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Meta: फेसबुक, इंस्टाग्राम पर Ads के लिए मेटा कुछ गड़बड़ करने जा रहा है क्या?

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Meta: सोशल मीडिया दिग्गज मेटा एक नई नीति के साथ विज्ञापन जगत में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है।

Meta: सोशल मीडिया दिग्गज मेटा एक नई नीति के साथ विज्ञापन (Advertisement) जगत में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है। कंपनी अब यूजर्स की एआई चैट्स (AI Chats) से प्राप्त डेटा का उपयोग फेसबुक और इंस्टाग्राम (Facebook and Instagram) पर पर्सनलाइज्ड विज्ञापन दिखाने के लिए करेगी। इस कदम से यूजर्स के सोशल मीडिया अनुभव पर सीधा असर पड़ने की संभावना है, लेकिन साथ ही प्राइवेसी (Privacy) को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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AI चैट्स से जुटाया जाएगा डेटा, तैयार होंगे टारगेट Ads

मेटा (Meta) ने हाल ही में साफ किया है कि वह अपने एआई प्रोडक्ट्स से मिलने वाले यूजर इंटरैक्शन डेटा को फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) पर टारगेटेड ऐड्स के लिए उपयोग करेगा। यानी अगर आपने मेटा के किसी एआई चैटबॉट से किसी प्रोडक्ट, ट्रैवल प्लान या किसी भी टॉपिक पर बात की है, तो उस विषय से जुड़े विज्ञापन आपको सोशल मीडिया पर दिखने लगेंगे।

16 दिसंबर से लागू होगी नई विज्ञापन नीति

टेकक्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा (Meta) की यह नई पॉलिसी 16 दिसंबर 2025 से लागू होगी। कंपनी जल्द ही यूजर्स को इस बारे में औपचारिक नोटिफिकेशन भेजेगी। शुरुआत में यह बदलाव ग्लोबली लागू होगा, लेकिन यूरोपीय संघ (EU), यूनाइटेड किंगडम (UK) और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में इसे फिलहाल रोक दिया गया है। इन देशों में स्थानीय कानूनों और प्राइवेसी नियमों की समीक्षा पूरी होने के बाद ही इसे लॉन्च किया जाएगा।

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यूरोपीय संघ ने जताई प्राइवेसी पर चिंता

यूरोपीय संघ पहले ही मेटा की इस रणनीति को लेकर गंभीर प्राइवेसी चिंताओं का इज़हार कर चुका है। वहां की रेगुलेटरी एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि एआई चैट डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना जनहित और कानून के अनुरूप है या नहीं। जब तक यह जांच पूरी नहीं होती, वहां के यूजर्स इस बदलाव से बाहर रहेंगे।

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यूजर्स की निजता पर उठे सवाल

मेटा का यह कदम ऑनलाइन विज्ञापन की दुनिया के लिए भले ही तकनीकी विकास का संकेत हो, लेकिन आम यूजर्स के लिए यह निजता पर सीधा आघात भी हो सकता है। पहले भी सोशल मीडिया कंपनियां यूजर डेटा को ट्रैक करने और बिना अनुमति के इस्तेमाल को लेकर विवादों में रही हैं। अब एआई चैट्स से डेटा इकट्ठा करने का तरीका इस समस्या को और बढ़ा सकता है।

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यूजर्स को अब AI चैट्स में बरतनी होगी सावधानी

नई नीति के बाद यूजर्स को अब यह ध्यान रखना होगा कि वे मेटा के एआई टूल्स से बातचीत करते समय कौन-सी जानकारी साझा कर रहे हैं। क्योंकि वही जानकारी उनके ऑनलाइन विज्ञापन अनुभव को प्रभावित करेगी। यानी अब सिर्फ ब्राउज़िंग हिस्ट्री नहीं, बल्कि आपकी एआई से की गई बातचीत भी आपकी डिजिटल पहचान का हिस्सा बन जाएगी।