Supertech: सुपरटेक के फ्लैट बायर्स यह खबर जरूर पढ़ लीजिए
Supertech: सुपरटेक के हजारो फ्लैट बायर्स के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि बीते कई सालों से रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक (Supertech) के कई रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट (Residential Project) में हजारों होम बायर्स अपने घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
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प्रोजेक्ट का काम बीच में रुक जाने के कारण से फ्लैट बायर्स (Flat Buyers) को घर नहीं मिल पा रहा है। उन सभी बायर्स के लिए एक और बुरी खबर फिर सामने आ रही है। आपको बता दें कि कर्ज में डूबी कंपनी सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट्स के प्रमुख ऋणदाता पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab And Sind Bank) ने कर्ज निपटान प्रस्ताव (debt settlement proposal) को खारिज कर दिया है। अब इसके बाद कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने पर आखिरी फैसला एनसीएलएटी करेगा। इस कारण अपने घर की चाबी मिलने का इंतजार कर रहे हजारों होम बायर्स के हाथों में मायूसी लगी है। अब उनका इंतजार और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
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एनसीएलएटी के प्रस्ताव को मानने से किया इंकार
रियल्टी कंपनी के निलंबित निदेशक राम किशोर अरोड़ा के वकील ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) को निपटान प्रस्ताव की अस्वीकृति के बारे में जानकारी दिया। एनसीएलएटी (NCLAT) के आदेश में कहा गया है कि अपीलकर्ता (अरोड़ा) के वकील ने कहा है कि उन्हें पंजाब एंड सिंध बैंक से मैसेज प्राप्त हुआ है कि अपीलकर्ता की ओर से पेश निपटान प्रस्ताव मंजूर नहीं है। एनसीएलएटी की 3 सदस्यीय पीठ ने इसको लेकर कहा कि उसे इस मामले में आखिरी फैसला लेना होगा क्योंकि यह अपील पिछले कई महीनों से पेडिंग है। एनसीएलएटी ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 23 जनवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए कहा कि अंतिम मौके के रूप में अपीलकर्ता को एक सप्ताह का समय दिया जाएगा।
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दिवाला कार्यवाही शुरू करने के पक्ष में नहीं
सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट्स यूपी के ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक आवासीय परियोजना गोल्फ कंट्री का विकास कर रही है। एनसीएलएटी (NCLAT) के चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उसके द्वारा पहले पारित अंतरिम आदेश ही बरकरार रहेगा। एनसीएलएटी की कार्यवाही के दौरान रजिस्टर्ड घर खरीदारों के संघ ने कहा कि परियोजना में घर खरीदने वाले ग्राहक भी अरोड़ा के निपटान प्रस्ताव से राजी नहीं है। हालांकि फ्लैट बायर्स के एक दूसरे समूह ने कहा कि वे सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के पक्ष में नहीं है। बता दें कि सुपरेट समूह के प्रोजेक्ट में 49,748 मकान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में अटके हुए हैं।

