सीएम योगी के ‘संकटमोचक’ नवनीत सहगल रिटायर

उत्तरप्रदेश

राहुल मिश्रा, लखनऊ

उत्तर प्रदेश सरकार के भरोसेमंद अधिकारियों में अपनी पहचान बनाने वाले नवनीत सहगल 31 जुलाई को रिटायर हो गए। 35 सालों की सेवा के दौरान उन्होंने कई मुख्यमंत्री बनते देखे। कुछ प्रशासनिक अधिकारी सरकार के फेवरेट होते हैं तो कुछ को लेकर दलों के भीतर कड़वाहट होती है। एक सरकार के फेवरेट अधिकारी सरकार बदलते ही किनारे कर दिए जाते हैं। लेकिन, नवनीत सहगल इनमें से अलग हैं।

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उन्होंने कई सरकारों के साथ काम किया और हर बार में वे पावरफुल बने रहे। यही उनकी कामयाबी का राज रहा। उन्हें जो भी विभाग दिया गया, सभी में रिजल्ट देकर दिखाया। यही कारण रहा कि मायावती के शासन में जिस प्रकार से नवनीत सहगल सरकार के करीबी अधिकारियों में गिने गए। उसी प्रकार की स्थिति अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ शासन में भी रही। अभी वे अतिरिक्त मुख्य सचिव, खेल एवं युवा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

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नवनीत सहगल ऐसे आईएएस अधिकारी रहे, जिन्होंने मायावती से लेकर अखिलेश और योगी आदित्यनाथ तक की कोर टीम में रहकर काम किया। किसी भी नेता ने उनके कार्य पर कभी भी संदेह नहीं जताया।

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पंजाब से आए, यूपी में छाए

नवनीत सहगल मूल रूप से पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले हैं। उनके पिता की नौकरी हरियाणा में थी। इस कारण प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा यहीं से हुई। अंबाला से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद वे भिवानी में इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने पहुंचे। वर्ष 1982 में 19 वर्ष की आयु में उन्होंने बीकॉम कंप्लीट कर लिया। वे सिविल सर्विसेज में जाना चाहते थे, लेकिन कम उम्र के कारण यह संभव नहीं था। ऐसे में उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई करने का निर्णय लिया। चंडीगढ़ पहुंचे और चार्टर्ड एकाउंटेंट एंड कंपनी सेक्रेटरीशिप कोर्स शुरू किया।

वर्ष 1984 में उन्होंने पहली नौकरी एकाउंटेंट के तौर पर शुरू की। वर्ष 1986 में सीए का कोर्स पूरा किया। वर्ष 1987 में उन्होंने कंपनी सेक्रेटरीशिप का कोर्स भी कंप्लीट कर लिया। सिविल सर्विसेज ही नवनीत सहगल का लक्ष्य और सपना था। सीए करने के बाद उन्होंने वर्ष 1986 में इसकी तैयारी शुरू कर दी। साथ ही, वे बड़ी कंपनियों के कंसल्टेंट का काम भी करने लगे। देश में कई नई फैक्ट्रियों की शुरुआत कराई। रेवाड़ी में पहली बार सेरेमिक टाइल्स की फैक्ट्री लगाई गई। देश में पहली बार ठंडा पेय रखने वाले केन बनाने वाली फैक्ट्री एशियन केन की स्थापना के लिए उन्होंने कंसल्टेंट के तौर पर काम किया। नवनीत सहगल ने रुड़की में मल्टी लेयर कोएक्सक्लूडेड फिल्म की फैक्ट्री लगवाई। जर्मन मशीन से पांच परतों वाली फिल्म का निर्माण किया जाने लगा, जिसमें लिक्विड के रूप में रहने वाली चीजों को सुरक्षित रखा जा सकता था। लाइसेंसराज के उस दौर में नवनीत सहगल दिल्ली के उद्योग भवन के गलियारों के चक्कर लगाते थे।
सीएम योगी के लिए बने संकटमोचक

सीएम योगी जब हाथरस कांड में घिर रहे थे, तब नवनीत सहगल को वे सूचना विभाग में लेकर आए। सीएम के करीबी माने जाने वाले अवनीश अवस्थी तब इस विभाग को संभाल रहे थे। मीडिया से उनके संबंध उस स्तर के नहीं थे। पत्रकारों पर केस के मामले सुर्खियों में थे। योगी सरकार की छवि को अलग ही अंदाज में पेश किया जा रहा था। ऐसे में नवनीत सहगल ने सूचना विभाग को संभालने के साथ मीडिया में सरकार की छवि को बेहतर बनाने का कार्य किया। बाद के समय में योगी के एक्शन और सरकार की कार्रवाई भी सुर्खियां बनने लगी। वे योगी के लिए भी ट्रबलशूटर साबित हुए।

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