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Hydrogen Train: NCR के इन दो शहरों के बीच दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन

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NCR के इन दो शहरों के बीच चलेगी Hydrogen Train पढ़िए पूरी डिटेल

Hydrogen Train: एनसीआर के लोगों के लिए बड़ी और खुश कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि भारत की पहली ट्रेन दिसंबर-जनवरी में सोनीपत (Sonepat) और जींद (Jind) के बीच 140 किमी की रफ्तार से ट्रैक पर रफ्तार भरती नजर आएगी। हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) को हर घंटे करीब 40 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होगी। यह देश की पहली प्रदूषण रहित ट्रेन होगी जो ट्रेन 90 किलोमीटर की दूरी तर करेगी।
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इस ट्रेन में 8-10 डिब्बे होंगे। इतनी दूरी तय करने के लिए डीजल ट्रेन (Diesel Train) 964 किलो कार्बन का उत्सर्जन करती है। हरियाणा के जींद जिले के रेलवे स्टेशन पर 3,000 किलो हाइड्रोजन स्टोर के लिए प्लांट तैयार किया जा रहा है। अंडरग्राउंड स्टोरेज (Underground Storage) भी जींद रेलवे स्टेशन पर बनाया जा रहा है। स्टेशन की छतों पर इकट्ठा पानी यहां पहुंचेगा। हाइड्रोजन ट्रेन के ऑपरेशन के लिए मशीनें मंगवा ली गई हैं। दिसंबर-जनवरी में हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) का ट्रायल रन हो सकता है। इसी वित्त वर्ष में इसको नियमित रूप से चलाए जाने की भी संभावना है।

भारत में हाइड्रोजन ट्रेन चलने के बाद स्वीडन, चीन, जर्मनी और फ्रांस के बाद यह दुनिया का 5 वां ऐसा देश बन जाएगा जहां हाइड्रोजन ट्रेन चलेगी। चेन्नई की इंट्रीगल कोच फैक्ट्री में बन रहे डिब्बे दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके पहले फेज में दो ट्रेनें चलने की संभावना है। 1 किलो हाइड्रोजन पर यह 4.5 लीटर डीजल के बराबर माइलेज देगी। वहीं 8-10 कोच को खींचने के लिए 2.4 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है। इसके लिए ट्रेन के अंदर 2 पावर प्लांट लगाए जाएंगे। रेलवे की तैयारी अगले 3 सालों में माथेरान हिल रेलवे, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका- शिमला रेलवे, कांगड़ा घाटी, निलगिरी माउंटेन रेलवे हेरिटेज और पर्वतीय मार्गों पर ऐसी 30 ट्रेनों को शुरू करने की है।

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पर्यावरण को नहीं पहुंचाती है बिलकुल भी नुकसान

आपको बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेनें (Hydrogen Train) पर्यावरण के लिए भी बहुत ही लाभकारी मानी जाती हैं। पहली बात तो यह कि ये प्रदूषण रहित होती हैं। इससे रेलवे को अपने लक्ष्य जीरो कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इस साल रेलवे को 2800 करोड़ का बजट 35 हाइड्रोजन ट्रेन के लिए मिला है। 600 करोड़ रुपये अलग से इन ट्रेनों के इंफ्रास्ट्रक्चर-रूट से संबंधित कामाकाज के लिए मिला है। इसके साथ ही रेलवे को डेमू ट्रेनों को हाइड्रोजन में चलाने का एक प्रोजेक्ट अलग से शुरू करना है। 111.83 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत ट्रेनों में हाइड्रोजन फ्यूज सेल इंस्टॉल की जाएंगी।