नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
World Bank News: यूक्रेन और रूस ( Russia And Ukraine) के बीच अभी गरमा गर्मी का माहौल था ही। ऐसे में अब इजराइल और हमास ( Israel And Hamas) के बीच भी अनबन चल रही है। इसी को देखते हुए अब विश्व बैंक ( World Bank) ने चेतवानी जारी कर दी है। इस युद्ध का असर भारतीय नागरिकों के साथ अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
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दरअसल, विश्व बैंक का ये कहना है कि मध्य पूर्व में युद्ध यदि लंबा खिंच जाता है तो इसके सीधे तौर पर असर कच्चे तेल के कीमतों पर पड़ेगा। संभावना जताई जा रही है कि इससे क्रूड ऑयल का भाव 150 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकता है। इस क्षेत्र में युद्ध के कारण ऊर्जा और खाद्य उत्पादों की दामों में बढ़ोतरी हो सकती है।
बात करें अभी की तो ग्लोबल मार्केट में क्रूड का दाम 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है। वहीं, अभी और गिरावट देखने को मिल सकता है। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि यदि युद्ध के हालात सही नहीं होते हैं, तो दोबारा से 1970 जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जब क्रूड ऑयल के दाम 140 से 157 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। तब साल 1973 में ऑयल उत्पादक अरब देशों ने इजराइल की मदद करने वाले अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों को तेल का निर्यात बंद कर दिया था।
Pic: Social Media
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तेल और गैस दोनों पर ही अब दिखेगा असर
विश्व बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल का ये कहना है कि 1970 के बाद मध्य पूर्व क्षेत्र में कॉमिडिटी मार्केट के लिए ये सबसे बड़ा झटका होगा। धीरे धीरे इसका असर पूरे ग्लोबल इकोनॉमी में दिखना शुरू हो जाएगा। यूरोप की बात करें तो यहां पहले से ही गैस की कीमतें बढ़ गई हैं, क्योंकि गाजा के करीब पाइपलाइनों के नुकसान की आशंका दो गुनी हो गई है।
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क्या कहना है विश्व बैंक का
विश्व बैंक का फिलहाल ये कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी अभी बेहतर स्थिति में है। कोविड की वजह से अर्थव्यवस्था को काफी ज्यादा नुकसान हुआ था। लेकिन धीरे धीरे अब पहले से ज्यादा सुधार हो रहा है। विश्व बैंक के डिप्टी चीफ इकोनॉमिस्ट अयान कोस का कहना है कि खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ने से करीब 70 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं। मध्य पूर्व में पनप रहे मौजूदा हालात दुनियाभर में खाद्य असुरक्षा का कारण बन सकते हैं।