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Holi: होली पर मथुरा-वृंदावन जाने से पहले ये खबर पढ़ लें

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Holi: होली पर मथुरा-वृंदावन जाने का बना रहे हैं प्लॉन, तो पढ़िए यह जरूरी खबर

Holi: होली का पर्व पास आ गया है। सभी लोग होली को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दिए हैं। किसी को होली पर घर जाना है तो किसी को होली पर मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan)। अगर आप भी होली (Holi) पर मथुरा-वृंदावन जाने की सोच रहे हैं तो यह खबर जरूर पढ़ लीजिए। आपको बता दें कि भारत के सभी राज्यों में होली के त्योहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। लेकिन होली मनाने के लिए देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोगों की अच्छी खासी तादाद मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) पहुंचती है। इस बार भी होली पर यहां पर आपको अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलने वाली है।
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छोटे बच्चों के साथ न जाएं मथुरा-वृंदावन

होली के त्यौहार के पास आते ही मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) में आने वाले लोगों की तादाद बढ़ती जाती है। यही कारण है कि होली के आसपास आपको छोटे बच्चों के साथ मथुरा-वृंदावन जाने से बचना चाहिए। इतनी ज्यादा भीड़भाड़ में छोटे बच्चों के साथ जाने से आपको और बच्चे को, दोनों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

बुजुर्गों को भी जाने से बचना चाहिए

बुजुर्गों के साथ भी होली खेलने के लिए मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) जाने से बचना चाहिए। भीड़ के कारण से बुजुर्गों को सेहत से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों के अलावा जिन लोगों को भीड़भाड़ में जाकर घबराहट या फिर बेचैनी जैसी समस्या भी हो सकती है, उन्हें भी होली पर मथुरा-वृंदावन का प्लान बनाने से बचना चाहिए।

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मथुरा-वृंदावन कब जाना बेहतर?

आपको बता दें कि ब्रज (Braj) में होली की शुरुआत बसंत पंचमी से ही हो जाती है। मथुरा-वृंदावन की होली 40 दिनों तक चलती है। अगर आप मथुरा-वृंदावन के रंगोत्सव के माहौल को देखना चाहते हैं, तो होली के दिन जाने की जगह ब्रज की होली के महोत्सव की शुरुआत के दौरान मथुरा-वृंदावन जा सकते हैं। दरअसल, महोत्सव की शुरुआत में आपको होली के दिन की तुलना में काफी कम भीड़ मिलेगी।

ब्रज की होली और फूलों वाली होली दोनों ही मथुरा-वृंदावन में खेली जाती है। ब्रज की होली का तात्पर्य ब्रज क्षेत्र में होली मनाने से है, जिसमें मथुरा, वृन्दावन और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। यहां पर होली खेलने के लिए विभिन्न रीति-रिवाज शामिल हैं जैसे लठमार होली, जहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, और रासलीला, जिसमें नृत्य और संगीत के माध्यम से राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम को दर्शाया जाता है।

होली खेलने के बाद आप फ्रेश होकर मथुरा-वृंदावन की मंदिरों में दर्शन करने जा सकते हैं। बता दें, यहां पर भगवान कृष्ण को समर्पित कई प्राचीन मंदिर हैं। जिनमें बांके बिहारी मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इन मंदिरों में होने वाली शाम की आरती में शामिल हो सकते हैं।