘गो बिग और गो होम’ को अपने व्यावसायिक जीवन का फलसफा तो बनाया, लेकिन बड़े सपनों के पीछे भागते हुए कभी उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि उनकी दौड़ उन्हें वहां ले जाएगी, जहां से आगे कोई राह नहीं होगी। विजय भारतीय समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग का चेहरा रहे हैं।
भले ही वह एक ऐसे परिवार से आते थे, जहां वित्तीय समस्याएं थीं, फिर भी बाधाओं को तोड़ते हुए वे भारतीय स्टार्टअप में सबसे बड़े नामों में से एक बने। लगातार सीमाओं को लांघते हुए और डिजिटल लेन-देन के परिदृश्य में क्रांति लाकर विजय शेखर शर्मा ने न केवल बहुत समृद्धि अर्जित की है, बल्कि भारत में व्यापार के पारिस्थितिक तंत्र को भी बदल कर रख दिया है।
आज के समय में वह और उनका पेटीएम (Paytm) चर्चा का विषय बने हुए हैं, तो इसके पीछे की वजह है आरबीआई ने उनके पेटीएम पेमेंट बैंक पर प्रतिबंध लगाते हुए यह घोषणा की है कि 29 फरवरी, 2024 के बाद अकाउंट और वॉलेट में नई जमा राशि स्वीकार नहीं की जाएगी।
साल 2010 में दिल्ली में एक छोटे-से किराये के कमरे से शुरुआत करने वाले विजय शेखर ने उस समय कल्पना भी नहीं की होगी कि जिस पेटीएम के माध्यम से वह डिजिटल इंडिया का सबसे बड़ा चेहरा बनने जा रहे हैं, वह पेटीएम एक दिन इस कगार पर पहुंच जाएगा।
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मात्र 2 कप चाय से ही बिताना पढ़ता था पूरा दिन
साल 1997 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इंडिया साइट डॉट नेट (indiasite.net) नाम की एक वेबसाइट बनाई थी। बाद में उन्होंने इसे अच्छी कीमत पर बेचा दिया। साल 2000 में उन्होंने वन-97 कम्युनिकेशंस की स्थापना की, जो वन-97 पेटीएम की पैरेंट कंपनी है। इस कंपनी की वजह से ही साल भर में बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ा।
11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए भीषण हमले का असर मार्केट पर इतना अधिक पड़ा था कि बड़े-बड़े संस्थान हिल गए थे। इसका असर विजय शेखर की कंपनी पर भी पड़ा। आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि बस का किराया न होने पर वो पैदल चलकर घर जाते थे। कभी- कभी पैसे की इतनी अधिक तंगी हो जाती थी कि पूरा दिन मात्र 2 कप चाय से ही काम चलना पड़ता था। उन्होंने लोगों के घर-घर जाकर कंप्यूटर रिपेयर करने का काम किया, लेकिन सपने देखना बंद नहीं किया।
इंग्लिश नहीं आने की वजह से बना मजाक
दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने से पहले विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) की पूरी पढ़ाई हिंदी मीडियम में हुई थी। इंजीनियरिंग के दौरान उन्हें उतनी अच्छी अंग्रेजी नहीं आती थी, जिस कारण उनके साथ पढ़ने वाले कुछ छात्र उनका मजाक भी उड़ाते थे।
लेकिन उन्हें कुछ ऐसे भी दोस्त मिले, जिन्होंने अंग्रेजी सीखने में मदद की। इंग्लिश भाषा को सीखने के लिए विजय छुट्टियों के दिन फॉर्च्यून और फोर्ब्स जैसी मैग्जीन, न्यूजपेपर और अन्य किताबें पढ़ा करते थे, जहां उन्हें कई अरबपतियों और उनकी कंपनी को खड़ी करने के जर्नी के बारे में पता चला. फिर क्या उन्होंने भी खुद का कुछ करने की इच्छा बना ली।
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जानिए कैसे बने अरबपति?
विजय शेखर कहते हैं कि बहुत समय तक उनके माता-पिता को पता ही नहीं था कि उनका बेटा करता क्या है। लेकिन एक बार मेरी मां ने मेरे बारे में अखबार में पढ़ा, जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा इतना अमीर हो गया है। उन्होंने मुझसे पूछा कि वाकई तेरे पास इतना पैसा है?
तब विजय अपनी मां की बात पर हंस पड़े। विजय की किस्मत कुछ ऐसी बदली कि वे साल 2017 में भारत के सबसे कम उम्र के अरबपति बन गए। फाइनेंस-टेक कंपनी पेटीएम अब भारत की सबसे मशहूर कंपनियों में से एक बन गई है और नए उद्योगपतियों के लिए एक प्रेरणा भी।
नोटबंदी बना पेटीएम के लिए बड़ा मौका
पेटीएम और इसके साथ ही फाउंडर विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) की किस्तम उस समय बुलंदियों पर पहुंच गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में नोटबंटी का ऐलान किया था। ये वो समय भी था, जबकि सरकार की ओर से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया जा रहा था।
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नोटबंदी और डिजिटलीकरण की मुहिम ने ऐसा कमाल किया कि पेटीएम यूजर्स की संख्या हर दिन के साथ बढ़ती चली गई। केंद्र ने इसी समय यूपीआई यानी एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payment Interface) लॉन्च किया था। नकदी की कमी हुई तो लोगों ने पेटीएम के जरिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का विकल्प बेहतर समझा। यूजर्स बढ़ने के साथ ही पेटीएम ऑनलाइन भुगतान करने का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा।
पेटीएम पर भारी संकट
500 मिलियन भारतीय ग्राहकों (Indian Customers) तक बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज को पहुंचाने और कंपनी के ऑपरेशन को विस्तार देने के इरादे से विजय शेखर ने साल 2019 में पेटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत की। यह देश के सबसे बड़े डिजिटल बैंक में से एक है। वर्तमान संकट पेटीएम पेमेंट बैंक से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते मूल ब्रांड पेटीएम की छवि मुश्किल में है। फिलहाल भारत में पेटीएम को 2 बड़े प्रतिद्वंद्वी वॉलमार्ट का फोन पे और गूगल पे हैं।