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Noida: बिल्डर का कारनामा, फ्लैट बायर्स को गुमराह कर 26 की जगह 29 मंजिल की बिल्डिंग बना कर बेची

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Noida के इस सेक्टर में स्थित एक रियल एस्टेट परियोजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।

Noida News: नोएडा में एक बिल्डर का बड़ा कारनामा सामने आया है। यहां एक रियल एस्टेट कंपनी (Real Estate Company) ने 26 मंजिला इमारत की मंजूरी लेकर 29 मंजिला बिल्डिंग (Building) बना डाली। सबसे बड़ी बात यह है कि खरीदारों (Buyers) को कब्जा भी मंजूर नक्शे से अलग जगह पर दिया जा रहा है, जिससे आवंटियों में भारी आक्रोश है। इस पूरे मामले में अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है, क्योंकि बिल्डर ने बिना अनुमति के अतिरिक्त मंजिलें बना लीं। खरीदारों ने बिल्डर (Builder) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पढ़िए पूरा मामला…

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सेक्टर-90 की अल्फाथंब परियोजना में गड़बड़ी

यह मामला नोएडा सेक्टर-90 स्थित अल्फाथंब परियोजना (AlphaThumb Project) से जुड़ा है। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर ने 26 मंजिल की मंजूरी लेकर 29 मंजिला इमारत खड़ी कर दी। वहीं, लोअर और अपर ग्राउंड फ्लोर के नक्शे में भी गड़बड़ी की गई है। मानचित्र में दिखाए गए फ्लोर से अलग मंजिल पर खरीदारों को प्रॉपर्टी का कब्जा दिया जा रहा है।

ओसी-सीसी जारी होने के बाद भी सवाल

प्राधिकरण की ओर से परियोजना को ओसी-सीसी (Occupancy and Completion Certificate) जारी कर दिया गया है और रजिस्ट्री की अनुमति भी दे दी गई है। लेकिन, खरीदारों का कहना है कि मंजूरी के बाद भी बिल्डर ने धोखाधड़ी और नियमों की अनदेखी की है। इसी आधार पर सेक्टर-142 थाना में बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि बिल्डर ने पैसा लेकर प्रॉपर्टी नहीं दी और कई लोगों के साथ आर्थिक धोखाधड़ी की।

अनुमति 23 मंजिला की, बनी 29 मंजिला इमारत

जानकारी के मुताबिक, नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने वर्ष 2014 में सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट लिमिटेड को आईटी-आईटीईएस श्रेणी का भूखंड संख्या-1 आवंटित किया था। उस समय 23 मंजिला इमारत की मंजूरी दी गई थी। बाद में 2017 में को-डेवलपर की एंट्री हुई और प्लान संशोधित कराकर 26 मंजिला बिल्डिंग की मंजूरी मिली। लेकिन मौके पर 29 मंजिला इमारत का निर्माण कर दिया गया।

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नक्शे और मंजूरी को लेकर कई शिकायतें

खरीदारों ने प्राधिकरण में नक्शे से जुड़ी अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की कई शिकायतें दर्ज कराईं। प्राधिकरण ने भी बिल्डर से संबंधित दस्तावेज मांगे और कई नोटिस जारी किए। इसके बावजूद अंत में ओसी-सीसी जारी कर रजिस्ट्री की मंजूरी दे दी गई, जिससे अब जांच पर सवाल उठ रहे हैं।

बिना रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी के कब्जा देने का आरोप

खरीदार सुम्बुल सिद्दिकी ने कहा कि बुकिंग के समय उन्हें नक्शे में अपर ग्राउंड फ्लोर को ग्राउंड फ्लोर बताया गया था। अब बिल्डर कब्जे के वक्त पहली मंजिल पर ‘अपर ग्राउंड’ का बोर्ड लगाकर उन्हें फ्लैट सौंपने की कोशिश कर रहा है, जबकि रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी भी पूरी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि वे गलत जगह पर प्रॉपर्टी का कब्जा नहीं लेंगे और इस मामले की शिकायत प्राधिकरण में दर्ज कराई गई है।

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बिल्डर ने आरोपों से किया इनकार

सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट लिमिटेड के निदेशक ईशान रस्तोगी ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि निर्माण पूरी तरह मंजूर प्लान के अनुसार किया गया है, और रेरा पोर्टल पर परियोजना से जुड़ी सभी जानकारियां अपलोड हैं। उनके अनुसार, खरीदारों को उन्हीं स्थानों पर प्रॉपर्टी दी जा रही है, जहां उनकी बुकिंग की गई थी।