Noida: इस पॉश रेजिडेंशियल स्कीम पर लगा ताला..1500 फ्लैट खरीदार परेशान

दिल्ली NCR नोएडा
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Noida News: नोएडा की एक पॉश रेजिडेंशियल स्कीम (Residential Scheme) पर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने ताला लगा दिया है। आपको बता दें कि मैसर्स स्काई लाईन प्रापकॉन प्राइवेट लिमिटेड के आवंटन कैंसिल होने के बाद अब नोएडा प्राधिकरण ने दो में से एक व्यवसायिक प्लॉट को सील कर दिया है। इन दोनों व्यवसायिक प्लॉट की कीमत लगभग 1000 करोड़ के आसपास है। आवंटन के बाद साइट पर निर्माण का काम चल रहा था। लगभग 20 दिन पहले शासन ने एमथ्रीएम बिल्डर की दो सब्सिडियरी कंपनियों के इन दोनों व्यवसायिक प्लॉट का आवंटन निरस्त कर दिया था।
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प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक आवंटन कैसिंल होने के बाद भी सेक्टर-72 में मैसर्स स्काई लाईन प्रापकॉन प्राइवेट लिमिटेड (M/s Sky Line Prapcon Pvt. Ltd.) के प्लॉट को आवंटित व्यवसायिक प्लॉट पर निर्माण कार्य को सील करते हुए प्राधिकरण ने कब्जे में लिया। वहीं सेक्टर-94 में मैसर्स लैविश बिल्डमार्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्लॉट को कल सील किया जाएगा। ये दोनों कंपनी की मदर कंपनी एमएम है।

आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही शिकायतकर्ता रूप सिंह ने फरवरी 2024 में शिकायत की थी कि प्राधिकरण के ई-ब्रोशर में लिखे नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए इन दोनों कंपनियों को प्लॉट आवंटित किए गए। साल 2022 में इन कंपनियों को प्लॉट आवंटित किए गए थे। इस शिकायत को लेकर प्राधिकरण से जवाब मांगा गया था। 4 अप्रैल को प्राधिकरण एसीईओ ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। जिसको आधार बनाकर ही आवंटन कैसिंल किया गया है।

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आवंटन करने के बाद प्राधिकरण को इन दोनों कंपनियों से अब तक लगभग 450 करोड़ रुपए भी मिल चुके हैं। इसको लेकर आरोप है कि दोनों कंपनियों को पांच लाख रुपए की अतिरिक्त बोली लगाने पर सिंगल बिड के तहत आवंटन किया गया। सेक्टर-94 स्थित प्लॉट का रिजर्व प्राइस 827 करोड़ 35 लाख रुपए था और सेक्टर-72 स्थित प्लॉट का रिजर्व प्राइस 176 करोड़ 48 लाख रुपए था। इन दोनों प्लॉट के लिए सिर्फ पांच लाख रुपए की अतिरिक्त बोली मिलने पर प्राधिकरण ने आवंटन किया था।

ब्रोशर की शर्तों का नहीं हुआ पालन

ऐसे में इस प्लॉट को पाने के लिए आवेदक कंपनियों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हुई। इसके साथ ही सब्सिडियरी कंपनी अगर खुद बोली कर्ता है तो उसे स्वयं निर्धारित न्यूनतम अर्हता जैसे कि नेटवर्थ, सालवेंसी एवं टर्न ओवर पूरी करने की शर्त है। इसके साथ ही सब्सिडियरी कंपनी ने अकेले आवेदन किया था। ऐसे में उसे स्वयं ब्रोशर की शर्तों को पूरा करना था लेकिन नहीं किया गया।