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Ola-Uber: यात्रियों को मिलेगा कम किराए का लाभ

Ola-Uber: भारत सरकार अब टैक्सी सेवा (Taxi Service) क्षेत्र में बड़ा कदम उठाने जा रही है। देश में जल्द ही एक नई सहकारी टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी, जिसमें ड्राइवर (Driver) खुद मालिक होंगे और उन्हें ओला-उबर (Ola-Uber) जैसी निजी कंपनियों (Private Companies) को भारी कमीशन नहीं देना होगा। इस पहल से जहां ड्राइवरों को अधिक लाभ मिलेगा, वहीं यात्रियों को भी किफायती दरों पर टैक्सी सेवा उपलब्ध होगी। यह सेवा वर्ष 2024 के अंत तक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे में शुरू की जाएगी।

Pic Social Media

ड्राइवर होंगे मालिक

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Minister Amit Shah) की पहल पर शुरू होने वाली इस टैक्सी सेवा को मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव एक्ट के तहत पंजीकृत किया गया है। इस मॉडल में टैक्सी चालक सहकारी समिति के सदस्य होंगे और एक यूनिफाइड मोबाइल ऐप के जरिए सेवा संचालित करेंगे। ऐप का मालिकाना हक ड्राइवरों के पास होगा, और किराया भी सहकारी समिति ही तय करेगी। मुनाफे पर मात्र 3-4 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा, जो समिति के खाते में जाएगा और बाद में ड्राइवरों को बीमा, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन जैसी सुविधाओं के लिए उपयोग होगा।

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कहां और कब शुरू होगी सेवा?

पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तहत 2025 के अंत तक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे में सेवा शुरू होगी। अगले साल तक सभी प्रमुख राज्यों की राजधानियों और अन्य बड़े शहरों में इसे विस्तार देने का लक्ष्य है। भविष्य में ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा चालकों को भी इस मॉडल में शामिल किया जाएगा। प्रत्येक शहर में लगभग 500 टैक्सी चालकों की सहकारी समिति बनाई जाएगी, जिसमें केवल समिति के सदस्य ड्राइवर ही शामिल होंगे।

यात्रियों और ड्राइवरों को क्या लाभ?

ड्राइवरों के लिए: सहकारी मॉडल में ड्राइवरों को कंपनी कमीशन से मुक्ति मिलेगी। मुनाफा सीधे ड्राइवरों के बीच बंटेगा, और शुल्क से प्राप्त राशि से उन्हें सामाजिक सुरक्षा, बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलेंगी। ड्राइवरों का प्रोफाइल और सर्विस के आधार पर रेटिंग होगी, साथ ही शिकायतों का स्थानीय स्तर पर त्वरित समाधान होगा।

यात्रियों के लिए: किराया पारदर्शी और सरकारी मानकों के अनुसार प्रति किलोमीटर तय होगा। यूपीआई, डेबिट कार्ड और नकदी से भुगतान की सुविधा होगी। ऐप हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिसमें महिला सुरक्षा से जुड़े फीचर्स भी शामिल होंगे।

परियोजना का ढांचा और सहयोगी संस्थाएं

इस प्रोजेक्ट की निगरानी सहकारिता मंत्रालय करेगा। अमूल, नेफेड, नाबार्ड, इफको, कृभको और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) जैसी प्रमुख सहकारी संस्थाएं इसमें शामिल हैं। नेफेड को प्रारंभिक निवेश और पूंजी संबंधी समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी दी गई है। स्टार्टअप इंडिया और कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) तकनीकी प्लेटफॉर्म और ऐप डेवलपमेंट का काम संभालेंगे। एनसीडीसी डेटा संग्रह और सहकारी समितियों के नेटवर्क निर्माण में सहयोग करेगा, जबकि राज्यों के सहकारिता विभाग स्थानीय स्तर पर समितियों के गठन और देखरेख की जिम्मेदारी निभाएंगे।

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बता दें कि यह सहकारी टैक्सी सेवा (Co-Operative Taxi Service) पूरी तरह पारदर्शी होगी, जिसमें ड्राइवरों की हिस्सेदारी मालिकाना हक जैसी होगी। ऐप के फीचर्स और नियम तय करने का अधिकार भी ड्राइवरों के पास रहेगा। पंजीकरण और समितियों के गठन के बाद ऐप का ट्रायल रन शुरू होगा। यह पहल न केवल टैक्सी चालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि यात्रियों को सस्ती और सुरक्षित यात्रा का विकल्प भी प्रदान करेगी।