टेंशन को हल्के में ना लें, ये जिंदगी तबाह कर सकता है

एक मुलाकात

अर्चना साल्वे, ब्यूरो चीफ, खबरीमीडिया, भोपाल

कहते हैं अगर आप दिमागी तौर पर दुरुस्त हैं तो दुनिया की कोई भी जंग जीत सकते हैं। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी हमें ऐसा करने से रोक रही है। नतीजा बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी किसी ना किसी तरह की मानसिक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। अपने खास कार्यक्रम ‘एक मुलाकात’ में आज हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं भोपाल के जाने माने मनोचिकित्सक(Psychiatrist) डॉक्टर आर एन साहू(Dr RN Sahu) से। सर बहुत स्वागत है आपका खबरीमीडिया पर

सवाल-  सर मेंटल हेल्थ के बारे में बताईए

जवाब- वक्त कम, काम ज्यादा, काम में परफेक्शन जैसी तमाम चीजें हैं जो हमारे-आपके मानसिक स्वास्थ्य(Mental Health) को प्रभावित करते हैं। जिससे तनाव(Tension) बढ़ता जाता है और यही स्ट्रेस(Stress) धीरे-धीरे इंसान को डिप्रेशन की तरफ ले जाता है।

सवाल- आज के दौर में मानसिक तनाव के पीछे की खास वजह

जवाब- दुनिया में हर इंसान कभी ना कभी अपने आपको मानसिक तौर पर बीमार महसूस करता है। अकेलापन महसूस करता है। इसके पीछे की खास वजह है हमारे दिमाग(Brain)में रसायनों की गड़बड़ी जिसे (Chemical Imbalance) भी कहते हैं। जिसकी वजह से हमारा व्यवहार(Behavior) अचानक से बदल जाता है और हम चिड़चिड़े हो जाते हैं।

सवाल- कोरोनाकाल में मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। इसे कैसे देखते हैं।

जवाब- इसमें कोई शक नहीं कि पहले ही दिन से कोरोना ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया। इसकी वजह से लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया। कोरोना के शिकार इंसान का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से डिप्रेशन, एंजायटी अटैक जैसी समस्या बढ़ने लगी।

सवाल- मानसिक बीमारी के लिए क्या चीजें जिम्मेदार होती है।

जवाब- ये रोग कई बार आनुवांशिक यानि(Genetic) भी हो सकता है। मतलब परिवार के किसी सदस्य में इस तरह की बीमारी का होना। इसके अलावा एक्सीडेंट, तनाव, ड्रग्स का सेवन, एल्कोहलिक होना जैसे फैक्टर भी इसके इसके ज़िम्मेदार होते है।

सवाल- सर बड़ों के साथ बच्चों में भी बड़े पैमाने पर मानसिक बीमारी हो रही है।

जवाब- बिल्कुल सही। आप सोचकर हैरान हो जाएंगे कि 75 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो किसी ना किसी तरह की मानसिक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। पढ़ाई का दबाव, पैरेंट्स की अपेक्षाओं पर खरे ना उतर पाना, दूसरे बच्चों से आगे निकलने की होड़ जैसी कई चीजें इसके लिए जिम्मेदार हैं। जब बच्चा जन्म लेता है तभी से ही मानसिक रोग का साइकिल शुरू हो जाता है। 25% मानसिक रोग 14 साल से पहले जबकि बाकी के 75 फीसदी 14 से 24 साल की उम्र में मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते है। यही वजह है कि आए दिन बच्चें आत्महत्या(Suicide) या आत्महत्या की कोशिश(Suicide Attempts) जैसा खतरनाक कदम उठा रहे हैं।

सवाल- बच्चे मानसिक तौर पर बीमार हैं इसे कैसे पहचाना जा सकता है।

जवाब- अगर कोई बच्चा अलग-थलग रह रहा है। स्कूल जाने से डर रहा है। पढ़ाई में पिछड़ रहा है। खेलने-पैरेंट्स के साथ बातें शेयर नहीं कर रहा है तो समझिए आपके बच्चे में ये बीमारी हावी हो रही है।  ऐसे बच्चे हाइपरक्टिव(Hyperactive) हो जाते हैं। बच्चों में इस तरह के व्यवहार को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें और उसे तुरंत अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।  आपको बता दें मानसिक रोगियों की समस्या छुपाने से बढ़ती जाती है, कम नहीं होती और इसका दुष्परिणाम घर, समाज, देश सब पर पड़ता है। मानसिक रोग का इलाज समय पर करने से रोगी को पूर्णतः ठीक किया जा सकता है ।

सवाल- सर डिप्रेशन के बारे में बताईए

जवाब- स्ट्रेस का अगला लेवल ही डिप्रेशन है। जो खतरनाक स्थिति में पहुंच जाए तो इंसान सुसाइड जैसा कदम उठाने में पीछे नहीं हटता। कई बार आत्महत्या का कारण डिप्रेशन मोड(Depression Mode) ही होता है। डिप्रेशन मोड अलग अलग तरह के होते है। जैसे उदास रहना, किसी भी चीज़ में मन नहीं लगना, नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, जीवन को लेकर नेगेटिविटी, भविष्य को लेकर निराशा, होपलेस या फिर हेल्पलेस हो जाना जैसी चीजें शामिल है।

सवाल- आज पुरुषों के साथ महिलाएं भी मानसिक रोग का शिकार हो रही हैं।

जवाब- मानसिक रोगों का अनुपात महिलाओं में पुरुषों से अधिक होता है। नौकरी, बच्चे, परिवार की जिम्मेदारी को निभाते निभाते महिलाओं का स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है। वो अपनी मानसिक स्थिति कई दफा शेयर नहीं कर पातीं और अंदर ही अंदर घुटती चली जाती है।  

सवाल- मानसिक बीमारी के शिकार मरीजों के लिए कोई खास संदेश

जवाब- हर बीमारी का इलाज मुमकिन है। उसी तरह इस बीमारी का भी इलाज संभव है। समय रहते मनोचिकित्सक के पास इलाज करवाने से इंसान की जान बचाई जा सकती है।

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