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Patna News: CM नीतीश कुमार 16वें वित्त आयोग की बैठक में हुए शामिल

बिहार
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Patna News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित 18वें वित्त आयोग की बैठक में शाामिल हुये। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि बिहार राज्य में 3 दिवसीय भ्रमण पर 18वें वित्त आयोग का आगमन हुआ है।
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इस अवसर पर वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ० अरविन्द पनगढ़िया सहित सभी सदस्यगण का मैं बिहार की धरती पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। आप सभी काफी अनुभवी एवं योग्य है और बिहार को आपसे काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि आयोग के अध्यक्ष डॉ० अरविन्द पनगढ़िया जी नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलाधिपति भी हैं। इसीलिए वे बिहार की सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से परिचित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 नवम्बर, 2005 से जब हमलोग सरकार में आये तब से राज्य में कानून का राज है। हमलोग राज्य के विकास के लिये लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2005 के पहले लोग शाम के बाद घरों से बाहर नहीं निकलते थे। समाज में काफी विवाद होता था। हिन्दु-मुस्लिम झगड़ा होता था। स्कूलों में बहुत कम बच्चे पढ़ते थे। अस्पतालों में ईलाज का पूरा इंतजाम नहीं था। पूरे राज्य में सड़कों की काफी कमी थी तथा जो थी उनका बुरा हाल था। राजधानी पटना तथा अन्य जगहों पर बिजली की स्थिति बहुत खराब थी। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार को लेकर विशेष ध्यान दिया गया। इसके लिए बड़ी संख्या में नये स्कूल खोले गये। वर्ष 2006-07 में लड़के लड़कियों के लिए पोशाक योजना शुरू की गयी।

वर्ष 2008 में नौंवी क्लास की लड़कियों के लिए साईकिल योजना चलाई गयी। फिर वर्ष 2010 से लड़कों के लिए भी साईकिल योजना शुरू की गयी। बड़ी संख्या में सरकारी शिक्षकों की बहाली की गयी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी काफी सुधार किया गया। पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ईलाज के लिए प्रति माह 39 मरीज की आते थे यानि प्रतिदिन 1 या 2 मरीज ही आते थे। वर्ष 2006 से अस्पतालों में मुफ्त दवा एवं ईलाज की पूरी व्यवस्था की गयी है। अब प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हर महीने 11 हजार से अधिक मरीज आते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बड़ी संख्या में सड़कों, पुल-पुलियों तथा एलिवेटेड रोड का निर्माण कराया गया है। साथ ही हर घर बिजली सुनिश्चित की गयी है। स्थानीय निकायों के सशक्तीकरण हेतु कई कार्य किये गये हैं। वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण से शुरूआत की गयी। पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनाने का काम किया गया है। पहले बिहार में स्वयं सहायता समूह की संख्या बहुत कम थी।

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वर्ष 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर राज्य में स्वयं सहायता समूह का गठन किया जिसे ‘जीविका’ नाम दिया। अब स्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख 61 हजार हो गयी है जिसमें ‘जीविका दीदियों की संख्या 1 करोड़ 31 लाख हो गयी है। शहरी क्षेत्रों में भी स्वयं सहायता समूह का गठन हो रहा है जिनकी संख्या 34 हजार हो गयी है जिसमें लगभग 3 लाख 60 हजार जीविका दीदियां हैं।