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Noida News: स्पोर्ट्स सिटी में फ्लैट बुक करवाने वाले बुरे फंसे..पढ़िए डिटेल

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Noida News: नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी से जुड़ी बड़ी और जरूरी खबर पढ़िए

Noida News: नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी में फ्लैट बुक कराने वालों के लिए यह खबर बिलकुल भी अच्छी नहीं है। आपको बता दें कि स्पोर्टस सिटी (Sports City) के नाम पर जहां किसानों से सस्ते दाम पर जमीन अधिगृहीत (Land Acquired) की गई। वहीं निवेशकों को भी गुमराह किया गया। हालत यह है कि जिस जमीन पर फ्लैट बनाए जाने थे। उसमें से 15 खसरा नंबरों की 16.2512 हेक्टेयर भूमि जिला प्रशासन को 24 दिसंबर 2014 वापस कर दी गई थी। यानी प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डरों के गठजोड़ से निवेशकों को उन फ्लैटों में निवेश कराया गया, जो कागजों सिर्फ कागजों में ही हैं।
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प्राधिकरण ने बनाई थी स्पोर्ट्स सिटी बनाने की कार्ययोजना

यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) सीईओ डा. लोकेश एम ने कहा कि हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बाद इस मामले में विधि विभाग (Law Department) के साथ अध्ययन किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्पोर्ट्स सिटी (Sports City) आवंटन में बड़ा घोटला हुआ है। मात्र 10 प्रतिशत धनराशि पर सस्ती दर पर जमीन दे दी गई है आवंटन के बाद बिल्डरों ने नियम और शर्तों को पूरा नहीं किया। आवासीय और कामर्शियल स्पेश को मोटे दामों पर बेचा गया। कामनवेल्थ गेम के दौरान 2008 में प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी बनाने की कार्ययोजना तैयार की थी।

जमीन का क्षेत्रफल बढ़ व घट सकता है

इसमें सेक्टर-78, 79 और 101 आदि तीन सेक्टर स्पोर्ट्स सिटी के लिए आरक्षित किया गया था। जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोटियम) को 7,27,500 वर्ग मीटर जमीन दी गई थी। 7,03,001.80 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा भी दे दिया गया। बाकी जमीन के लिए बिल्डर से कहा गया कि ब्रोशर शर्त के मुताबिक जैसे बाकी जमीन उपलब्ध होगी, कब्जा दे दिया जाएगा। जमीन का क्षेत्रफल बढ़ व घट सकता है। वजह यह थी कि प्राधिकरण के पास जमीन ही उपलब्ध नहीं थी।

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बिल्डरों को सस्ती दरों में जमीन देने का क्या कारण

किसान नरेश चंद्र यादव ने बताया कि सवाल सुप्रीम कोर्ट ने सेक्टर-101 की पूरी जमीन वापस कर दी। इससे यह सेक्टर स्पोर्ट्स सिटी से बाहर हो गया। सेक्टर-79 में भी सिर्फ 12.6788 हेक्टेयर जमीन बची थी। जबकि सेक्टर-78 में ग्रुप हाउसिंग व कामर्शियल भवन बन चुके हैं।

प्राधिकरण के पास जमीन ही नहीं थी तो स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर बिल्डरों को सस्ती दरों पर जमीन क्यों दी गई। अब बिल्डर से भूखंड की कीमत का बकाया नहीं मिलने का रोना रोया जा रहा है। जबकि बिल्डर जमीन नहीं मिलने की बात कहकर नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (La Tribunal) में प्राधिकरण के खिलाफ गए है। इसकी आड़ में ब्याज माफी का भी लाभ लिया। बिल्डरों ने फ्लैट और दुकानों के लिए स्पेस बेच कर मोटी कमाई कर ली।

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2011 में शुरू हुई जमीने लेने की प्रक्रिया

किसान रवि यादव ने कहा कि प्राधिकरण ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण तक नहीं किया। ज्यादातर जमीन ग्राम सभा की थी। सेक्टर-79 के लिए बिना जमीन के ही कागजों में आवंटन हो गया। जमीन लेने की प्रक्रिया प्रशासन ने 3 साल बाद 2011 में शुरू की गई। 20 फरवरी 2014 को सोहरखा, जाहिदाबाद स्थित प्रदेश सरकार की 28.9300 हेक्टेयर भूमि का 30 साल के लिए प्राधिकरण के पक्ष में पट्टा अनुबंध किया है।

इसमें 27 खसरा नंबर शामिल थे। प्राधिकरण ने जमीन को 90 साल के पट्टे पर बिल्डरों को आवंटित किया। अधिकारियों को जब यह पता चला कि जमीन पर उच्च न्यायालय से लेकर सिविल कोर्ट तक 25 से 30 किसानों ने याचिकाएं दायर कर रखी हैं तो 15 खसरा नंबरों की 16.2512 हेक्टेयर भूमि जिला प्रशासन को 24 दिसंबर 2014 वापस कर दिया गया।