Supertech-ATS Builder

सुपरटेक-ATS बिल्डर पर चलेगा डंडा! पढ़िए ज़रूरी ख़बर

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR
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Greater Noida : सुपरटेक-ATS बिल्डर को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि अमिताभकांत समिति (Amitabh Kant Committee) की सिफारिशों के अनुसार समय पर 25 फीसदी राशि जमा नहीं करने वाले सुपरटेक और एटीएस बिल्डर के प्लॉट का आवंटन कैंसिल (Allotment Cancelled) करने के प्रस्ताव पर बोर्ड की बैठक में निर्णय होगा। 21 जून को होने वाली यमुना प्राधिकरण (Yida) की बोर्ड मीटिंग में इसको लेकर चर्चा होगी। मीटिंग को ध्यान में रखते हुए यीडा ने ने क्षेत्र की बिल्डर परियोजनाओं को लेकर रिपोर्ट तैयार कर ली है।

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इन्होंने जमा कर दिया है पैसा

यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) में क्षेत्र में कुल 9 बिल्डर परियोजनाएं हैं। जिनमें से 5 बिल्डरों ने योजना के अनुसार लाभ लेकर प्राधिकरण का बकाया देने और प्रोजेक्ट पूरे कर रजिस्ट्री शुरू कराने की रुचि दिखाई थी। पैसा जमा कराने वाले बिल्डरों में ग्रीनवे इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Greenway Infrastructure Pvt Ltd) कुल 441.17 करोड़ बकाये का 25 प्रतिशत 110.29 करोड़ जमा किया है। ओमनीस प्राइवेट लिमिटेड ने भी अंकित धनराशि का 38.15 करोड़ का 25 प्रतिशत यानी 9.54 करोड़ जमा किया है। लॉजिक्स बिल्डस्टेट ने भी 57 करोड़ का बकाया चुका दिया है।

प्राधिकरण के नोटिस का जवाब भी नहीं दिया

एटीएस रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और सुपरटेक टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड ने ना तो पैसा जमा कराया और नही प्राधिकरण के किसी भी नोटिस का कोई जवाब ही दिया है। ये दोनों प्रोजेक्ट सेक्टर-22डी में है। एटीएस रियल्टी पर प्राधिकरण का कुल 531.37 करोड़ रुपये का बकाया हैं। जिसके 25 प्रतिशत के रूप में 136.77 करोड़ जमा करने हैं। वहीं, सुपरटेक पर 549 करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसके सापेक्ष 128.68 करोड़ जमा करने है। यीडा के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा कि अमिताभकांत समिति की सिफारिशों तहत प्राधिकरण की 9 बिल्डर परियोजनाओं पर 4030 करोड़ बकाया था।

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सीईओ ने की बिल्डरों संग बैठक

नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के सीईओ लोकेश एम. ने बिल्डरों को बुलाकर मीटिंग की। उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि पैसे जमा कराने के बाद रजिस्ट्री क्यों नहीं हो पा रही है। बिल्डरों का कहना है कि कई खरीदारों ने अपने फ्लैट किराए पर दिए हैं और रजिस्ट्री के लिए उन्हें अंतिम बकाया भी जमा कराना होगा, जो 5 से 20 लाख रुपये तक हो सकता है। संभव है कि उनके पास फंड की कमी होगी और वे इसके लिए बाद में रजिस्ट्री कराना चाहेंगे, इसलिए टालमटोल कर रहे हैं। इस तरह की समस्या आईटीएस निंबस, एक्सप्रेस जेनिथ, ग्रेट वैल्यू सहित कई बिल्डरों के साथ आ रही है।

अमिताभकांत समिति की रिपोर्ट

दिल्ली-एनसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभकांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को हुआ। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का काम सौंपा गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को भेज दिया। अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने समिति की लगभग आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का फैसला लिया है।