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Delhi News: प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर होगी निगरानी, रेखा सरकार ने जारी किया सख्त आदेश

दिल्ली राजनीति
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10 जनवरी तक बनानी होगी फीस रेगुलेशन कमेटी

Delhi News: दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) के नेतृत्व में राज्य सरकार ने लाखों अभिभावकों को बड़ी राहत देते हुए प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) की फीस व्यवस्था को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य स्कूल फीस तय करने में पारदर्शिता लाना, मनमानी पर रोक लगाना और अभिभावकों के हितों की पूरी तरह सुरक्षा करना है। इसी दिशा में दिल्ली सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।

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10 जनवरी 2026 तक बनानी होगी फीस रेगुलेशन कमेटी

सीएम रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) की सरकार ने आदेश दिया है कि राजधानी के सभी प्राइवेट स्कूल 10 जनवरी 2026 तक स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (SLFRC) का गठन अनिवार्य रूप से करें। यह निर्देश दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण में पारदर्शिता और नियंत्रण) अधिनियम, 2025 के लागू होने के बाद जारी किया गया है। यह कानून मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही प्रभावी होगा।

फीस निर्धारण के लिए बनेगी दो-स्तरीय व्यवस्था

शिक्षा मंत्री आशीष सूद (Education Minister Ashish Sood) ने कहा कि सीएम रेखा गुप्ता की मंशा के अनुरूप यह कानून पूरी तरह संतुलित और न्यायसंगत व्यवस्था पर आधारित है। फीस से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए दो स्तर बनाए गए हैं पहला स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (SLFRC) और दूसरा जिला स्तरीय फीस अपीलीय समिति (DLFRC)। यदि स्कूल स्तर पर सहमति नहीं बनती है, तो मामला सीधे जिला समिति को भेजा जाएगा।

फीस कमेटी में होगा अभिभावकों की मजबूत भागीदारी

हर प्राइवेट स्कूल में गठित होने वाली स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (SLFRC) में स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ अभिभावकों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इस कमेटी में स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि, स्कूल के प्रिंसिपल, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक और शिक्षा निदेशालय (DoE) का एक नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे। कमेटी के सभी सदस्यों का चयन लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किया जाएगा, ताकि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और किसी भी तरह के पक्षपात से मुक्त रहे।

30 दिन में फीस प्रस्ताव पर फैसला अनिवार्य

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने समयबद्ध निर्णय को प्राथमिकता दी है। स्कूल मैनेजमेंट को अपनी फीस से जुड़ा प्रस्ताव SLFRC के सामने रखना होगा और कमेटी को 30 दिनों के भीतर उस पर निर्णय लेना अनिवार्य होगा। 2025-26 सत्र के लिए स्कूलों को 25 जनवरी तक फीस स्ट्रक्चर पेश करना होगा, जबकि पहले यह समय-सीमा 1 अप्रैल तक थी।

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देरी होने पर जिला समिति लेगी अंतिम फैसला

अगर SLFRC तय समय में फैसला नहीं कर पाती है, तो मामला स्वतः जिला स्तरीय फीस अपीलीय समिति (DLFRC) के पास चला जाएगा। यह समिति फीस से जुड़े सभी विवादों और अपीलों पर अंतिम निर्णय लेगी, जिससे अभिभावकों को लंबा इंतजार न करना पड़े।

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इन अभिभावकों को नहीं मिलेगा कमेटी में स्थान

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि EWS, DG और CWSN श्रेणी के छात्रों के माता-पिता फीस नहीं देते, इसलिए वे SLFRC में अभिभावक प्रतिनिधि नहीं बन सकते। साथ ही, एक परिवार से केवल एक ही अभिभावक को कमेटी में शामिल होने की अनुमति होगी।

नियमों के उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

सीएम रेखा गुप्ता की सरकार ने साफ संदेश दिया है कि नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई स्कूल समय पर SLFRC का गठन नहीं करता, फीस प्रस्ताव जमा करने में देरी करता है या समय पर फैसला नहीं लेता है, तो उसके खिलाफ अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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सरकार का स्पष्ट संदेश- हर बच्चा समान

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि यह कानून किसी स्कूल या शिक्षक के खिलाफ नहीं, बल्कि एक संतुलित और नियम आधारित व्यवस्था के लिए लाया गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार का मानना है कि दिल्ली के करीब 38 लाख स्कूली बच्चों में कोई भेद नहीं है और हर बच्चे को समान अधिकार और न्याय मिलना चाहिए।