Flash Therapy से ठीक होंगे कैंसर पेशेंट, कुछ ही सेकेंड में होगा इलाज
Flash Therapy: कैंसर आज भी सबसे खतरनाक बीमारी बना हुआ है। कैंसर (Cancer) का इलाज दुनिया के सबसे मुश्किल ट्रीटमेंट में से एक है। ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी का प्रयोग करके अभी तक ट्रीटमेंट किया जाता है, लेकिन इसके बहुत सारे साइड इफेक्ट (Side Effect) भी देखने को मिलते हैं, खासकर जब यह इलाज हेल्दी टिश्यू (tissues) को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन अब कैंसर से बीमार पेंशन के लिए अच्छी और राहत भरी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि अब कैंसर से बीमार लोगों का फ्लैश रेडियोथेरेपी (Flash Radiotherapy) नामक एक नई तकनीक इलाज किया जा सकेगा। यह तकनीक ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी की तुलना में ज्यादा तेज, प्रभावी और सुरक्षित मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि इसकी सहायता से सेकेंडों में कैंसर ठीक किया जा सकता है।
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फ्लैश रेडियोथेरेपी को जान लीजिए
आपको बता दें कि फ्लैश रेडियोथेरेपी (Flash Radiotherapy) एक एडवांस रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी है, जिसमें रेडिएशन को एक सेकंड से भी कम समय में मरीज के शरीर में दिया जाता है। ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी (Traditional Radiotherapy) में कैंसर सेल्स को समाप्त करने के लिए कई सेशन लगते हैं, लेकिन इस नई तकनीक में कुछ ही सेशन में इलाज संभव है।
फ्लैश रेडियोथेरेपी में रेडिएशन की डोज (dose) पारंपरिक तरीकों से 300 गुना ज्यादा होती है। यह डोज रेडिएशन एक विशेष प्रभाव पैदा करता है जिसे FLASH प्रभाव कहते हैं। इस प्रभाव के कारण ट्यूमर की कैंसर सेल्स समाप्त होती है, लेकिन आस-पास के हेल्दी टिश्यू को कम नुकसान पहुंचता है।
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ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी और फ्लैश रेडियोथेरेपी
ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी (Traditional Radiotherapy) में मरीज को रेडिएशन सेशन की लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह शारीरिक और मानसिक रूप से भी थकाने वाला हो सकता है। वहीं फ्लैश रेडियोथेरेपी में कम सेशन में इलाज संभव है।
जानिए कैसे काम करता है फ्लैश इफेक्ट
फ्लैश रेडियोथेरेपी में अल्ट्रा-हाई डोज रेडिएशन (Ultra-high dose radiation) हाई स्पीड से दिया जाता है। पूरा प्रोसेस न केवल कैंसर सेल्स को प्रभावी ढंग से समाप्त करता है बल्कि आसपास के नॉर्मल टिश्यू को भी बचाती है। इस तकनीक से ब्रेन कैंसर जैसे मामलों में भी हेल्दी टिश्यू को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायता मिल सकती है।
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इंसानों पर हो गया है ट्रायल
फ्लैश रेडियोथेरेपी को अब तक जानवरों पर प्रयोग किया जा चुका है। इसके काफी सकारात्मक और सुरक्षित परिणाम देखने को मिले हैं। इसके बाद 2022 में इसका पहला ह्यूमन ट्रायल भी हुआ था, जिसमें मेटास्टैटिक कैंसर (शरीर के दूसरे भागों में फैला हुआ कैंसर) से पीड़ित मरीजों पर रिसर्च की गई। इस टेस्ट के दौरान यह तकनीक न केवल सुरक्षित मिली, बल्कि दर्द कम करने में भी प्रभावी साबित हुई।
क्या है विशेषज्ञों की राय
यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी कैंसर सेंटर में रेडियोथेरेपी एक्सपर्ट डॉ. एमिली सी. डॉहर्टी बताती हैं कि हमारी स्टडी बताती है कि प्रोटॉन आधारित फ्लैश रेडियोथेरेपी एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है, जो दर्द को कम करता है और ट्रेडिशनल रेडिएशन के साइड इफ्फेक्ट को कम करने की सहायता करता है।
डॉ. जॉन ब्रेनेमैन, जो फ्लैश रेडियोथेरेपी पर रिसर्च कर रहे हैं, वो बताते हैं कि फ्लैश रेडियोथेरेपी अल्ट्रा-हाई डोज पर दी जाती है, यह नॉर्मल टिश्यू को कम नुकसान पहुंचाती है। इससे हम कैंसर सेल्स को समाप्त करने के लिए हाई डोज रेडिएशन दे सकते हैं, जिससे मुश्किल से मुश्किल ट्यूमर के इलाज में सफलता मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
अभी आ रही है तकनीकी चुनौतियां
फ्लैश रेडियोथेरेपी एक क्रांतिकारी तकनीक मानी जा रही है लेकिन इसके रास्ते में कई चुनौतियां हैं। जैसे- मौजूदा समय में जो रेडियोथेरेपी मशीनें हैं फ्लैश रेडिएशन देने में सक्षम नहीं हैं। इन नई मशीनों की लागत ज्यादा होने के कारण यह तकनीक अभी सभी अस्पतालों में नहीं पहुंच पाई है। फ्लैश रेडियोथेरेपी को अभी और ट्रायल की जरूरत है। इसपर अभी और रिसर्च होनी बाकी है।
फ्लैश रेडियोथेरेपी कैंसर के इलाज की दुनिया में एक नई उम्मीद जगाई है। यह तकनीक ट्रेडिशनल रेडियोथेरेपी की कमियों को खत्म करने का काम करेगी और इसकी मदद से मरीजों को तेजी से और सुरक्षित इलाज दिया जा सकेगा।