’भारत24’ के पत्रकार का ‘विदाई पैकेज’ जरूर पढ़िए

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आजतक, इंडिया टीवी, ज़ी मीडिया, एबीपी नेटवर्क जैसे संस्थानों में अपनी पारी खेल चुके पत्रकार प्रभाकर कुमार ने अब भारत 24 को भी अलविदा बोल दिया है। वो यहाँ इवनिंग शिफ्ट इंचार्ज के तौर पर पिछले 9 महीने से काम कर रहे थे।उन्होंने बेहद ही शानदार अंदाज़ में चैनल को गुड बाय बोला है। उन्होंने चैनल के आउटपुट मेल पर कुछ इस अंदाज़ में सबको धन्यवाद कहा। और इसके साथ ही प्रभाकर ने शमशेर सिंह के चैनल इंडिया डेली ज्वाइन कर लिया है।

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सफ़रनामा EXIT PKG

(( भारत 24 में 9 महीने के मेरे छोटे से कार्यकाल के बारे में अपनी-अपनी मेमोरी में फ़ीड यादों के आधार पर अच्छा सा एक MONTAGE बनाएं.. ))

(( CHAPTER PLATE 1 ))

आज भारत 24 में आख़िरी दिन

(( CHAPTER PLATE 2 ))

फिर मिलेंगे चलते चलते…

नैट.. शुक्रिया… यारा शुक्रिया… प्यार जो इतना दिया…..

वीओ.1- जितना वक्त एक मां को अपने बच्चे को जन्म देने में लगता है.. उतना ही वक्त मैंने यहां गुज़ारा है। यानि भारत 24 के साथ महज़ 9 महीने के छोटे से सफ़र पर अब यहीं विराम लगा रहा हूं। हालांकि इतने कम वक़्त में यहां से जो प्यार मिला। वो वाक़ई अद्भुत है। उसे मैं यादों की पोटली में समेटे जा रहा हूं। जिसे हफ़्ते-महीने में एक बार ज़रूर खोल लिया करूंगा।

नैट.. यारा तेरी यारी को मैंने तो खुदा माना… याद करेगी दुनिया तेरा-मेरा अफ़साना…..

अब किसी नई यात्रा पर निकलना है। चूंकि हर यात्रा की एक मंज़िल होती है, इसलिए ज़रूरी है कि पहले थोड़ा विश्राम किया जाए। फिर करियर के 17वें बरस में नई और थोड़ी बड़ी यात्रा शुरू की जाए।

नैट.. ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मुक़ाम…..

वैसे भी ये विदाई नहीं है। बल्कि तरक्की के लिए सिर्फ एक ‘रुकावट’ है। जिसमें आप सभी सहयोगी फिर किसी नई मंज़िल पर मिलेंगे.. और कारवां आगे बढ़ेगा।

नैट.. आप सब जैसा यार कहां… कहां ऐसा याराना…..

उमर सर और अमित सर का ख़ास शुक्रिया। जिन्होंने मुझे इस क़ाबिल समझा कि यहां उन्होंने बड़े ‘ओहदे’ से सम्मानित किया। नेशनल चैनल में इस ‘ओहदे’ का हक़दार बनाने के लिए आप दोनों का दिल से शुक्रिया सर।

नैट.. मेरी ज़िंदगी संवारी… मुझको गले लगा के… बैठा दिया फ़लक पे.….

और JC SIR को कौन भूल सकता है, जिन्होंने मुझे अच्छे काम के लिए कई बार सम्मानित किया और हमेशा हौसला अफजाई की। उनके साथ मिलकर आख़िरी क्षण तो मैं जीवन भर नहीं भूल सकता।

नैट.. मुझे हीरे से मतलब क्या… मेरे तो ‘BOSS’ हीरा हैं…..

संदीप सर का भी दिल से आभार कि मेरी मेहनत का हर बार उन्होंने डंका बजाया और बार-बार मेरी तारीफ़ की। उन्हें ख़ासकर यक़ीन दिलाना मुश्किल होगा कि कल से मैं संस्थान का हिस्सा नहीं रहूंगा।

नैट.. मेरे वास्ते आपने क्या कुछ नहीं किया… 100 बार शुक्रिया… सर, 100 बार शुक्रिया…..

चूंकि हर किसी के बारे में लिखने पर ये कोई 5 मिनट का पैकेज नहीं रह जाएगा। बल्कि आधे घंटे का पूरा शो बन जाएगा। जिसे एडिट कराने में भी आप लोगों को बहुत मुश्किल आएगी। इसलिए कम पंक्तियों में ज़्यादा कुछ समेटने की कोशिश करता हूं।

नैट.. बरसों जो ख़्वाब बुने… सच वो आज हुए…..

ये ज़रूर कहना चाहूंगा कि आप सब बेहतरीन व्यक्तिव हैं। जिनसे बहुत कुछ सीखकर जा रहा हूं। क्योंकि बेहतरीन टीम के साथ काम करके इंसान नए मुक़ाम ही हासिल करता है और मैं शुक्रगुज़ार हूं कि मुझे यहां सफलता की सीढ़ियां चढ़ने का काफी मौक़ा मिला।

नैट.. ज़िंदगी के तराने गुनगुनाइए… सफ़लता की सीढ़ियां चढ़ते जाइए…..

वीओ.2- चूंकि मीडिया की छोटी सी दुनिया है। जिसमें कभी ना कभी.. कहीं ना कहीं फिर ज़रूर मुलाक़ात होगी। मतलब यहां कवि ये कहना चाहता है कि हे पार्थ ! जगह बदल रहा हूं, लेकिन न मैं बदलूंगा और न ही मेरा फ़ोन नंबर। सो, कभी भी मुझे याद कर सकते हैं।

नैट.. ख़ुशी-ख़ुशी कर दो विदा… कि फिर कहीं सफ़र शुरू करने की कोशिश है...

वीओ.3- आप लोगों को भी वो ‘मंत्र’ याद रहे। ‘ख़बर ही जीवन है’ इस स्लोगन को अंतरात्मा में बसाकर रखें और संस्थान में काम करते वक्त इसे हमेशा फलीभूत करते रहें।

नैट.. ज़िंदगी और कुछ भी नहीं… रोज़ाना ख़बरों की ही कहानी है…..

और हां.. मैंने अगर किसी अग्रज का कभी भी दिल दुखाया हो, तो इसके लिए मैं ‘चरण स्पर्श’ करके माफ़ी मांगूंगा और कनिष्ठ सहयोगियों को बेहतरीन काम के लिए मेरी तरफ़ से ढेर सारा प्यार और दुलार।

नैट.. अच्छा चलता हूं.. दुआओं में याद रखना…..

फ़ाइनल वीओ.-  बाक़ी सब ख़ैरियत है।….. अब चलता हूं। अभी कहीं और जाकर ‘ओपनिंग एंकर’ भी लिखना है !

नैट.. सबका जलवा क़ायम रहे… आप सभी का शुक्रिया…..

ब्यूरो रिपोर्ट, भारत 24

BYE-BYE

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