सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Uttarkashi Tunnel News: सिलक्यारा सुरंग में पिछले एक हफ्ते दिन से एस्केलेटर के जरिए सुरंग (Tunnel) के अंदर से मलबा निकालने की कोशिश हुई। लेकिन 24 मीटर मलबा (Debris) निकालने के बाद काम तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है। सुरंग के बाहर श्रमिकों का इंतजार कर रहे उनके परिजनों में निराशा बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल (Mangesh Ghildiyal) और अडवाइजर भास्कर खुल्वे (Bhaskar Khulve) ने शनिवार सुबह घटनास्थल पहुंचकर एनएचएआई, रेलवे और विदेशी एक्सपर्ट के साथ बैठक की।
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उत्तराखंड (Uttarakhand) में पिछले करीब एक हफ्ते से निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में कैद श्रमिकों के बाहर आने का इंतजार कर रहे परिजनों ने शनिवार को उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनकी आवाज क्षीण होती जा रही है और उनकी ताकत कम होती लग रही है। अब उनका मनोबल टूट रहा है। वो पूछ रहे हैं कि हम लोग उन्हें निकालने का काम कर रहे हैं या उन्हें झूठा दिलासा दे रहे हैं। अब उनका हौसला धीरे-धीरे टूट रहा है।
मलबे को भेद उसमें स्टील पाइप डालकर रास्ता बनाए जाने के लिए लाई गई अमेरिकी आगर मशीन में कुछ खराबी आने के कारण शुक्रवार दोपहर से रूके पड़े बचाव अभियान (Rescue Operation) के श्रमिकों के परिजनों की बेचैनी बढ़ने लगी। लेकिन इंदौर से एयरलिफ्ट कर मंगवाई गई मशीन के पार्ट्स देहरादून एयरपोर्ट से घटनास्थल पर शनिवार को पहुंच गए।
प्रधानमंत्री कार्यालय (The Office of the Prime Minister) के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल और अडवाइजर भास्कर खुल्वे ने शनिवार सुबह घटनास्थल पहुंचकर एनएचएआई, रेलवे और विदेशी एक्सपर्ट के साथ बैठक की। इसमें रेस्क्यू के लिए टनल को ऊपर और किनारों से काटकर अंदर फंसे लोगों को निकालने की योजना बनी। इसके लिए पहाड़ के ऊपर मशीन ले जाने के लिए सर्वे शुरू हो गया है।
श्रमिकों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा
सुरंग में फंसे श्रमिकों में से एक सुशील के बड़े भाई हरिद्वार (Haridwar) शर्मा ने बताया कि बाहर आने के इंतजार में किसी तरह समय काट रहे सुरंग में बंद लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है और उनके परिवारों में घबराहट बढ़ती जा रही है। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले शर्मा ने बताया हमें अधिकारियों से बस आश्वासन मिल रहा है कि फंसे श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा। अब करीब एक सप्ताह हो चुका है। आंखों में आंसू लिए शर्मा ने कहा कि सुरंग के अंदर कोई काम नहीं चल रहा है। न तो कंपनी और न ही सरकार कुछ कर रही है। कंपनी कह रही है कि मशीन आने वाली है।
खाने और पानी की कमी
सिल्क्यारा सुरंग के बाहर प्रतीक्षारत लोगों में उत्तराखंड के कोटद्वार (Kotdwar) के गब्बर सिंह नेगी का परिवार भी है। उनके दो भाई महाराज सिंह, प्रेम सिंह और पुत्र आकाश सिंह घटना की सूचना मिलने के बाद से मौके पर हैं और किसी अच्छी खबर पाने के लिए बेचैन है। महाराज सिंह ने कहा कि उन्होंने ऑक्सीजन की सप्लाई वाले पाइप के जरिए गब्बर सिंह से बात की थी और उनकी आवाज काफी कमजोर लग रही थी। उन्होंने कहा मैं अपने भाई से बात नहीं कर पाया। उसकी आवाज बहुत कमजोर लग रही थी। वह सुनाई ही नहीं दे रही थी। सुरंग में बचाव कार्य रुक गया है। फंसे हुए लोगों के पास खाने और पानी की भी कमी है। हमारा धैर्य जवाब दे गया है।
27,500 किलो रेस्क्यू इक्यूप्मेंट को पहुंचाया
टनल में फंसी 41 जिंदगियों को सकुशल टनल (Safe Tunnel) से बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्रीय एजेंसियों के साथ साथ 200 लोगों की टीम काम कर रही है। भारतीय वायुसेना ने टनल में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए 27,500 किलोग्राम रेस्क्यू इक्यूप्मेंट को कड़ी चुनौती के बीच बजरी वाले एयरस्ट्रिप पर पहुंचाया। संकट से निपटने के लिए थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट (Expert) से भी ऑनलाइन सलाह ली जा रही है। उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में 7 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए अब प्लान सी की तैयारी है। इसके तहत सुरंग को ऊपर और बगल से काटकर अंदर फंसे लोगों को निकालने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई हैं।
ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट भी मदद को पहुंचे
ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट भी पहुंच गए हैं। इंदौर से आई मलबा खोदने वाली मशीन (Machine) के उपकरण शनिवार को पहुंचे। बचाव अभियान न रुकने पाए इसके लिए एक और मशीन इंदौर से मंगाई जा रही है। 7 दिन बाद भी मजदूरों के न निकल पाने को परिजनों ने कंपनी की लापरवाही बताकर प्रदर्शन किया। शनिवार देर रात तक मलबा खोदने का काम शुरू नहीं हो सका था।
अब मजदूरों की संख्या बढ़कर हुई 41
टनल (Tunnel) के फंसे 40 मजदूरों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है। कंपनी प्रबंधन ने बिहार के मुजफ्फरपुर के दीपक कुमार के फंसे होने की सूचना दी। अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम बंद कर दिया गया। मशीन के कंपन से सुरंग में मलबा गिरने का खतरा बना हुआ है। लोगों को बचाने के लिए सुरंग के ऊपर और साइड से भी ड्रिलिंग करने करने का प्लान है। इसके लिए कुछ मशीनें मंगाई गई है।
बता दें कि 7 दिन बाद भी मजदूरों को बाहर नहीं निकाले जाने पर मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने प्रदर्शन कर रेस्क्यू में तेजी लाने की मांग की है। पीएमओ के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल और अडवाइजर भास्कर खुल्वे ने रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े अफसरों से स्थिति का जायजा लिया है।