Jyoti Shinde,Editor,Khabrimedia.com
Rajnikanth Spiritual Leader: सुपरस्टार रजनीकांत (Rajnikanth) इस समय अपनी फ़िल्म ‘जेलर’ को लेकर चर्चा में हैं. रजनीकांत अपनी फ़िल्म की सफलता को पार्टी मनाकर नहीं बल्कि उस जगह पर वापस जाकर मना रहे हैं जहां उन्हें सुकून मिलता है, वो जगह है हिमालय की शरण में. रजनीकांत बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं और अब द्वाराहाट से 20 किलोमीटर कुकुचीना में है उनके गुरु जी महावतार बाबाजी महाराज जी की गुफा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो रजनीकांत पिछले 24 साल से अध्यात्म की राह पर हैं और उनका मानना है कि उन्होंने इस प्रक्रिया में ख़ुद को फिर से ढूंढा है. हालांकि, रजनीकांत ने कभी भी हिमालय की अपनी यात्रा के कारणों का ख़ुलासा नहीं किया है, मगर ये तथ्य सही है कि रजनीकांत महावतार बाबाजी ( Rajnikanth Spiritual Leader Sri Sri Mahavatar Babaji) के भक्त हैं.
रजनीकांत साल 1999 में अपनी फ़िल्म Padiyappa की सफलता के बाद पहली बार हिमालय की यात्रा करने गए थे. महावतार बाबाजी जी के बारे में रजनीकांत को सबसे पहले 1978 में पता चला उन्होंने एक प्रख्यात किताब पढ़ी थी ऑटोबायोग्राफ़ी ऑफ़ अ योगी (Autobiography of a Yogi).
आइए महावतार बाबा जी के बारे में जानते हैं.
भारतीय योगी योगिराज लाहिड़ी महाशय और कई अन्य शिष्यों ने अपने गुरु को महावतार बाबाजी नाम दिया, जो कथित तौर पर 1861 और 1985 के बीच उनके सामने प्रकट हुए थे. योगानंद की आत्मकथा के अनुसार,
महावतार बाबाजी भारत के सुदूर हिमालयी क्षेत्रों में कम से कम सैकड़ों वर्षों से निवास कर रहे हैं. केवल कुछ ही शिष्यों और अन्य लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से वो एक विशेष प्रकार का योग करते हैं जिसे ‘क्रिया योग’ के नाम से जाना जाता है और हिमालय में घूमते हैं. ऐसा माना जाता है कि महावतार बाबाजी मृत्यु से परे हैं और उन्हें ‘मृत्युहीन गुरु’ कहा जाता है.
बाबाजी के अनुयायी ही उनके बारे में बताते हैं, उनके बारे में ज़्यादा जानकारी उन्हीं से मिलती है जो उनसे मिल चुके हैं. किताब की माने तो वो आज की पीढ़ी की तरह ही युवा हैं और अजर-अमर हैं. कहा जाता है कि वो आज भी हिमालय की गुफ़ाओं में रहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि, बाबाजी दूसरी शताब्दी में तमिलनाडु के कडलोर में जन्में थे इसके बाद वो ऋषिकेश चले गए.
ऐसा बताया जाता है कि बाबाजी की गुफ़ा उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के दूनागिरि से एक घंटे दूर स्थित है. ये जगह रजनीकांत के लिए बहुत महत्व रखती है. वो पिछले 10 साल से ज़्यादा से समय से इस जगह पर जा रहे हैं. “Autobiography of a Yogi” में भी बाबाजी की गुफ़ा दिखाई गई है. रजनीकांत ने एक बार कहा कि, मैं एक बार ये किताब (Autobiography of a Yogi) पढ़ रहा था और मुझे ऐसा लगा कि उनकी किसी एक तस्वीर से एक रौशनी सी निकली और मेरे शरीर के अंदर चली गई.