Supertech

Supertech: सुपरटेक ट्विन टावर मामले में बड़ा खुलासा सामने आया

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा
Spread the love

Supertech: सुपरटेक ट्विन टावर मामले से जुड़ी अहम खबर पढ़िए

Supertech: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) मामले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि नोएडा में भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बनाए गए सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) मामले में जल्द ही बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है। सुपरटेक ट्विन टावर मामले में भ्रष्टाचार के आरोप पर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के 11 अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की तलवार लटक गई है। एसआईटी (SIT) के बाद शासन के निर्देश पर हुई दूसरी जांच में भी इन अधिकारियों को दोषी पाया गया है।

Noida Authority
Pic Social Media

ये भी पढे़ंः Delhi: दिल्ली में पुरानी गाड़ी रखने वालों की जेब कटने वाली है!

जांच अधिकारी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। अब शासन अपने स्तर से आरोपियों पर कार्रवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा के सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक के ट्विन टावर एपेक्स और सियान 28 अगस्त 2022 को गिरा दिया गया था। इसमें एक टावर 102 मीटर और दूसरा 95 मीटर लंबा था। इन टावर को गिराने के लिए एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी की एओए ने काफी संघर्ष किया। सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को लेकर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्राधिकरण के चेहरे ही नहीं, उसके मुंह, नाक, आंख सभी से भ्रष्टाचार टपक रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों की बिल्डर से साठगांठ है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की इस नाराजगी के बाद से प्राधिकरण की किरकिरी हुई थी। इसके बाद शासन ने इस मामले में साल 2021 के सितंबर में उत्तर प्रदेश बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास (Industrial Development) आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मामले में शामिल 26 अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Limited) के निदेशकों और उनके आर्किटेक्ट्स (Architects) के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की गई। 4 अक्टूबर 2021 को इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया। इस प्रकरण में जिन 26 अधिकारियों पर आरोप हैं, उनमें से 20 पहले ही रिटायर हो गए हैं, वहीं 2 की मौत हो गई है। चार सेवा में थे, जिन्हें सस्पेंड किया जा चुका है।

ये भी पढ़ेंः Greater Noida: इस सोसायटी में रजिस्ट्री के पेपर मिलते ही खिल उठे बायर्स के चेहरे

शासन ने इन अधिकारियों में से 11 की जांच का जिम्मा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव को सौंपा था। उन्होंने एक सप्ताह पहले इस मामले में जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। उन्होंने जांच रिपोर्ट पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में आगे का फैसला शासन को लेना है। वह अपनी रिपोर्ट शासन को भेज चुके हैं।

वरिष्ठ अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शासन को भेजी गई रिपोर्ट इन 11 अधिकारियों की समस्या बढ़ा देगी। एसआईटी की जिस जांच में इन अधिकारियों को आरोपी मानते हुए केस दर्ज कराया था, उसके प्रमुख मनोज कुमार सिंह वर्तमान में शासन में मुख्य सचिव हैं। यह अधिकारी उनकी रिपोर्ट में पहले ही आरोपी साबित हो चुके हैं। नई जांच रिपोर्ट में भी उन पर लगे आरोपों के खिलाफ अनेक साक्ष्य शासन को उपलब्ध कराए गए हैं। ऐसे में इन अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना काफी बढ़ जाती है। माना जा रहा है कि शासन स्तर से शीघ्र ही उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय हो सकता है।

जांच में लगा लंबा समय

शासन ने ट्विन टावर मामले में प्राधिकरण के 11 अधिकारियों की जांच का जिम्मा एसीईओ प्रवीण मिश्रा को सौंपा था। उनका 30 सितंबर 2022 को ट्रांसफर होने के बाद मामले की जांच कुछ समय के लिए रुक गई थी। इसके बाद 23 मार्च 2023 को ग्रेटर नोएडा के ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव (OSD Soumya Srivastava) को जांच सौंपी गई। उन्होंने जांच के लिए तकनीकी सहायक मांगा था, जिसके मिलने में भी काफी समय लगा। उक्त प्रकरण में आरोपी रहे आईएएस अधिकारियों की विभागीय जांच शासन स्तर से चल रही है, जिनमें नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ रहे मोहिंदर सिंह, एस.के द्विवेदी, एसीईओ आर.पी अरोड़ा और ओएसडी यशपाल सिंह आदि शामिल हैं।

इन पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई

अनीता, तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट

मुकेश गोयल, तत्कालीन प्रबंधक नियोजन

रितुराज व्यास, तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक नियोजन

विमला सिंह, तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक

एके मिश्रा, तत्कालीन नगर नियोजक (30 जून 2021 को रिटायर्ड)

टीएन पटेल, तत्कालीन प्लानिंग अस्सिटेंट (रिटायर्ड 31 मई 2019)

राजेश कुमार, तत्कालीन विधि सलाहकार (31 मार्च 2020 को रिटायर्ड)

एम.सी त्यागी, तत्कालीन परियोजना अभियंता (30 सितंबर 2018 को रिटायर्ड)

प्रवीन श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक वास्तुविद (रिटायर्ड 31 जुलाई 2020)

ज्ञानचंद, तत्कालीन विधि अधिकारी (31 मार्च 2020 को रिटायर्ड)

बाबूराम, तत्कालीन परियोजना अभियंता (रिटायर्ड 31 मार्च 2019)