FasTag News: फास्टैग का इस्तेमाल करने वालों के लिए अच्छी खबर आ गई। फास्टैग (FasTag) का इस्तेमाल करने वाले और यूपीआई लाइट (UPI Lite) जैसे डिजिटल पेमेंट सेवाओं को एक बड़ी सुविधा दी है। इनमें ग्राहकों के खाते से एक निश्चित अवधि पर अपने आप ही फंड ट्रांसफर (Fund Transfer) करने की सुविधा दे दी गई है। फास्टैग में अभी ग्राहक (Customer) अपनी जरूरत के मुताबिक पैसे समय-समय पर ट्रांसफर करते हैं। इसमें एक निश्चित समय पर फंड ट्रांसफर करने की सुविधा नहीं थी। पढ़िए पूरी खबर…
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आपको बता दें कि अब टर्म फंड ट्रांसफर (Term Fund Transfer) करने की सुविधा दे दी गई है लेकिन यह ग्राहकों से ई-मेंडेंट (इलेक्ट्रोनिक तौर पर फंड ट्रांसफर करने से पहले ग्राहकों से मंजूरी लेने की प्रक्रिया) के बाद ही किया जाएगा। ई-मेंडेट की अभी जो व्यवस्था है। उसमें असलियत में फंड ट्रांसफर करने से 24 घंटे पहले ग्राहकों को मैसेज भेजने की अनिवार्यता है, जिसे खत्म किया जा रहा है।
यानी, अब ग्राहक एक बार कितनी राशि और किस समय (हफ्तावार या महीने वार) फास्टैग में ट्रांसफर करना चाहते हैं, इसे पहले ही सेट कर सकते हैं। इस फैसले के बारे में आरबीआई के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक के बाद दी।
यूपीआई लाइट में ट्रांसफर करने की होगी सुविधा
आरबीआई गवर्नर ने यूपीआई लाइट (UPI Lite) के बारे में बताया कि इस डिजिटल भुगतान वैलेट से एक दिन में 2 हजार रुपये और एक बार में अधिकतम 500 रुपये का भुगतान कर सकता है। अब इसे भी ई-मेंटेड फ्रेमवर्क के तहत लाया जा रहा है यानी ग्राहकों से मंजूरी लेने की शर्त के साथ एक निश्चित अंतराल पर एक निश्चित राशि यूपीआई लाइट में ट्रांसफर करने की सुविधा होगी।
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ग्राहक एक सीमा तय कर सकता है कि जैसे ही यूपीआई लाइट में बैलेंस राशि एक निश्चित स्तर से नीचे जाएगी, उसमें ग्राहक के खाते से एक निश्चित राशि अपने आप ही ट्रांसफर हो जाएगी। इसके लिए ग्राहक से पहले से ई-मेंडेट लेने की शर्त को भी खत्म किया जा रहा है। डॉ. शक्तिकांत दास (Dr. Shaktikanta Das) का कहना है कि यूपीआई लाइट के विस्तार में इससे मदद मिलेगी।
इसके साथ ही आरबीआई ने एक अहम फैसला डिजिटल भुगतान में होने वाले धोखाधडि़यों को रोकने के संदर्भ में उठाया है। डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बनाने का फैसला किया गया है। यह बैंकों, एनपीसीआई, कार्ड नेटवर्क या दूसरे डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म देने वाली एजेंसियों के बीच सामंजस्य बनाएगा और शीघ्रता से फ्रॉड से संबंधित डाटा का आदान-प्रदान करने की सुविधा देगा।
इससे फ्रॉड को रोकने और ट्रांसफर की गई राशि को जब्त करने व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आसानी होगी। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में हुई एमपीसी की बैठक में एक बार फिर रेपो रेट को (6.50 प्रतिशत) के स्तर पर स्थिर रखने का फैसला किया गया है।