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Noida से दिल्ली..बिल्डरों में हड़कंप क्यों मचा है?

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Noida से दिल्ली और आसपास के शहरों में हड़कंप मच गया है।

Noida News: नोएडा से दिल्ली और आसपास के शहरों में रियल एस्टेट कंपनियों (Real Estate Companies) द्वारा खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। ED ने सोमवार को रियल एस्टेट सेक्टर की दो प्रमुख कंपनियों, डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप (Bhutanese Group) के ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई से दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में हड़कंप मच गया है। ED का दावा है कि इस छापेमारी में हजारों करोड़ की संपत्तियों का पता चला है और बड़ी संख्या में संवेदनशील दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। पढ़िए पूरी खबर…
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आपको बता दें कि ये मामला उन सैकड़ों खरीदारों और निवेशकों से संबंधित है जिन्होंने इन कंपनियों के प्रोजेक्ट्स में निवेश किया था, लेकिन न तो उन्हें घर दिए गए और न ही वादे के अनुसार प्‍लॉट सौंपे गए। 10 साल से भी अधिक समय बीतने के बावजूद ये परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं और निवेशकों की गाढ़ी कमाई हड़प ली गई।

ED ने बताया कि 27 फरवरी को दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप के प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई। इस कार्रवाई से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और फरीदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर का हवाला दिया गया है, जिसमें इन कंपनियों और उनके प्रमोटरों पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और सैकड़ों घर खरीदारों से धोखाधड़ी करने के आरोप लगाए गए हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला?

रियल्‍ट फर्म के खिलाफ सैकड़ों घर खरीदारों (Home Buyers) और इन्‍वेस्‍टर्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उनसे पैसे तो ले लिए गए, लेकिन घर मुहैया नहीं कराया गया। इसके आधार पर ही ईडी ने मामला दर्ज किया था। अब कार्रवाई की जा रही है। भूटानी इंफ्रा ने पिछले सप्ताह एक बयान में कहा था कि उसने हाल ही में डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ अपने सभी संबंध तोड़ लिए हैं और अब वह जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग कर रहा है।

ईडी (ED) ने बताया कि पुलिस एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों ने शहर के सेक्टर 111-114 में रेजिडेंशियल प्‍लॉट के लिए अपनी परियोजना में निवेश करने के लिए आम जनता को प्रलोभन दिया था। इसमें कहा गया है कि प्रमोटरों/निवेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा न करके और 10 साल से अधिक समय तक भूखंडों की डिलीवरी न करके प्‍लॉट खरीदारों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया।

भूटानी इंफ्रा का बयान

एक बयान में भूटानी इंफ्रा (Bhutanese Infra) ने कहा कि उसने डब्ल्यूटीसी ग्रुप (WTC Group) से अपने संबंधों को तोड़ लिया है और अब वह ED के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। जांच एजेंसी ने बताया कि एफआईआर में आरोप है कि डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटरों ने फरीदाबाद में रेजिडेंशियल प्लॉट्स के लिए निवेशकों को आकर्षित किया, लेकिन परियोजना समय पर पूरी नहीं की और प्लॉट्स की डिलीवरी 10 साल से अधिक समय तक नहीं की।

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सिंगापुर और अमेरिका तक हेराफेरी के सबूत

ED ने यह भी आरोप लगाया कि भूटानी इंफ्रा (Bhutanese Infra) ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप का अधिग्रहण किया और फिर फरीदाबाद में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया, जिससे प्लॉट खरीदारों को अव्यवस्था का सामना करना पड़ा और निवेशकों से धोखाधड़ी की गई। तलाशी के दौरान ED को 15 प्रोजेक्ट्स के खिलाफ 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली से संबंधित दस्तावेज मिले हैं, लेकिन यह नहीं बताया गया कि ये दस्तावेज कहां से बरामद किए गए। एजेंसी ने यह भी कहा कि डब्ल्यूटीसी ग्रुप द्वारा शुरू किए गए अधिकांश प्रोजेक्ट्स की डिलीवरी नहीं दी गई, जो कि एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और संपत्ति की हेराफेरी का संकेत देती है, जिसमें सिंगापुर और अमेरिका तक पैसे भेजने के सबूत मिले हैं।