ज्योति शिंदे के साथ उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: अगर आप नोएडा या ग्रेटर नोएडा में रहते हैं और अपने बच्चों को ई-रिक्शा या फिर ऑटो से स्कूल भेजते हैं तो सावधान हो जाईए। क्योंकि ऐसे ई-रिक्शा या फिर ऑटो चालकों के खिलाफ यूपी प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। 5 हजार रुपए के जुर्माने के साथ गाड़ी जब्त की जा सकती है।
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परिवहन विभाग के अनुसार इन वाहनों पर बच्चों का सफर उनकी जान को जोखिम में डालने वाला है। बच्चे सिर्फ बस और व्यावसायिक वैन से स्कूल जा सकते हैं।
बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है यह सफर
एआरटीओ के मुताबिक ई-रिक्शा में बच्चों के लिए सफर सुरक्षित नहीं है। इसमें बच्चे आसानी से हाथ और सिर बाहर निकाल सकते हैं, जिससे हादसा होने का खतरा बना रहता है। मोदीनगर स्कूल बस हादसे के बाद से बसों की खिड़कियों को पूरी तरह से कवर करना अनिवार्य कर दिया गया है। ताकि बच्चे उनमें सुरक्षित रह सकें।
लगेगा 5 हजार का जुर्माना
उन्होंने आगे कहा कि स्कूली बच्चों को ढोने वाले ई-रिक्शा और ऑटो चालकों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 1868 स्कूल बसें रजिस्टर हैं। वहीं वैन की संख्या 239 है। जिले में पंजीकृत ई-रिक्शा 13 हजार से अधिक है।
ऑटो यूनियन ने किया समर्थन
नोएडा ऑटो यूनियन ने भी समर्थन किया नोएडा सीएनजी ऑटो चालक यूनियन ने भी परिवहन विभाग की सख्ती का समर्थन किया है। यूनियन के अध्यक्ष ओमप्रकाश गुर्जर ने कहा कि कमाई के लिए ऑटो चालक बच्चों के जीवन से खिलवाड़ न करें। उन्होंने कहा कि जिले में 19611 ऑटो पंजीकृत हैं। सभी इस कार्य में नहीं लगे हैं। उनसे सीख लें।
NCR पैरेंट्स एसोसिएशन के फाउंडर सुखपाल सिंह तुर ने यूपी सरकार के फैसले पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि ये बच्चे और पेंरेंट्स दोनों के हित में है। पेरेंट्स को इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए
ANSPA के महासिचव के अरुणाचलम का मानना है कि ई-रिक्शा या फिर ऑटो..किसी भी सूरत में बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि बच्चे कभी भी शांत बैठने वालों में से नहीं हैं। ऐसे में गाड़ियों से हाथ-पैर बाहर निकालना उनके लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।
सोशल एक्टिविस्ट शशिभूषण साह ने यूपी सरकार के फैसले की तारीफ़ की। उनका कहना है कि ऐसे फैसलों से पेरेंट्स पर पैसों का थोड़ा बोझ पड़ सकता है। लेकिन उनके बच्चे सुरक्षित रहेंगे इसमें कोई दो राय नहीं है।
अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ेंगी
हालांकि कुछ पेरेंट्स का मानना है कि कई दफा स्कूल नजदीक होने के कारण वो अपने बच्चों को कम खर्च की वजह से ई-रिक्शा और ऑटो लगवाना सस्ता पड़ता है।