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CBSE: नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव किया जा रहा है।

CBSE: नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा (School Education) में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित एक विशेष पाठ्यक्रम मॉड्यूल (Special Course Modules) तैयार करने की घोषणा की है। इसका मकसद छात्रों को भारत की सैन्य शक्ति, तकनीकी प्रगति और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान के बारे में जागरूक करना है। पढ़िए पूरी डिटेल्स…

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दो हिस्सों में तैयार होगा पाठ्यक्रम मॉड्यूल

एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा तैयार किए जा रहे इस विशेष मॉड्यूल को दो हिस्सों में विभाजित किया जाएगा। पहला मॉड्यूल कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 तक के लिए होगा। सूत्रों के अनुसार, इस मॉड्यूल में भारत की सामरिक प्रतिक्रिया को रेखांकित करते हुए पहलगाम हमले पर आधारित 8 से 10 पन्नों की सामग्री शामिल होगी।

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CBSE स्कूलों में NCERT किताबें अनिवार्य

शिक्षा मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे कक्षा 1 से 8 तक NCERT की किताबें ही लागू करें। पहले यह नियम केवल कक्षा 9 से 12 के लिए अनिवार्य था। इस कदम से नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में एकरूपता आएगी और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि कई स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें अनावश्यक रूप से थोपते हैं, जिसे नए निर्देशों से रोका जाएगा।

स्कूलों में सुरक्षा के लिए ऑडिट का आदेश

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। स्कूलों को अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकास, विद्युत तारों और संरचनात्मक ढांचे का गहन मूल्यांकन करने को कहा गया है। इसके साथ ही अग्निशमन सेवाओं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियों के साथ सहयोग को मजबूत कर समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान

मंत्रालय ने स्कूलों में छात्रों (Students) के मनोवैज्ञानिक कल्याण को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है। इसके लिए परामर्श सेवाएं, सहकर्मी सहायता प्रणालियां और सामुदायिक सहभागिता पहल को बढ़ावा देने को कहा गया है। यह कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।