Greater Noida News: यूपी रेरा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि यूपी रेरा (UP RERA) फ्लैट खरीदारों (Flat Buyers ) द्वारा बड़ी संख्या में दायर शिकायतों के आधार पर उन्हें लगातार राहत देने का काम कर रहा है तो वहीं कुछ आवंटियों द्वारा उसी मामले में बार-बार शिकायतें दायर करके न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) के दुरूपयोग के मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया जब यूपी रेरा अध्यक्ष (UP RERA Chairman) की एनसीआर पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने यह पाया कि आवंटी द्वारा प्रश्नगत शिकायत साफ मंशा से नहीं फाइल की गयी है, उसके द्वारा कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है और रेरा की पीठ का समय बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है।
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रेरा में इस आवंटी द्वारा पहली शिकायत लेट के लिए ब्याज सहित कब्जा दिलाने के लिए दायर की गयी थी। रेरा की पीठ द्वारा उसकी शिकायत पर यह फैसला लिया गया कि सम्बन्धित प्रोमोटर द्वारा रजिस्टर्ड सब-लीज़ डीड निष्पादित करते हुए उसको कब्जा दिलाया जाए और कब्जे में लेट के लिए ब्याज का भी भुगतान किया जाए।
प्रोमोटर द्वारा इस आदेश के अनुपालन में आवंटी को देरी के लिए ब्याज का भुगतान, लगभग रुपये 02.68 लाख, करते हुए सब-लीज़ डीड निष्पादित कर दी गयी और इकाई का कब्जा हस्तगत कर दिया गया। आवंटी द्वारा इसी मामले में रेरा के एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर (Adjudicating Officer) के कोर्ट में मुआवजे के लिए शिकायत दायर की गयी जिसमें रू. 50,000/- मुआवजे के भुगतान का आदेश प्रदान किया गया। उसी आवंटी ने रेरा में उसी मामले में फिर से कब्जे और लेट के ब्याज के लिए शिकायत दायर कर दी गयी। रेरा की सम्बन्धित पीठ द्वारा यह शिकायत इस आधार पर कैंसिल कर दी गई कि आवंटी द्वारा इस मामले में दायर एक अन्य शिकायत में पूर्व में फैसला दिया जा चुका है और आवंटी को सब-लीज़ डीड के साथ कब्जा प्राप्त हो चुका है।
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इस आवंटी को यूपी रेरा से नियमानुसार समस्त अनुतोष प्राप्त हो जाने के बाद भी उसे संतोष नहीं हुआ और उसके द्वारा रेरा में उसी मामले में चौथी शिकायत दायर करके ऐसी मांग की गयी जिसके सम्बन्ध में रेरा के एडजुडिकेटिंग ऑफिसर द्वारा अपने आदेश में पहले ही फैसला दिया जा चुका है। यही नहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान भी शिकायतकर्ता का आचरण अत्यधिक अनुचित पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी ऐसे मामलों में निरन्तर यह फैसले दिए गए हैं कि पक्षकारों के लिए कोर्ट के समक्ष साफ मंशा से आना आवश्यक है और किसी भी पक्षकार को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने और कोर्ट का समय और ऊर्जा बर्बाद करने की छूट नहीं है।
अध्यक्ष यूपी रेरा संजय भूसरेड्डी ने कहा कि यूपी रेरा देश की करीब 40 प्रतिशत शिकायतों का बोझ अकेले सम्भाल रहा है। और अगर कोई गैर जिम्मेदार आवंटी इस प्रकार से बार-बार रेरा की पीठों का समय बर्बाद करता है, तो उन आवंटियों को न्याय प्राप्त होने में लेट होना स्वभाविक है जिनकी पीड़ा वास्तविक है। अतः इस मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए सम्बन्धित आवंटी पर उसके अनुचित आचरण के लिए फाइन लगाने का निर्णय लिया गया।