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UPI Payment: UPI पेमेंट करने में भी जेब कटेगी!, RBI गवर्नर के बयान से हड़कंप

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UPI Payment: UPI के जरिए मुफ्त लेन-देन का दौर जल्द खत्म हो सकता है।

UPI Payment: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए मुफ्त लेन-देन का दौर जल्द खत्म हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने संकेत दिया कि UPI को वित्तीय रूप से टिकाऊ बनाने के लिए भविष्य में इस पर शुल्क लगाया जा सकता है। इस बयान ने देश के करोड़ों UPI यूजर्स को चिंता में डाल दिया है, जो अब तक मुफ्त डिजिटल पेमेंट का लाभ उठा रहे थे। पढ़िए पूरी खबर…

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अब फ्री नहीं रहेगा UPI?

गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में कहा, ‘UPI अभी मुफ्त है, क्योंकि सरकार बैंकों और अन्य हिस्सेदारों को सब्सिडी दे रही है। लेकिन किसी भी सेवा को लंबे समय तक चलाने के लिए उसका खर्च उठाना जरूरी है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम को सुरक्षित, सुलभ और प्रभावी बनाए रखने के लिए लागत को सरकार या यूजर्स को वहन करना होगा। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि शुल्क यूजर्स पर लगेगा या सिर्फ मर्चेंट्स को देना होगा।

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UPI की रिकॉर्ड तोड़ ग्रोथ

RBI गवर्नर ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब UPI ने अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। दो साल पहले जहां प्रतिदिन 31 करोड़ ट्रांजैक्शन होते थे, वहीं अब यह संख्या दोगुनी होकर 60 करोड़ से अधिक हो गई है। जून 2025 में UPI के जरिए 18.39 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल कीमत 24.03 लाख करोड़ थी। यह भारत को रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट में वैश्विक लीडर बनाता है, जिसने वीजा जैसे दिग्गज को भी पीछे छोड़ दिया।

क्यों जरूरी है वित्तीय स्थिरता?

UPI की इस तेज वृद्धि ने बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ा दिया है, जिसे बैंक, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) संभालते हैं। वर्तमान में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शून्य होने के कारण UPI लेन-देन से कोई राजस्व नहीं मिलता। इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि यह मॉडल लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘किसी को लागत वहन करनी होगी, चाहे वह सरकार हो या कोई और।’

करेंसी पर भी चर्चा RBI गवर्नर ने डिजिटल करेंसी को लेकर सतर्क रुख की बात की। उन्होंने कहा कि एक कमेटी इसके प्रभावों का अध्ययन कर रही है। मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीतियां भविष्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, न कि सिर्फ वर्तमान महंगाई दर (2.1%) को देखकर। उन्होंने हाल की 50 बेसिस पॉइंट्स की रेपो रेट कटौती का जिक्र किया, जो नए लोन में तेजी से लागू हो रही है। क्रेडिट ग्रोथ पिछले साल से कम होने के बावजूद 10 साल के औसत से ज्यादा है।

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क्या होगा UPI का भविष्य?

लेकिन सरकार ने बार-बार UPI पर चार्ज लगाने की अटकलों को खारिज किया है, लेकिन मल्होत्रा के बयान ने नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े मर्चेंट्स या उच्च मूल्य के लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लागू किया जा सकता है। लेकिन जनता का एक बड़ा वर्ग UPI पर किसी भी तरह के शुल्क का विरोध करता है, क्योंकि यह डिजिटल पेमेंट क्रांति का मुख्य आधार रहा है।