Carry Bag: एक वी-मार्ट में कैरी बैग के लिए सिर्फ 7 रुपये वसूलना अब महंगा पड़ गया है।
Carry Bag: मॉल, मार्ट और बड़ी दुकानों में अक्सर ग्राहकों से कैरी बैग (Carry Bag) के लिए अलग से शुल्क लिया जाता है। यूपी के जौनपुर (Jaunpur) जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां एक मार्ट ने ग्राहक से 7 रुपये कैरी बैग के लिए वसूले। इस पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने मार्ट मैनेजर (Mart Manager) को दोषी ठहराया और क्षतिपूर्ति का आदेश दिया। मार्ट को यह राशि एक महीने के अंदर उपभोक्ता को अदा करनी होगी। पढ़िए पूरी खबर…

ये भी पढ़ेंः क्या ज्योतिष से मौत को टाला जा सकता है?
आयोग का आदेश
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और सदस्य गीता ने आदेश दिया कि मार्ट प्रबंधन उपभोक्ता को कैरी बैग की कीमत 7 रुपये लौटाने के साथ ही 1,500 रुपये मानसिक पीड़ा और 1,500 रुपये परिवाद व्यय के तौर पर चुकाए। यानी कुल 3,007 रुपये एक महीने के भीतर उपभोक्ता को अदा करने होंगे।
ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25
उपभोक्ता ने की थी शिकायत
अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने 26 नवंबर 2024 को आयोग में परिवाद दाखिल किया था। शिकायत में कहा गया कि 18 अगस्त 2024 को उन्होंने 799 रुपये की खरीदारी की थी। खरीदारी के बाद बिल में 7 रुपये कैरी बैग का अतिरिक्त चार्ज जोड़ा गया। इसे सेवा में कमी और अनुचित व्यापारिक व्यवहार बताया गया।
ये भी पढ़ेंः Train Ticket: 1 अक्टूबर से बदल जाएगा रेल रिजर्वेशन का नियम, ये रही डिटेल
मार्ट के नियमों पर सवाल
शिकायतकर्ता की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि मार्ट के नियमानुसार ग्राहक अपना कैरी बैग अंदर नहीं ले जा सकते, जिससे उन्हें मजबूरी में स्टोर से कैरी बैग लेना पड़ता है। इसके बावजूद बैग के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया गया। साथ ही खरीदारी से पहले और दौरान कैरी बैग चार्ज की कोई सूचना नहीं दी गई।
राष्ट्रीय आयोग का हवाला
शिकायतकर्ता ने मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा 22 दिसंबर 2020 को दिए गए निर्णय का भी हवाला दिया। आयोग ने माना कि कैरी बैग शुल्क वसूलना अनुचित व्यापारिक प्रथा है।
ये भी पढ़ेंः Jio Payment Bank: बैंक में एक्स्ट्रा पैसे पर आप भी कर सकेंगे कमाई, जानिए कैसे?
पहले भी लग चुका है जुर्माना
इससे पहले शहर के एक अन्य प्रतिष्ठान ‘बाजार कोलकाता’ पर भी कैरी बैग के 6 रुपये चार्ज करने के मामले में 3 हजार रुपये का हर्जाना लगाया गया था। उस मामले में भी प्रतिष्ठान को जुर्माना फोरम में जमा कराना पड़ा था।

