Jyoti Shinde,Editor
दिल्ली हो या दौलताबाद..आपको जाम की समस्या हर कहीं नज़र आ जाएगी। खासकर नोएडा से दिल्ली या दिल्ली से नोएडा आने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। खासकर उस समय जब ऑफिस टाइम होता है। लेकिन यूपी की योगी सरकार जल्द ही आपको बड़ा तोहफा देने जा रही है।
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दिल्ली के मयूर विहार के नोएडा-ग्रेटर एक्सप्रेसवे से जोड़ेने वाली चिल्ला एलिवेटेड रोड को योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस रोड का अनुमानित बजट 787 करोड़ रुपये है। जिसकी मंजूरी यूपी सरकार से मिल गयी है। प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर की ओर से लिखे गए एक पत्र में बताया गया है कि यह धनराशि सरकार और नोएडा प्राधिकरण बराबर-बराबर शेयर करेंगे। ऐसे में जहां 393 करोड़ रुपये का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा, वहीं बाकी बचे खर्च को प्राधिकरण के हिस्से आएगा।
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सड़क के लिए यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन लिमिटेड 15 अगस्त तक कंपनी का चुनाव करने के लिए निविदा जारी करेगी। यूपीएसबीसीएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक (निविदा) संदीप गुप्ता ने कहा ने कहा कि सभी दस्तावेज़ लगभग तैयार हैं। हम अगले दो सप्ताह में निविदा जारी करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि अभी 10 फीसदी से थोड़ा ज्यादा काम ही पूरा हुआ है। जो काम बाकी है उस पर 600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। हमें उम्मीद है कि कुछ अच्छी कंपनियां इस परियोजना में रुचि दिखाएंगी। हालांकि, निर्माण सभी तरह की मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू होगा।
अनिल कुमार सागर ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि तकनीकी मंजूरी मिलने के बाद ही इस परियोजना का निर्माण शुरू होना चाहिए। स्वीकृत परियोजना के दायरे में कोई भी बदलाव राज्य सरकार की व्यय वित्त समिति की पूर्व मंजूरी के बिना नहीं किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम जल्द ही सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें उन मुद्दों को सुलझाया जाएगा, जिनके कारण परियोजना में सालों की देरी हुई है।
आपको बता दें कि परियोजना को साल 2019 में अनुमति मिली थी। इसके बाद से जब काम शुरू हुआ, फंड पर बात नहीं बन पाने के कारण परियोजना की प्रगति कई बार रुक गयी। प्राधिकरण पहले ही 60 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है, लेकिन अब तक परियोजना का केवल 10% से थोड़ा अधिक हिस्सा ही बनाया जा सका है। शुरू में परियोजना की अनुमानित राशि 605 करोड़ रुपये थी, जिसे 2022 की शुरुआत में संशोधित कर 1,076.6 करोड़ रुपये कर दिया गया था। हालांकि, जब प्राधिकरण ने इस आंकड़े को खारिज कर दिया तो यूपीएसबीसीएल ने लागत को फिर से संशोधित कर 912 करोड़ रुपये कर दिया।
फिर भी संतुष्ट न होने पर प्राधिकरण ने एक सलाहकार को नियुक्त किया, जिसने 801.6 करोड़ रुपये का बजट बनाया। अंत में, परियोजना फाइल आईआईटी-मुंबई को भेजी गई, जिसने 801 करोड़ रुपये की योजना पर समर्थन किया। पिछले साल सितंबर में सशक्त वित्त समिति ने यूपीएसबीसीएल को प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया था। समिति की मंजूरी के बाद परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी के लिए राज्य कैबिनेट को भेजा गया था।
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