Dhiraj Sahu IT Raid: कांग्रेस सांसद धीरज साहू के पास से मिली नकदी (Cash) की गिनती अब तक जारी है। इस बेहिसाब दौलत ने एजेंसियों (Agencies) के भी पसीने छुड़ा दिए हैं। पढ़िए पूरी खबर…
ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करने के लिए tau.id/2iy6f लिंक पर क्लिक करें
ये भी पढ़ेः Dhiraj Sahu IT Raid: 300 करोड़ कैश में एक भी 2 हजार का नोट नहीं
कांग्रेस सांसद धीरज साहू इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनके ठिकानों से जब्त की गई नकदी की गिनती समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। बीते रविवार को लगातार पांचवें दिन भी गिनती जारी रही। वहीं ईडी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और आईटी विभाग हर साल कई छापे मारते हैं। इन्हें शायद आपने देखा होगा। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि छापे के दौरान एजेंसियां जो नकदी बरामद करती है। उस दौलत क्या होता है?
क्या एजेंसी अपने दफ्तर में रखती है नकदी?
जब ईडी (ED), सीबीआई या आईटी विभाग बेहिसाब दौलत जब्त करता है तो वे इसे अपने कार्यालय परिसर में नहीं रखते। सबसे पहले आरोपी को यह बताने का मौका मिलता है कि इतनी नकदी कहां से आई। अगर आरोपी संतोषजनक जवाब देने में विफल रहता है तो धन को गलत तरीके से अर्जित माना जाता है। फिर इसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों के तहत जब्त कर लिया जाता है।
नकदी जब्त करने की असल प्रक्रिया भी यहीं से शुरू होती है। जब्त नकदी की गिनती के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बुलाया जाता है। इसके साथ ही जब्त की गई नकदी की एक सूची तैयार की जाती है। इसमें विशिष्ट मूल्यवर्ग जैसे 5 सौ रुपये, 2 सौ रुपये, सौ रुपये, पचास रुपये में बरामद राशि का विवरण शामिल होता है। राशि के आधार पर बैंक गिनती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए कई नकदी गिनती मशीन लगाता है।
कहां रखते है जब्त किया गया पैसा?
एक बार गिनती पूरी होने के बाद नकदी को स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में बक्सों में सील कर दिया जाता है। फिर नकदी को एसबीआई शाखा में ले जाया जाता है। वहां इसे एजेंसी के पर्सनल डिपॉजिट (PD) खाते में जमा किया जाता है। बाद में नकदी को केंद्र सरकार के खजाने में ट्रांसफर किया जाता है। नकदी का इस्तेमाल सिर्फ अदालत में मामला समाप्त होने के बाद ही किया जा सकता है। मामला विचाराधीन होने तक न तो ईडी, न बैंक (Bank), न ही सरकार को किसी भी उद्देश्य के लिए धन का इस्तेमाल करने का अधिकार होता है।
क्या आरोपी के दोष-मुक्त होने पर वापस मिलता है पैसा?
एजेंसी एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी करती है। इसके मुताबिक एक निर्णायक अथॉरिटी (Authority) को 6 महीने के भीतर कुर्की की पुष्टि करनी होती है। यह आदेश सुनिश्चित करता है कि आरोपी जब्त की गई नकदी से लाभ नहीं उठा सके। बता दें कि एजेंसी केवल 180 दिनों तक नकदी अपने पास रख सकती है। उस दौरान एजेंसी को जब्ती की वैधता साबित करनी पड़ती है।
अगर एजेंसी ऐसा करने में विफल रहती है। तो पैसा ऑटोमैटिक आरोपी को वापस मिल जाता है। पैसे का उपयोग कैसे किया जाएगा यह मामले के नतीजे पर निर्भर करता है। अगर अभियुक्त बरी हो जाता है तो नकदी वापस कर दी जाती है। नहीं दोषी पाए जाने पर पैसा सरकारी संपत्ति बन जाता है।
जानिए धीरज साहू का मामला?
ओडिशा के बलांगीर जिले के सुदपाड़ा में कांग्रेस सांसद धीरज साहू (MP Dheeraj Sahu) से जुड़ी एक डिस्टिलरी यूनिट से बड़ी मात्रा में नकदी जब्त की गई है। गिनती पांचवें दिन भी जारी है। आयकर अधिकारियों ने बीते बुधवार को ओडिशा स्थित डिस्टिलरी कंपनी बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड और ओडिशा के बलांगीर, संबलपुर, सुंदरगढ़, भुवनेश्वर, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और झारखंड के बोकारो में कंपनी से जुड़े अन्य शराब व्यवसायियों से संबंधित अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी।
बलांगीर जिले में सुदपाड़ा डिस्टिलरी (Sudapada Distillery) इकाई में अधिकारियों को 2 अलमारियों में रखी भारी नकदी मिली। बाद में अधिकारी 156 बैगों में नकदी को गिनती के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की नजदीकी ब्रांच में ले गए। डिस्टिलरी कंपनी से बरामद नकदी 300 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। बाद में आईटी अधिकारियों ने शुक्रवार को सुपाड़ा डिस्टिलरी यूनिट में प्रबंधक बंटी साहू के घर पर तलाशी के दौरान और नकदी भी बरामद की।