Water Crisis दुनिया भर में पानी की कमी एक गंभीर संकट बनता जा रहा है।
Water Crisis: दुनिया भर में पानी (Water) की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है और आने वाले वर्षों में यह संकट कई बड़े शहरों को अपनी चपेट में ले सकता है। एक ताज़ा रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि साल 2030 तक अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) दुनिया की पहली ऐसी राजधानी बन सकती है जहां से पानी पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इस रिपोर्ट ने न सिर्फ वैश्विक चेतावनी दी है बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली और NCR के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। पढ़िए पूरी डिटेल्स…

60 लाख लोगों पर मंडराता खतरा
आपको बता दें कि करीब 60 लाख की आबादी वाला काबुल शहर पूरी तरह अंडरग्राउंड वॉटर (Underground Water) यानी भूमिगत जल पर निर्भर है। यह पानी हिंदू कुश पहाड़ों से पिघलने वाली बर्फ और ग्लेशियरों से आता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इस प्राकृतिक जलस्रोत में भारी गिरावट आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, जमीन से जरूरत से ज्यादा पानी निकालना, और एक्विफर्स के सूखने जैसे कारणों से काबुल जलविहीन शहर बनने की कगार पर है।
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Mercy Corps की रिपोर्ट में खुलासा
रिपोर्ट बताती है कि काबुल (Kabul) में पानी की बढ़ती खपत, जल स्रोतों का सूखना और 80 प्रतिशत पानी का दूषित हो जाना मुख्य कारणों में से हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई स्कूलों और अस्पतालों को बंद करना पड़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर यही हाल रहा तो लाखों लोगों को बेघर होना पड़ सकता है।
प्राकृतिक स्रोतों पर भारी दबाव
वाटर स्पेशलिस्ट नजिबुल्लाह सादिद के मुताबिक, बारिश तो होती है लेकिन बर्फबारी में भारी गिरावट आई है। बर्फ धीरे-धीरे पिघलती है और पानी की आपूर्ति करती है, जबकि बारिश का पानी तेजी से बहकर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर देता है। यही वजह है कि जलसंकट की समस्या और भी जटिल होती जा रही है।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
साल 2001 में जहां काबुल की आबादी 10 लाख से कम थी, वहीं अब यह बढ़कर 60 लाख तक पहुंच गई है। सुरक्षा और काम की तलाश में बड़ी संख्या में लोग काबुल पहुंचे, जिससे पानी की मांग कई गुना बढ़ गई। 1.2 लाख से अधिक अनियंत्रित बोरवेल, सैकड़ों फैक्ट्रियां और ग्रीनहाउस हर साल अरबों लीटर पानी खींच रहे हैं, जिससे जलस्तर में भारी गिरावट आ रही है।
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क्या हो रहे हैं प्रयास?
हालात की गंभीरता को देखते हुए UNICEF और ICRC जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स चला रहे हैं। इनमें 1300 से अधिक हैंडपंप्स की मरम्मत, 1800 बायो-सैंड फिल्टर की स्थापना शामिल है, जो पानी को साफ करने का काम करते हैं।
साथ ही, पंजशीर रिवर से 200 किमी लंबी पाइपलाइन के जरिए काबुल को 100 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देने की योजना पर काम हो रहा है। इसके अलावा, 2027 तक शाहतूत डैम बनाने की योजना है, जिसके लिए 230 मिलियन डॉलर की जरूरत होगी। इस डैम से लगभग 20 लाख लोगों को साफ पानी मिल सकेगा।

