नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
माना जाता है कि यदि इस जानवर का दूध कोई व्यक्ति पीले तो वो नशे में पूरी तरह से झूम जाएगा. इस जानवर का नाम मादा हाथी है. कहा जाता है कि जो मादा हाथी का दूध होता है इसके दूध में अल्कोहल पाया जाता है. इसका दूध पीलें तो आप नशे से झूम उठेंगें. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ये है कि हाथी गन्ने का सेवन ज्यादा करता है. गन्ने में अल्कोहल का सबसे अधिक तत्व पाया जाता है.
हथिनी के दूध में तक़रीबन 60% पाया जाता है अल्कोहल
जानकारी के अनुसार, हाथी के दूध में तक़रीबन 60% अल्कोहल पाया जाता है. ये दूध माना जाता है इंसानों के पीने के लायक नहीं होता है, क्योकि एक रिसर्च के मुताबिक मानें तो हाथी के दूध में ऐसे केमिकल पाए जाते हैं, जो इंसानों के शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है. माना जाता है कि हथिनी के दूध को 62 % अल्कोहल से डिस्टैबिलाइज्ड किया जाता है और अनुमान है कि इसकी बीटा-कैसीन मिशेल की प्रवृति को मेंटेन कर सकते हैं. पहले ये भूमिका केवल के कैसीन से जुड़ी हुई थी. डेयरी के दूध में ओलिगोसैकराइड कम है लेकिन इंसान और हाथी के दूध में ये अधिक है. अफ्रीकी हाथिनी के दूध में लैक्टेस और ओलिगोसैकेराइड्स का स्तर बहुत अधिक होता है. काफी हद तक इसका संबंध स्पेशलाइज्ड कार्बोहायड्रेट सिंथेसिस से जुड़ा है जहाँ व्हे प्रोटीन अल्फ़ा-एलए की भूमिका होती है.
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बहुत संवेदनशील जानवर होते हैं हाथी
हाथी को धरती पर हाथी सबसे संवेदनशील प्राणी कहा जाता है. ये माना जाता है कि मनुष्य से ज्यादा समझदार और बुद्धिमान होते हैं. वहीं, इससे भी अधिक संवेदनशील और बुद्धिमान जलचर प्राणी डॉल्फिन को माना जाता है. हाथी की अलग-अलग प्रजातियां होती हैं, अफ़्रीकी सवाना हाथी, अफ़्रीकी वन हाथी और एशियाई हाथी. पांच करोड़ वर्ष पहले हाथियों की करीब 170 प्रजातियां पाई जाती थीं, लेकिन अब केवल दो ही बचीं हैं- ऍलिफ़स(Elephas) और लॉक्सोडॉण्टा (Loxodonta). हाथियों को रोजाना 150 किलोग्राम खाने की आवश्य्कता होती है. इसलिए हाथी हर दिन पौधे, घास और फल खाने में 12 से 18 घंटे बिताते हैं.