जीवन भर की कमाई लगाकर घर खरीदा और अब बेघर, पढ़िए Flat ख़रीदारों का दर्द
Home Buyers Problem: हर किसी का यह सपना होता है कि उसका खुद का घर (Flat) हो। अपने आशियाने को बनाने के लिए लोग अपने पूरे जीवन की कमाई लगा देते हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें अचानक पता चलता है कि फ्लैट (Flat) बनाने में बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है और अब यह घर रहने लायक नहीं। इसे गिराना पड़ेगा और उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाता है। घर खरीदने कि लिए लोन भी ले लिया हो, जिसकी ईएमआई (EMI) चुका रहे और अब घर से बाहर किराये पर रहने के लिए मजबूर हैं। यह सोचने से आपको जो महसूस हो रहा है, तो जरा सोचिए जिन हजारों लोगों के साथ यह घटना पेश आई है, उन पर क्या बीत रही होगी।
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यह पूरा माला गुरुग्राम (Gurgaon) की चिंतल पैराडाइज हाउसिंग सोसाइटी (Chintels Paradiso Housing Society) का है। इस सोसाइटी के 7 टॉवर को अब रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। सरकारी कंपनी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने सोसाइटी के टॉवर्स की जांच के बाद इसे पूरी तरह अनसेफ बताया है। इसके साथ ही इसमें रहने वाले सैकड़ों परिवारों से घर खाली करने के लिए कह दिया गया है, जबकि कई परिवार किराये के मकान में रहने को मजबूर हो गए हैं। उनके सामने किराया भरने के साथ घर की ईएमआई (EMI) चुकाने की भी परेशानी है। उनका कहना है कि बिल्डर की मनमानी के कारण से हमें घर खरीदने की सजा मिली।
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फ्लैट खरीदारों की समस्या
सोसाइटी के टॉवर सी (Tower C) में रहने वाली अनीता कुंडु ने बताया कि साल 2022 में अपने रिटायरमेंट के पैसों से यहां फ्लैट खरीदा था। इसके कुछ ही दिन बाद टॉवर डी की छत गिरने से 2 महिलाओं की जान चली गई, जिसके बाद इसे खाली करने का आदेश मिला। अपने फ्लैट को सेफ बनाने के लिए उन्होंने 20 लाख रुपये लगाकर इसका रेनोवेशन भी कराया। अब CBRI ने टॉवर सी को भी अनसेफ (Unsafe) घोषित कर दिया है। अब हमारे सामने बड़ा संकट आ गया है।
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किराए की मार झेल रहे घर खरीदार
इस सोसाइटी में फ्लैट खरीदने वाले लोग पिछले 2 सालों से डर, गुस्सा और तनाव में जिंदगी बिता रहे हैं। सोसाइटी के 9 में से 7 टॉवर को अब तक अनसेफ बताया जा चुका है। सोसाइटी के जी टॉवर में रहने वाली जैसमिन कौर के मुताबिक उनका टॉवर अनसेफ घोषित होने के बाद वे किराये पर रहने लगी हैं। अब 40 हजार रुपये हर महीने लोन की ईएमआई जा रही और 44 हजार रुपये किराया देना पड़ रहा है। ऊपर से पति का ट्रांसफर ओडिशा हुआ है, जहां उन्हें भी किराये के घर में रहना पड़ रहा। कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस समस्या का क्या हल होगा।
पीड़ितों के पास ये दो ऑप्शन
इस सोसाइटी में फ्लैट खरीदने वाले पीड़ितों को बिल्डर की तरफ से दो विकल्प दिए गए हैं। पहला विकल्प ये है कि सभी फ्लैट दोबारा बनाए जाएं, जिसके लिए मकान खरीदारों को फिर से 1000 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से पैसे देने होंगे। और दूसरा विकल्प यह है कि बिल्डर सभी खरीदारों को 6,500 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से पैसे वापस कर दें। इसके साथ ही उनकी स्टांप ड्यूटी और रेनोवेशन की लागत को भी वापस कर दिया जाए। लेकिन, मकान खरीदारों का कहना है कि बिल्डर अपनी शर्तों पर हमसे सेटलमेंट कराना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जहां शीर्ष अदालत की तरफ से जारी फैसले पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो खरीदार अपने मकान को दोबारा बनवाना चाह रहे हैं उन्हें बिल्डर की तरफ से तब तक के लिए किराया दिया जाना चाहिए। इस आदेश को 8 महीने हो गए और अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। बिल्डर के प्रवक्ता का कहना है कि हम सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं। फिर से निर्माण तभी शुरू होगा, जबकि टॉवर को पहले गिराया जाए।