Internet: भारत समेत कई एशियाई देशों में इंटरनेट की रफ्तार धीमी हो गई है।
Internet: भारत समेत कई एशियाई देशों में इंटरनेट (Internet) की रफ्तार धीमी हो गई है। वजह है रेड सी (Red Sea) में समुद्र के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट केबल्स (Fiber Optic Internet Cables) का कटना। इस घटना ने ना सिर्फ इंटरनेट की स्पीड पर असर डाला है, बल्कि ग्लोबल कनेक्टिविटी को भी प्रभावित किया है। इंटरनेट मॉनिटरिंग एजेंसी NetBlocks ने इस बात की पुष्टि की है। पढ़िए पूरी खबर…

आपको बता दें यह घटना 6 सितंबर 2025 को हुई, जब लाल सागर में SEACOM/TGN-EA, AAE-1 और EIG जैसी प्रमुख अंडरसी केबल्स क्षतिग्रस्त हो गईं। ये केबल्स माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड प्लेटफॉर्म Azure सहित यूरोप और एशिया के बीच डेटा ट्रांसफर के लिए महत्वपूर्ण हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि इन केबल्स की मरम्मत में हफ्तों लग सकते हैं, जिसके चलते यूजर्स को धीमी इंटरनेट स्पीड का सामना करना पड़ रहा है।
बिजनेस, ऑनलाइन क्लासेस और स्ट्रीमिंग पर असर
माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने अपने Azure सर्विस अपडेट में कहा कि मध्य पूर्व से होकर गुजरने वाला इंटरनेट ट्रैफिक सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जिससे यूजर्स को लेटेंसी (देरी) की समस्या हो रही है। लाल सागर से गुजरने वाला 17% वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक यूरोप और एशिया को जोड़ता है। इस घटना से बिजनेस, ऑनलाइन क्लासेस, वीडियो स्ट्रीमिंग और अन्य डिजिटल सेवाओं में रुकावटें आई हैं, जिससे कई कंपनियों को नुकसान का खतरा है।
हूती विद्रोहियों पर साजिश का शक
PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के पीछे यमन के हूती विद्रोहियों पर शक जताया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह इजरायल पर गाजा युद्ध को रोकने के लिए दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। लेकिन, हूती विद्रोहियों ने ऐसी किसी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है। लाल सागर में चल रहे क्षेत्रीय संघर्षों ने इस घटना को और रहस्यमय बना दिया है।
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क्या होती हैं अंडरसी केबल्स?
अंडरसी केबल्स (Undersea Cables) समुद्र के तल में बिछाई गई फाइबर-ऑप्टिक केबल्स होती हैं, जो इंटरनेट, टेलीफोन कॉल और डेटा ट्रांसफर के लिए लाइट सिग्नल्स का उपयोग करती हैं। ये केबल्स वैश्विक इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ मानी जाती हैं। लाल सागर में क्षतिग्रस्त केबल्स में साउथ ईस्ट एशिया-मिडल ईस्ट-वेस्टर्न यूरोप 4 (SMW4) और इंडिया-मिडल ईस्ट-वेस्टर्न यूरोप (IMEWE) जैसे सिस्टम शामिल हैं, जो सऊदी अरब के जेद्दा के पास प्रभावित हुए हैं।
कैसे हुई घटना, अभी साफ नहीं
केबल्स के क्षतिग्रस्त होने का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। पहले भी ऐसी घटनाओं में जहाजों के लंगर (एंकर) या प्राकृतिक आपदाओं को जिम्मेदार ठहराया गया है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्रीय अस्थिरता को देखते हुए जानबूझकर तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर यह साजिश साबित होती है, तो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भविष्य में बड़े खतरे हो सकते हैं।

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माइक्रोसॉफ्ट और टेलिकॉम कंपनियों के प्रयास
माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रख रही है और वैकल्पिक रूट्स के जरिए ट्रैफिक को डायवर्ट करने की कोशिश कर रही है। लेकिन, यूजर्स को अभी भी धीमी स्पीड और कनेक्टिविटी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि मध्य पूर्व से न गुजरने वाली केबल्स पर कोई असर नहीं पड़ा है। टेलिकॉम कंपनियां और सरकारें इस घटना की जांच में जुटी हैं, लेकिन मरम्मत में समय लग सकता है।

