Noida-ग्रेटर नोएडा के ढाई लाख़ फ़्लैट ख़रीदारों के लिए ज़रूरी ख़बर

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

Noida News: नोएडा और ग्रेटर नोएडा के ढाई लाख़ फ़्लैट ख़रीदारों के लिए बड़ी खबर है। आपको बता दें कि अमिताभकांत समिति (Amitabhkant Committee) की सिफ़ारिशों के आधार पर यूपी सरकार ने बिल्डरों को बड़ी राहत देने का फैसला किया है। यूपी सरकार (UP government) के फ़ैसले को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बता दें कि कल यानी कि शनिवार को नोएडा (Noida ) और ग्रेटर नोएडा में रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के लगभग ढाई लाख फ़्लैट खरीदारों को राहत देने को लेकर बैठक हुई।
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इस सिलसिले में शनिवार को नोएडा की 57 परियोजनाओं के बिल्डरों को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) बुलाया गया था। कुछ को छोड़कर सभी बिल्डर या उनके प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लिए। वहां एक बड़ी बैठक हुई है। इस बैठक में बिल्डरों को बकाये की जानकारी दी गई। साथ ही बकाया चुकाकर रजिस्ट्री का काम शुरू करने के लिए भी कहा गया। बिल्डरों को कई मामले में राहत देने पर भी बैठक में चर्चा हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़्यादातर मसलों पर सहमति बन गई है, लेकिन प्राधिकरण के बकाया 13 हज़ार करोड़ रुपये चुकाने के लिए बिल्डरों की ओर से दिए गए प्लान से अफ़सर सहमत नहीं हैं।

क्या हुआ बैठक में

नोएडा में एनसीएलटी (NCLT) और कोर्ट मामलों को अगर छोड़ दिया जाए तो कुल 7,800 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसी तरह ग्रेटर नोएडा में कुल 96 प्रोजेक्ट पर 5,500 करोड़ रुपये का बकाया है। बैठक में 80 प्रतिशत बिल्डरों के बकाये की गणना सही पाई गई है। 20 प्रतिशत बिल्डरों ने गणना को लेकर आपत्ति जाहिर की है। इसको लेकर बिल्डर के कुछ तर्क थे जिस पर सीईओ ने प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के साथ बैठकर सुलझाने को कहा है। अथॉरिटी के अधिकारियों ने कहा कि कुछ बिल्डरों ने दावा किया है कि कोविड काल के दौरान पैसे जमा कराए थे। इसकी जानकारी प्राधिकरण को नहीं हुई है। वह अपने कागजात लेकर आएं जिससे बकाये की राशि से जमा राशि को समायोजित किया जाए और नई गणना कराई जा सके। नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन और औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह के सामने बिल्डरों को एक बार फिर बुलाए गए है।

बिल्डरों को औसतन 21 प्रतिशत की छूट

नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने जानकारी दी कि कोरोना काल के दौरान दो साल के ब्याज को 0 कर दिया गया है। बिल्डरों को कुल बकाया में से औसतन 21 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। इसके साथ ही जिन बिल्डरों को एनजीटी काल की छूट मिल रही है, उनके बकाये में 40 प्रतिशत तक की छूट मिल रही है। कुछ बिल्डरों ने कोविड काल के दौरान भी पैसे जमा कराए हैं, उनके पैसे समायोजित करने पर छूट की राशि बढ़ रही है।

नोएडा के 20 बिल्डरों को छूट

एक आंकड़े के अनुसार लगभग 20 बिल्डर ऐसे हैं, जिनको कोविड और एनजीटी काल से जुड़ी छूट का लाभ मिला है। वहीं, कुछ बिल्डरों का कहना है कि गणना में तकनीकी समस्या आ रही है। प्राधिकरण ने सबसे पहले 2020 से 2022 तक के लिए छूट की गणना की है। इसके बाद एनजीटी काल से पहले वर्षों 2013 से 2015 की गणना की है। पहले एनजीटी काल की गणना की जाती तो उनका प्रिंसिपल अमाउंट कम जाता। इसके बाद 2020 से 2022 के दौरान की गणना में राशि कम आती। इस वजह से राशि अब भी उम्मीद से अधिक है।

अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें मंजूर

नोएडा समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की दिक्ततों का हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को हुआ था। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का जिम्मा दिया गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का ठीक से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों के पास भेजा। अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने समिति की करीब आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।

आखिर कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में आने वाले दर्जनों बिल्डर्स के बहुत सारे प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हैं। किसी के पास फंड की कमी है तो किसी का प्राधिकरण पर बकाया है। इसके अलावा कई बिल्डर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। कुछ प्रोजेक्ट कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं।