Noida के पानी में ज़हर!..पढ़िए चौंकाने वाला ख़ुलासा

Trending ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Hard Water:
नोएडा और फरीदाबाद का पानी पूरे साल हार्ड रहता है। सिर्फ हार्ड (Hard) नहीं बल्कि बहुत हार्ड यानी पानी में भी प्रदूषण है। वह भी ऐसे खनिजों और रसायनों जो आपकी सेहत को धीरे-धीरे स्लो पॉयजन (Poison) की तरह खत्म कर रहे हैं।

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करने के लिए tau.id/2iy6f लिंक पर क्लिक करें
ये भी पढ़ेः Delhi के इन इलाकों में 2 दिन नहीं आएगा पानी..देखिए लिस्ट

Pic Social Media

ये भी पढ़ेः CM योगी का बड़ा तोहफ़ा..राज्य के 80 लाख बच्चों को होगा फ़ायदा
आपको बता दें कि नोएडा और फरीदाबाद के रिहायशी इलाकों और गेटेड सोसाइटी से पानी के सैंपल लिए उन्हों जांच के लिए नेशनल एक्रेडिशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मान्यता प्राप्त लैब में जांच के लिए भेजा गया तो पता चला कि दोनों जगहों पर टीडीएस लेवल 500 मिलिग्राम प्रति लीटर है। नोएडा में तो कुछ जगहों पर ये 2500 मिलिग्राम प्रति लीटर है।

नोएडा के पानी के सैंपल की जब जांच की गई तो पता चला कि पानी में टीडीएस (TDS In Water) की तय और अनुमति प्राप्त सीमा तो कब की पीछे छूट गई है। पानी कैल्शियम कार्बोनेट की तय मात्रा 200 मिलिग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। अनुमति प्राप्त सीमा 600 मिलिग्राम है। लेकिन सैंपल की जांच में यह 845 मिलिग्राम प्रति लीटर निकला। क्लोराइड्स के लिए तय सीमा 250 मिलिग्राम प्रति लीटर है। निकला 708 मिलिग्राम, कैल्शियम के लिए 75 मिलिग्राम प्रति लीटर तय सीमा है, निकला 186 मिलिग्राम प्रति लीटर। मैग्नीशियम भी तय सीमा से तीन गुना ज्यादा मात्रा में पाया गया। नोएडा के पानी में कितने टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (TDS) हैं।

जानिए क्या होता है जब हार्ड पानी?

पीने योग्य पानी और सैनिटेशन विभाग (Sanitation Department) की रिपोर्ट के मुताबिक पानी में खनिजों और रसायनों की संतुलित मात्रा से इंसान की सेहत सही रहती है। वह फायदेमंद होता है। लेकिन यही खनिज और रसायन अगर तय सीमा से ज्यादा मात्रा में हो तो सेहत पर बुरा असर होता है। जैसे कैल्सियम की अधिक मात्रा कब्ज और किडनी स्टोन पैदा करती है। क्लोराइड सोडियम के साथ मिलकर ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है।

फ्लोराइड की अधिक मात्रा से दांतों का रंग खराब होता है। टूटने लगते हैं। फ्लोरोसिस हो जाता है। हड्डियां बेडौल होने लगती हैं। नोएडा में पानी 2 स्रोत हैं। जिनसे रिहायशी इलाकों में पानी सप्लाई होता है। पहला गंगा नदी का पानी, दूसरा भूजल नोएडा अथॉरिटी ने पिछले साल कहा था कि कुछ इलाकों में भूजल काफी ज्यादा हार्ड है।
नोएडा की मिट्टी 2 मिनरल्स बेहद कॉमन हैं। मैग्नीशियम और कैल्सियम इनकी वजह से नोएडा का पानी हार्ड होता जा रहा है। जिसका रेंज 108 मिलिग्राम प्रतिलीटर से लेकर 838 मिलिग्राम प्रतिलीटर की बीच है। यह जल स्रोत पर निर्भर करता है कि उसकी हार्डनेस कितनी ज्यादा होगी।

क्या आरओ का पानी इससे बचा पाएगा?

नोएडा में सीधे नल से पानी पीना खतरनाक है। इसलिए लोग अपने घरों में आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस का पानी पीते हैं। आरओ मशीन टीडीएस को नियंत्रित तो करती हैं। हार्डनेस भी कम करती है। लेकिन कई बार पानी से जरूरी मिनरल्स को खत्म या कम भी कर देती हैं। यह भी एक समस्या है। क्योंकि इंसानी शरीर को खनिजों की जरूरत भी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जिस पानी से मिनरल्स निकाले जा चुके हों। उसे फिर से सेहतमंद नहीं बनाया जा सकता। ऐसा पानी पीने से शरीर को जरूरी मात्रा में मिनरल्स नहीं मिल पाते। अगर पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम तय मात्रा में नहीं है। तो वह आपके सेहत पर प्रतिकूल असर डालती है।

READ: khabrimedia, Latest Greater Noida News,Greater noida news, Noida Extension news, greater noida Society News – Top news-Latest Noida news-latest Noida extension news-latest Delhi Ncr news- Big news of today-Daily News-Greater Noida Society news-Greater Noida News in Hindi