Farmer Protest News : किसान आंदोलन से बंधक बनी दिल्ली..पढ़िए अब तक के अपडेट्स

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Farmer Protest News: किसानों के आंदोलन से राजधानी दिल्ली (Delhi) बंधक बनी हुई है। किसानों के दिल्ली कूच करने की खबर से ही दिल्ली की सीमाओं को सील कर दिया गया। सिंघु, टिकरी समेत दूसरे बॉर्डर पर फोर्स लगा दी गई। सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर भारी बैरिकेडिंग के बाद दिल्ली की ओर आने वाले वाहन भी बहुत धीमी रफ्तार से चलते नजर आए। टिकरी बॉर्डर पर पुलिस चेकिंग (Police Checking) और बैरिकेडिंग के कारण वाहनों की लंबी लाइन लग गई।

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सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों (CCTV Cameras) का भी सहारा लिया जा रहा है। किसान आंदोलन के कारण बॉर्डर पर लंबा जाम देखने को मिल रहा है। गुरुग्राम- दिल्ली नेशनल हाईवे (Gurugram- Delhi National Highway) पर सुबह 7 बजे से ही वाहनों की लंबी लाइनें लगी रहीं। ऐसा ही हाल गाजीपुर बॉर्डर पर भी भी है। वहां भी पुलिस ने लिंक सड़कों को सील कर दिया है। वाहनों को दिल्ली में एंट्री करने और बाहर निकलने के लिए दोनों कैरिजवे पर राजमार्ग पर केवल एक लेन की अनुमति दी। रजोकरी बॉर्डर पर भी वाहनों की लंबी लाइन लगी हुई है। इससे यात्रियों को काफी असुविधा हुई, जो घंटों तक अपने वाहनों में ही फंसे रहे। दिल्ली मेट्रो पर भी किसान आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है। बता दें कि कई किसान संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की मांग के साथ 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। किसानों के इस कूच में ज्यादार किसान यूपी, पंजाब और हरियाणा के हैं।

बॉर्डर पर वाहनों की लंबी लाइन

किसान आंदोलन के कारण यूपी गेट लोगों के लिए तीनों बॉर्डर में से सबसे जाम वाला रहा। बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स ने पिछले किसान आंदोलन की याद दिला दी। किसान सीमा के आसपास कहीं नहीं थे, लेकिन फिर भी पुलिस पूरी तैयारी के साथ यूपी गेट पर तैनात थी। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) और एनएच-9 पर 8 किमी तक लंबा जाम लगा रहा। कंक्रीट बैरिकेड्स की कई परतों के साथ ही, दिल्ली पुलिस ने राजमार्ग पर टायर किलर्स भी सेट किए थे जिससे किसान “किसी भी कीमत पर” दिल्ली में प्रेवश न पा सकें।

पुलिस ने बैरिकेड्स पर कीलें भी लगाई थीं जिससे किसान उसपर चढ़ न सकें। सुबह लगभग सात बजे तक सीमा से वाहनों की आवाजाही जारी रही। लेकिन जैसे-जैसे अधिक लोग काम पर जाने लगे और ट्रैफिक बढ़ने लगा तो यूपी गेट पर पुलिस ने अतिरिक्त बैरिकेड्स लगा दिए। इससे एक समय में एक वाहन के गुजरने के लिए केवल उतनी ही जगह बची, वह भी जांच के बाद ही गुजर रही थी। सुबह 8 बजे के आसपास नोएडा के सेक्टर 62 कट तक वाहनों की स्पीड 8 किमी तक लग गई थी। जैसे ही हाईवे जाम हुआ, पुलिस ने वाहनों को कौशांबी, इंदिरापुरम, खोड़ा कॉलोनी और आनंद विहार में अंदर की सड़कों से जाने का निर्देश दिया। लेकिन इससे यात्रियों को राहत नहीं मिली।

दिल्ली मेट्रो पर भी आंदोलन का असर

किसान आंदोलन का असर दिल्ली मेट्रो पर भी देखने को मिला। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने मंगलवार को 9 मेट्रो स्टेशनों के कई गेट काफी देर के लिए बंद किए, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। राजीव चौक पर यात्रियों के प्रवेश और निकास के लिए आठ में से केवल दो गेट ही खुले थे। दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय सचिवालय, राजीव चौक, उद्योग भवन, पटेल चौक, मंडी हाउस, बाराखंभा रोड, जनपथ, खान मार्केट और लोक कल्याण मार्ग स्टेशनों के कई गेट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक बंद किए गए। दोपहर 1.16 बजे, डीएमआरसी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया कि 9 स्टेशनों के कुछ गेटों को बंद किया जा सकता है और यात्रियों को इसके अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाने की सलाह दी गई। लेकिन यात्रियों का दावा है कि इस बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई थी।

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एक यात्री ने कहा कि राजीव चौक स्टेशन पर केवल गेट नंबर 4 और 7 खुले थे, और ये विपरीत दिशा में हैं। जब मैंने गेट नंबर 2 से बाहर निकलने की कोशिश की तो स्टाफ ने मुझसे कहा कि गेट बंद है और मुझे किसी दूसरे गेट से बाहर निकलने के लिए बोला गया। इसको लेकर स्टेशन पर कोई अनाउंसमेंट नहीं किया गया। एक दूसरे यात्री ने बताया कि दिल्ली मेट्रो ने गेटों पर नोटिस चिपका दिया है कि गेट खुले हैं या बंद हैं, लेकिन यात्रियों के बीच अभी भी भ्रम की स्थिति है। ऐसे ही केंद्रीय सचिवालय स्टेशन पर भी पांच में से केवल दो गेट खुले थे।

सिंघु बॉर्डर का भी हाल जानिए

किसान आंदोलन को सबसे ज्यादा असर सिंघु बॉर्डर पर देखने को मिला। किसानों द्वारा 2020-21 के अपने 377-दिवसीय विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के करीब 25 महीने बाद, कुछ अधूरे वादों को लेकर, उनका ‘दिल्ली चलो’ आह्वान मंगलवार को पूरे सिंघु बॉर्डर पर गूंजा। अधिकारियों ने पहले के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए शहर की सीमाओं को मजबूत करने और सील करने के लिए पूरी कोशिश की। लोहे की बैरिकेड्स, सीमेंट से सील किए गए कंक्रीट ब्लॉक, कंटीले तार और वैकल्पिक मार्गों पर भी पुलिस की तैनात रही। पुलिस ने राजमार्ग पर एक लेन को ट्रैफिक के लिए खुला छोड़ने का ध्यान रखा था, इस लेन का प्रयोग एम्बुलेंस को जाने के लिए प्रयोग किया जा रहा था। यह उदारता उन हजारों लोगों के लिए नहीं थी जो हरियाणा और पंजाब में अपने घरों से दिल्ली पहुंचने के लिए बसों से सफर कर रहे थे। सिंघु बॉर्डर पर फ्लाईओवर के नीचे संकरा रास्ता, जिसके एक तरफ कंटीले तार लगे हुए थे, ऐसे में पैदल चलने वालों को भी समस्या का सामना करना पड़ा।

टिकरी बॉर्डर पर भी रही नाकेबंदी

टिकरी बॉर्डर पर भी नाकेबंदी की गई थी। नाकेबंदी के कारण अस्पताल से लेकर मरीजों को काफी परेशानी हुई। कारोबारियों और उद्योगपतियों को समस्या के कारण नुकसान होने का डर सता रहा है। लोगों के पास बात करने के लिए हर तरह की आशंकाएं थीं। टिकरी बॉर्डर लोग बस चिंता के साथ की जा किसानों को रोकने के लिए रही व्यवस्थाओं को देख रहे थे। हरियाणा पुलिस ने डायवर्जनरी के लिए उपाय लागू किए थे। हरियाणा से बहादुरगढ़ के सेक्टर 9 और 9ए तक वाहनों की आवाजाही का रास्ता चेंज कर दिया गया था। दिल्ली में प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए इन सेक्टरों के प्रवेश द्वार पर बैरिकेड्स लगा दिए गए थे।

बैरिकेड्स ने जिले के एक प्रमुख अस्पताल तक सड़क पहुंच को बंद कर दिया। जेजे अस्पताल बहादुरगढ़ जिले का एक बड़ी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल है। अस्पताल के मालिक दीपक खट्टर ने इसको लेकर कहा कि सरकार और पुलिस के साथ बातचीत के बाद भी, अस्पताल परिसर के ठीक सामने बैरिकेड्स लगा दिए गए थे। उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में लगभग 200 मरीज हैं। नए मरीज अब अस्पताल नहीं आ पा रहे हैं। डॉक्टर भी नहीं आ पा रहे हैं। भगवान न करें, अगर किसी मरीज की परेशानी बढ़ती है तो उसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की जरूरत होती है, तो मैं उनकी सुरक्षित शिफ्टिंग की गारंटी नहीं दे सकता। बता दें कि टिकरी बॉर्डर पर एक तरफ मुंडका और दूसरी तरफ बहादुरगढ़ है। 2020-21 में प्रदर्शनकारी किसानों ने तंबू गाड़ दिए थे और महीनों तक वहीं डेरा जमाए रखा था। इस बार, पुलिस ऐसी किसी सभा को अनुमति न देने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है।