Public Examination Bill 2024: पेपर लीक करने वालों की खैर नहीं क्योंकि असम राज्यसभा में पेपर लीक (Paper Leak) की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा बिल पेश (Bill Introduced) किया गया है। इस विधेयक के मुताबिक पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा (Punishment) और 1 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…
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केंद्र सरकार (Central Government) ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने के लिए बीते सोमवार 05 फरवरी 2024 को संसद में एक नया विधेयक पेश किया है। इसी बीच असम सरकार ने भी इसी तरह का एक विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किया है। असम सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में अनुचित साधनों में शामिल किसी भी व्यक्ति पर 10 साल तक की सजा और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा है।
सीएम हिमंत बिस्वा ने बिल को लेकर क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य विधानसभा में असम सार्वजनिक परीक्षा विधेयक (Examination Bill) 2024 पेश करते हुए, सीएम हिमंत बिस्वा ने कहा कि प्रस्तावित कानून किसी भी सरकारी अधिकारी को अच्छे विश्वास के साथ प्रावधानों को लागू करने के लिए पूर्ण छूट देगा।
सीएम ने बताया कि यह सरकार को परीक्षार्थी सहित उस व्यक्ति को दंडित करने का अधिकार देता है, जो किसी उम्मीदवार की सहायता के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्नपत्रों को लीक करने, उत्पादन, बेचने, प्रिंट करने या हल करने के किसी भी प्रयास में शामिल हो और बिना नियमित परीक्षा आयोजित करे।
5 साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माना
इस कानून (Law) के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले लोगों के लिए चाहे उन्हें परीक्षा आयोजित करने का काम सौंपा गया हो या नहीं, उन्हें कम से कम 5 साल की कैद होगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो 10 करोड़ रुपये तक जा सकता है। अगर व्यक्ति जुर्माने का भुगतान नहीं कर पाता है तो ऐसी स्थिति में उसे 2 साल की अवधि के लिए कारावास की सजा भी दी जाएगी।
पेपर लीक से जुड़े परीक्षार्थियों को जानिए कितनी सजा और जुर्माना?
परीक्षार्थियों (Examinees) को 3 साल तक की कैद हो सकती है और न्यूनतम 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। और भुगतान में चूक के मामले में सजा को 9 महीने और बढ़ाया जा सकता है। विधेयक में यह भी शामिल है कि सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर- समझौता योग्य बनाने और अपराधों की जांच के लिए पुलिस उपाधीक्षक रैंक या उससे ऊपर के एक अधिकारी को यह काम सौंपा जाएगा।
सीएम हिमंत बिस्वा (CM Himanta Biswa) ने विधेयक के उद्देश्य और कारणों को बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य राज्य में किसी भी पद की नौकरी या परीक्षा पत्रों को लीक के मामलों पर लगाम लगाना है।
क्यों पड़ी इस बिल की जरूरत?
यूपी, राजस्थान, तेलंगाना, एमपी, गुजरात, झारखंड में पेपर लीक होने के कारण परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी थी। और इन परीक्षाओं का आयोजन फिर से किया गया था। वहीं दोबारा से परीक्षा कराने पर राज्य सरकार का पैसा खर्च होता है और कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। साथ ही सरकार और स्थानीय प्रशासन को छात्रों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है।
कौन करेगा मामले की जांच?
पेपर लीक (Paper Leak) और नकल के मामलों की जांच पुलिस उपाधीक्षक, सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे। सरकार के पास केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने का अधिकार होगा। परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बनाने के लिए इस बिल को पेश किया गया है।